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यूपी के स्वास्थ्य महानिदेशक ने कहा- लोकबंधु अस्पताल में शॉर्ट सर्किट से नहीं, सिगरेट से लगी थी आग - LOKBANDHU HOSPITAL

लोकबंधु अस्पताल में लगी आग के कारणों की रिपोर्ट 6 दिन बाद शासन को सौंपी जाएगी.

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लोकबंधु अस्पताल (picture credit ; ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : April 18, 2025 at 3:38 PM IST

4 Min Read

लखनऊ : लोकबंधु अस्पताल में बीते सोमवार को रात में भयानक आग लगी थी. जिसके चलते मरीजों को लखनऊ के विभिन्न अस्पतालों में रेफर किया गया था. सभी मरीजों का इलाज सही से चल रहा है और इस पर जांच के लिए टीम गठित हुई है. बीते दिन टीम ने जांच की इसको लेकर की.

स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ. रतन पाल सिंह सुमन ने कहा कि जांच के बाद प्रथम दृष्टि पाया गया कि आग लगने का कारण शॉर्ट सर्किट नहीं. बल्कि, सिगरेट से लगी थी. फिलहाल इसकी और भी जांच चल रही है. 6 दिन बाद शासन को पूरी रिपोर्ट सौंपी जाएगी.


लोकबंधु अस्पताल में आग लगने की घटना के बाद इलाज की व्यवस्था धीरे-धीरे पटरी पर लौटने लगी है. बीते गुरुवार को ओपीडी में करीब 1400 से अधिक मरीजों का इलाज किया गया और 45 मरीजों को भर्ती भी किया गया. खून की जांच भी शुरू करा दी गई है. बीते दिन बुधवार को कुछ हल्के-फुल्की जांच शुरू हुई थी. वहीं 632 मरीज ओपीडी में इलाज करने के लिए पहुंचे थे.

बीते गुरुवार को सामान्य तौर पर ओपीडी संचालित हुई. और खून की सभी जांच सामान्य तौर पर शुरू हो गई है. पैथोलॉजी में 389 मरीजों का सैंपल को लिया गया. बता दें कि 300 बेड वाले इस अस्पताल में बीते सोमवार रात आग लग गई थी. इससे भर्ती 253 मरीजों को अलग-अलग अस्पतालों में शिफ्ट कराया गया था. आईसीयू और महिला मेडिसिन वार्ड पूरी तरह से प्रभावित हुआ था.

अगले दिन मंगलवार को जैसे तैसे सिर्फ ओपीडी और इमरजेंसी का संचालन शुरू कराया जा सका. स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग को पूरी तरह से बंद रखना पड़ा. ऑपरेशन भी टाले जा रहे हैं. घटना के बाद से अस्पताल प्रशासन व्यवस्थाओं को फिर से दुरुस्त करने में जुटा है. सीएमएस डॉ राजीव दीक्षित ने कहा कि शुक्रवार को ओपीडी में करीब दो हजार मरीजों को इलाज मुहैया कराया गया.

साथ ही 45 बेड पर मरीजों को भर्ती करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है. दोपहर तीन बजे तक तीन मरीज भर्ती किए गए. अधिकारियों का कहना है कि सभी प्रकार की खून की जांच शुरू करा दी गई है. इमरजेंसी में मरीजों की भर्ती मंगलवार से ही किया जा रही है.

बीते बुधवार से अस्पताल प्रशासन ने गाइनी ओटी शुरू करा दिया. ग्राउंड फ्लोर पर स्थित इमरजेंसी ओटी में गर्भवती के सिजेरियन व नॉर्मल डिलीवरी शुरू करा दी गई है. चिकित्सा अधीक्षक डॉ. अजय शंकर ने बताया गाइनी ओटी शुरू हो गई है. दो दिन बाद पहले तल पर स्थित आर्थो ओटी को शुरू कराया जाएगा. ताकि, मरीजों को परेशानी न हो.

सात सदस्य टीम कर रही जांच : उत्तर प्रदेश के चिकित्सा स्वास्थ्य मंत्री ब्रजेश पाठक ने सात सदस्य टीम गठित की है. ताकि, इस पूरे मामले की जांच हो सकें. इस दौरान उन्होंने कहा भी था कि यदि को दोषी पाया जाता है तो उस पर कड़ी कार्रवाई होगी. बीते दिन बुधवार से जांच शुरू हो गई है.

इन बिंदुओं पर चल रही जांच

  • आग और धुएं के पैटर्न की जांच की जाएगी, इसके लिए निशान और अन्य साक्ष्यों का विश्लेषण होगा.
  • जले हुए पदार्थों का विश्लेषण किया जाएगा, साथ ही प्रभावित क्षेत्र के फोटो और वीडियो रिकॉर्ड देखे जाएंगे.
  • मौके पर मौजूद मरीजों के तीमारदारों से लेकर कर्मचारियों और प्रत्यक्षदर्शियों के बयान दर्ज किए जाएंगे.
  • मौके पर जाकर पता लगाएंगे कि आग की शुरुआत कहां से हुई, यह किस तरह से फैली, इसका जवाब तलाशा जाएगा.
  • यह भी पता किया जाएगा कि आग किसी लापरवाही से फैली या किसी ने जानबूझ कर तो नहीं लगाई.
  • जांच टीम आग की गतिशीलता का भी अध्ययन करेगी, पता लगाएगी कि अचानक कैसे इतनी विकराल हो गई.

