नैनीताल: एलयूसीसी चिटफंड मामला इन दिनों सुर्खियों में हैं. इसे लेकर आज नैनीताल हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. मामले की सुनवाई के बाद मुख्य न्यायधीश जी नरेंद्र के न्यायमूर्ती पंकज पुरोहित की खण्डपीठ ने सख्त रुख अपानाया. उन्होंने एसएसपी पौड़ी व देहरादून को कड़े निर्देश दिये. जिसमें एलयूसीसी की शिकायतों से संबधित थानों के एसएचओ को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये पेश होने को कहा. मामले की अगली सुनवाई 8 अप्रैल को होगी.
मामले के अनुसार ऋषिकेश निवासी आशुतोष शर्मा ने उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर की. जिसमें बताया कि उत्तराखंड में एलयूसीसी नामक चिटफंड कंपनी ने वर्ष 2014 से लोगों को पैसा दोगना करने व अन्य बैंकों से अधिक ब्याज देने का लालच देकर पैसा जमा कराया. इस काम के लिए स्थानीय लोगो को कंपनी में नौकरी दी गई. जब लोगों का पैसा लौटाने का समय आया तो वर्ष 2023 में कम्पनी के लोगो की गाढ़ी कमाई का 2 करोड़ 29 लाख ₹ लेकर फरार हो गई.
याचिकाकर्ता का कहना है कि उक्त कम्पनी के खिलाफ न तो राज्य सरकार ने कोई एफआईआर दर्ज कराई गई और न ही चिटफंड कंपनी से लोगों का पैसा वापस दिलाने के कोई प्रयास किए गए. जिससे क्षुब्ध होकर उन्हें न्यायालय की शरण लेनी पड़ी. याचिका में यह भी कहा गया कि वर्तमान में भी कई इस तरह की कम्पनियां राज्य के सीधे साढ़े लोगो को झूठा आश्वासन देकर ठग रही हैं. इससे पहले भी क्रिस्टल, जेबीजे नाम की कंपनी का शिकार राज्य की भोली जनता हो चुकी है, इसलिए राज्य सरकार इनपर लगाम लगाए.
इस मामले में शिकायत करने पर राज्य सरकार ने इनके एजेंटों के खिलाफ कोटद्वार में दो और पौड़ी में एक के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया, लेकिन उसपर आज की तिथि तक कोई प्रगति नहीं हुई. कम्पनी के असली मालिक अपना ऑफिस बंद कर दूसरे राज्य में अपना काम चला रहे हैं. जनहित याचिका में कहा गया है कि इस तरह से चल रही फर्जी कम्पनियों पर राज्य सरकार लगाम लगाए. साथ ही जनता का पैसा वापस दिलाये.
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