लखनऊ: विकास प्राधिकरण (LDA) का लगभग 20 साल पुराना अन्नपूर्णा कमर्शियल कॉम्प्लेक्स अब निजी हाथों में जाने वाला है. दो दशक तक असफल रहने के बाद इस कॉम्प्लेक्स को सालाना 56.50 लाख रुपए की लीज पर निजी बिल्डर को सौंपा जा रहा है. इस कदम से न केवल इस पुराने ढांचे को नया और आधुनिक स्वरूप मिलेगा, बल्कि शहरवासियों को भी एक आधुनिक व्यावसायिक केंद्र की सुविधा मिल सकेगी. इससे पहले LDA का शान-ए-अवध कॉम्प्लेक्स भी निजीकरण के बाद फीनिक्स पलासियो मॉल के रूप में तब्दील हो चुका है, जो शहर का लोकप्रिय शॉपिंग डेस्टिनेशन बन चुका है.
कानपुर रोड पर है अन्नपूर्णा कॉम्प्लेक्स: लखनऊ के कानपुर रोड पर स्थित अन्नपूर्णा कमर्शियल कॉम्प्लेक्स की नींव लगभग दो दशक पहले रखी गई थी. उस समय इसे शहर के एक प्रमुख व्यावसायिक केंद्र के रूप में विकसित करने की योजना थी. हालांकि, खराब प्रबंधन, रख-रखाव की कमी और व्यावसायिक गतिविधियों के अभाव में यह कॉम्प्लेक्स अपनी चमक खो बैठा.
दुकानों और ऑफिस स्पेस के लिए किरायेदारों की कमी के कारण यह परिसर लगभग सुनसान पड़ा रहा. स्थानीय लोगों का कहना है, कि इस कॉम्प्लेक्स में न तो पर्याप्त सुविधाएं थीं और न ही इसे आकर्षक बनाने के लिए कोई खास प्रयास किए गए. अब LDA ने इस कॉम्प्लेक्स को निजी बिल्डर के हवाले करने का फैसला किया है. प्राधिकरण का मानना है, कि निजी क्षेत्र की विशेषज्ञता और निवेश से इस परिसर को आधुनिक व्यावसायिक केंद्र में बदला जा सकता है. इस कदम से न केवल LDA को आर्थिक लाभ होगा, बल्कि शहर को एक नया और आकर्षक व्यावसायिक स्थल भी मिलेगा.
56.50 लाख की लीज और आधुनिकीकरण की योजना: LDA के VC प्रथमेश कुमार के अनुसार इस कॉम्प्लेक्स को आधुनिक शॉपिंग मॉल, ऑफिस स्पेस और मनोरंजन केंद्र के रूप में विकसित करने की योजना है. निजी बिल्डर को इस परिसर को अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस करने की छूट होगी. इसमें मल्टीप्लेक्स, फूड कोर्ट, ब्रांडेड शोरूम और पार्किंग जैसी सुविधाएं शामिल हो सकती हैं. अन्नपूर्णा कॉम्प्लेक्स को निजी हाथों में देने का मकसद इसे शहर की जरूरतों के अनुरूप बनाना है. निजी बिल्डर के पास संसाधन और विशेषज्ञता है, जिससे यह परिसर शहरवासियों के लिए उपयोगी बन सकेगा. उन्होंने कहा कि इस प्रक्रिया से प्राधिकरण को नियमित आय होगी, जिसका उपयोग अन्य विकास कार्यों में किया जाएगा.
शान-ए-अवध की सफलता बनी मिसाल: LDA के इस फैसले की तुलना 6 साल पहले लिए गए एक अन्य फैसले से की जा रही है. तब शान-ए-अवध कॉम्प्लेक्स को निजी हाथों में सौंपा गया था. उस समय यह कॉम्प्लेक्स भी बदहाल स्थिति में था, लेकिन निजीकरण के बाद इसे फीनिक्स पलासियो मॉल में बदल दिया गया है. यह मॉल लखनऊ के सबसे लोकप्रिय शॉपिंग और मनोरंजन केंद्रों में से एक है.
यहां मल्टीप्लेक्स, बड़े ब्रांड्स के शोरूम, फूड कोर्ट और अन्य सुविधाएं उपलब्ध हैं, जो हर आयु वर्ग के लोगों को आकर्षित करती हैं. शान-ए-अवध की सफलता ने LDA को अन्नपूर्णा कॉम्प्लेक्स के लिए भी यही रास्ता अपनाने के लिए प्रेरित किया है. स्थानीय व्यापारियों और निवासियों का मानना है, कि अगर अन्नपूर्णा कॉम्प्लेक्स को भी उसी तरह से विकसित किया गया, तो यह गोमती नगर और आसपास के इलाकों के लिए बड़ा व्यावसायिक केंद्र बन सकता है.
लीज की खास बातें
- 30 वर्ष की अवधि के लिए लीज
- कॉम्प्लेक्स का लीज एवं रखरखाव
- 23500 वर्ग फीट क्षेत्र
- लीज राशि ₹56,50,000 प्रति वर्ष
- प्रति वर्ष 5% की वृद्धि
- आधुनिक बिल्डिंग आर्किटेक्चर
- आकर्षक लॉबी एवं प्रदेश द्वार
- ऑफिस, शॉपिंग, रिटेल एवं वेयरहाउस
- बेहतर वेटिलेशन, विद्युत व्यवस्था, पार्किंग की सुविधा
- फायर सेफ्टी सिस्टम
शहरवासियों को मिलेगा फायदा: निजीकरण के इस कदम से शहरवासियों को कई तरह से फायदा होने की उम्मीद है. सबसे पहले, अन्नपूर्णा कॉम्प्लेक्स के आधुनिकीकरण से स्थानीय लोगों को एक नया शॉपिंग और मनोरंजन केंद्र मिलेगा. इसके अलावा, इस परियोजना से रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे. मॉल और ऑफिस स्पेस में काम करने के लिए कर्मचारियों की जरूरत होगी, जिससे स्थानीय युवाओं को रोजगार मिल सकता है. स्थानीय निवासी रमेश सिंह ने कहा कि अन्नपूर्णा कॉम्प्लेक्स सालों से खाली पड़ा था. अगर इसे मॉल या आधुनिक केंद्र में बदला जाता है, तो यह इलाका और जीवंत हो जाएगा.
आगे की राह और चुनौतियां: लखनऊ जनकल्याण महासमिति के अध्यक्ष उमाशंकर दुबे ने बताया कि इस प्रक्रिया में कुछ चुनौतियां भी हैं. निजीकरण की प्रक्रिया को पारदर्शी और निष्पक्ष रखना LDA के लिए जरूरी होगा. इसके अलावा, यह सुनिश्चित करना भी महत्वपूर्ण है, कि नया कॉम्प्लेक्स आम लोगों की जरूरतों को ध्यान में रखकर बनाया जाए. कुछ स्थानीय लोगों को आशंका है, कि आधुनिकीकरण के नाम पर किराया और कीमतें बढ़ सकती हैं, जिससे छोटे व्यापारियों को नुकसान हो सकता है. LDA ने इन चिंताओं को दूर करने का भरोसा दिया है. प्राधिकरण का कहना है, कि निजी बिल्डर के साथ समझौते में सभी पक्षों के हितों का ध्यान रखा जाएगा. उम्मीद है कि अगले कुछ महीनों में इस परियोजना पर काम शुरू हो जाएगा.