यह भी पढ़ें - लोकबंधु अस्पताल अग्निकांड की आंखों देखी; धुआं इतना कि कुछ दिखना था मुश्किल, डॉक्टर ने बचाई बुजुर्ग मरीज की जान - FIRE IN LOKBANDHU HOSPITAL

इसे भी पढ़ें - लोकबंधु अस्पताल अग्निकांड; जांच के लिए पांच सदस्यीय कमेटी गठित, रेस्क्यू में शामिल 10 कर्मचारियों की बिगड़ी तबीयत - LUCKNOW NEWS

लखनऊ : लोकबंधु अस्पताल में बीते सोमवार को रात में भयानक आग लगी थी. जिसके चलते मरीजों को लखनऊ के विभिन्न अस्पतालों में रेफर किया गया था. सभी मरीजों का इलाज सही से चल रहा है और इस पर जांच के लिए टीम गठित हुई है. बीते दिन टीम ने जांच की इसको लेकर की.

स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ. रतन पाल सिंह सुमन ने कहा कि जांच के बाद प्रथम दृष्टि पाया गया कि आग लगने का कारण शॉर्ट सर्किट नहीं. बल्कि, सिगरेट से लगी थी. फिलहाल इसकी और भी जांच चल रही है. 6 दिन बाद शासन को पूरी रिपोर्ट सौंपी जाएगी.


लोकबंधु अस्पताल में आग लगने की घटना के बाद इलाज की व्यवस्था धीरे-धीरे पटरी पर लौटने लगी है. बीते गुरुवार को ओपीडी में करीब 1400 से अधिक मरीजों का इलाज किया गया और 45 मरीजों को भर्ती भी किया गया. खून की जांच भी शुरू करा दी गई है. बीते दिन बुधवार को कुछ हल्के-फुल्की जांच शुरू हुई थी. वहीं 632 मरीज ओपीडी में इलाज करने के लिए पहुंचे थे.

बीते गुरुवार को सामान्य तौर पर ओपीडी संचालित हुई. और खून की सभी जांच सामान्य तौर पर शुरू हो गई है. पैथोलॉजी में 389 मरीजों का सैंपल को लिया गया. बता दें कि 300 बेड वाले इस अस्पताल में बीते सोमवार रात आग लग गई थी. इससे भर्ती 253 मरीजों को अलग-अलग अस्पतालों में शिफ्ट कराया गया था. आईसीयू और महिला मेडिसिन वार्ड पूरी तरह से प्रभावित हुआ था.

अगले दिन मंगलवार को जैसे तैसे सिर्फ ओपीडी और इमरजेंसी का संचालन शुरू कराया जा सका. स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग को पूरी तरह से बंद रखना पड़ा. ऑपरेशन भी टाले जा रहे हैं. घटना के बाद से अस्पताल प्रशासन व्यवस्थाओं को फिर से दुरुस्त करने में जुटा है. सीएमएस डॉ राजीव दीक्षित ने कहा कि शुक्रवार को ओपीडी में करीब दो हजार मरीजों को इलाज मुहैया कराया गया.

साथ ही 45 बेड पर मरीजों को भर्ती करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है. दोपहर तीन बजे तक तीन मरीज भर्ती किए गए. अधिकारियों का कहना है कि सभी प्रकार की खून की जांच शुरू करा दी गई है. इमरजेंसी में मरीजों की भर्ती मंगलवार से ही किया जा रही है.

बीते बुधवार से अस्पताल प्रशासन ने गाइनी ओटी शुरू करा दिया. ग्राउंड फ्लोर पर स्थित इमरजेंसी ओटी में गर्भवती के सिजेरियन व नॉर्मल डिलीवरी शुरू करा दी गई है. चिकित्सा अधीक्षक डॉ. अजय शंकर ने बताया गाइनी ओटी शुरू हो गई है. दो दिन बाद पहले तल पर स्थित आर्थो ओटी को शुरू कराया जाएगा. ताकि, मरीजों को परेशानी न हो.

सात सदस्य टीम कर रही जांच : उत्तर प्रदेश के चिकित्सा स्वास्थ्य मंत्री ब्रजेश पाठक ने सात सदस्य टीम गठित की है. ताकि, इस पूरे मामले की जांच हो सकें. इस दौरान उन्होंने कहा भी था कि यदि को दोषी पाया जाता है तो उस पर कड़ी कार्रवाई होगी. बीते दिन बुधवार से जांच शुरू हो गई है.

इन बिंदुओं पर चल रही जांच

  • आग और धुएं के पैटर्न की जांच की जाएगी, इसके लिए निशान और अन्य साक्ष्यों का विश्लेषण होगा.
  • जले हुए पदार्थों का विश्लेषण किया जाएगा, साथ ही प्रभावित क्षेत्र के फोटो और वीडियो रिकॉर्ड देखे जाएंगे.
  • मौके पर मौजूद मरीजों के तीमारदारों से लेकर कर्मचारियों और प्रत्यक्षदर्शियों के बयान दर्ज किए जाएंगे.
  • मौके पर जाकर पता लगाएंगे कि आग की शुरुआत कहां से हुई, यह किस तरह से फैली, इसका जवाब तलाशा जाएगा.
  • यह भी पता किया जाएगा कि आग किसी लापरवाही से फैली या किसी ने जानबूझ कर तो नहीं लगाई.
  • जांच टीम आग की गतिशीलता का भी अध्ययन करेगी, पता लगाएगी कि अचानक कैसे इतनी विकराल हो गई.

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