शिमला: हिमाचल में वर्तमान कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष का तीन साल का कार्यकाल पूरा हो चुका है. ऐसे में प्रदेश में दो धड़ों में बंटी कांग्रेस में अध्यक्ष पद के लिए लॉबिंग तेज हो गई है. हालांकि, कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष से पहले अभी कार्यकारिणी का गठन होना है, जो पिछले कई महीनों से भंग चल रही है. लेकिन कांग्रेस में अध्यक्ष के पावर फुल पद को देखते हुए इसके लिए भी नेताओं की दिल्ली दौड़ शुरू हो गई है. मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू बुधवार को ही दिल्ली चले गए हैं.
हालांकि, मुख्यमंत्री वित्त आयोग और वित्त मंत्रालय से लेकर नीति आयोग गवर्निंग काउंसिल की मीटिंग अटेंड करने का पहले से ही कार्यक्रम तय है. वे रविवार को वापस शिमला लौटेंगे, लेकिन इस बीच मुख्यमंत्री कांग्रेस अध्यक्ष और कार्यकारिणी के गठन को लेकर शीर्ष नेतृत्व से भी चर्चा कर सकते हैं. इसको देखते हुए प्रदेश में सियासी हलचल तेज हो गई है. दोनों ही गुट अपने-अपने समर्थकों के लिए अध्यक्ष पद दिलाने के लॉबिंग कर रहे हैं.
डिप्टी सीएम भी जाएंगे दिल्ली
मुख्यमंत्री के बाद अब डिप्टी सीएम मुकेश अग्निहोत्री भी आज दिल्ली जा रहे हैं. उनका भी दिल्ली में पार्टी के शीर्ष नेताओं से मिलने का कार्यक्रम बताया जा रहा है. इसी तरह से कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष एवं अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के राष्ट्रीय प्रवक्ता कुलदीप राठौर भी दिल्ली निकल गए हैं. बता दें कि कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष के लिए कुलदीप सिंह राठौर का भी नाम चल रहा है. हालांकि, अध्यक्ष बनने से वे कुछ दिन पहले इनकार कर चुके हैं. बताया जा रहा है कि उनका एआईसीसी मीडिया विभाग की बैठक में भाग लेने का कार्यक्रम तय है. ऐसे में दिल्ली दौरे के दौरान हिमाचल प्रदेश कांग्रेस प्रभारी रजनी पाटिल सहित अन्य बड़े नेताओं से मुलाकात कर सकते हैं.
सीएम के करीबी को मिल सकती है बागडोर
हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष को बदले जाने की संभावना जताई जा रही है. ऐसे अगर पार्टी अध्यक्ष को बदला जाता है तो मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के करीबी को नई जिम्मेदारी मिलने की संभावना है. मुख्यमंत्री पहले बार कई बार दिल्ली जाकर पार्टी ने शीर्ष नेतृत्व से मुलाकात कर चुके हैं. इस दौरान वे कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष सहित कार्यकारिणी के गठन को लेकर अपनी बात हाईकमान के समक्ष रख चुके हैं. वहीं, होली लॉज समर्थक धड़ा प्रतिभा सिंह के कार्यकाल को ही कंटिन्यू करने की पर भी कर रहा है. ऐसे में दो धड़ों के बीच तालमेल बिठाना हाई कमान के लिए भी एक बड़ी चुनौती है.