रायपुर: डिप्टी सीएम विजय शर्मा ने कहा है कि अगर नक्सली शांति वार्ता चाहते हैं तो हम भी बातचीत के लिए तैयार हैं. मीडिया से बातचीत में विजय शर्मा ने कहा कि नक्सली हिंसा का रास्ता छोड़ समाज की मुख्यधारा में शामिल हों ये हम सभी चाहते हैं. उनके लाइफ सेटल होने तक सरकार उनके साथ खड़ी रहेगी. विजय शर्मा ने कहा कि सरकार के पास अभी साढ़े तीन साल का वक्त बचा है. इन साढ़े तीन सालों में सबकुछ ठीक हो जाएगा.
''हम बातचीत के लिए तैयार'': डिप्टी सीएम ने कहा कि नक्सलियों का एक खत सामने आया है. खत नक्सलियों के उत्तर पश्चिम सब जोनल कमेटी के द्वारा जारी किया गया है. खत सब जोनल ब्यूरो रुपेश के नाम से लिखा गया है. विजय शर्मा ने कहा कि खत की पुष्टि की गई है. खत नक्सलियों की ओर से ही जारी किया गया है. शर्मा ने कहा कि मैं भी मीडिया के जरिए उनतक ये बात पहुंचाना चाहता हूं कि आप हिंसा का रास्ता छोड़ें. नक्सलियों की ओर से जो खत जारी किया गया है उसमें कहा गया है कि वो गांवों तक स्कूल, अस्पताल, आंगनबाड़ी और राशन दुकान के विरोधी नहीं हैं. गांवों तक बिजली, पानी और सड़क क्यों नहीं पहुंची, गांव के लोग टीवी से क्यों महरुम रहे.
नक्सलियों से शांतिवार्ता: माओवादियों के जारी किए गए खत में ये भी कहा गया कि शांति वार्ता के लिए बनी समिति के साथियों हम अपील कर रहे हैं कि इस वार्ता की प्रक्रिया को आगे ले जाएं. डिप्टी सीएम ने कहा कि मैं स्पष्ट रुप से कहना चाहता हूं कि ना कोई समिति है न कोई हम प्रतिनिधि बनाएंगे, इस तरह की समिति पहले बनाई गई थी लेकिन आज तक उसपर अमल नहीं हुआ. बस्तर तक विकास पहुंचे ये हमारी प्राथमिकता है, हम इसके लिए दृढ़ संकल्पित हैं.
''समिति और प्रतिनिधि नहीं बनाएंगे'': विजय शर्मा ने कहा कि सरकार न कोई समिति बनाएगी ना ही कोई प्रतिनिधि बनाएगी. इस बात पर सवाल विधानसभा में विपक्ष ने भी पूछा था, वहां भी हमने स्पष्ट रूप से कहा था की हम कोई समिति नहीं बनाएंगे. किसी को भी वार्ता के लिए नहीं भेजेंगे. नक्सली चर्चा करना चाहते हैं इसके लिए सरकार तैयार है. अच्छी पुनर्वास नीति के साथ हम बातचीत के लिए तैयार हैं.
सरकार की पुनर्वास नीति: डिप्टी सीएम ने कहा कि नक्सलियों ने पत्र में जिस समिति की बात लिखी है उसकी कोई जानकारी हमारे पास नहीं है. अगर ऐसी कोई समिति है तो हम उसकी पूरी सुरक्षा की जिम्मेदारी और गारंटी लेते हैं. आएं बैठे और सरकार से चर्चा करें. विजय शर्मा ने नई पुनर्वास नीति को लेकर बताया कि इस नीति के तहत प्रावधान है कि नक्सली सरेंडर करके सरकार के साथ चलेंगे तो उनके खिलाफ जो प्रकरण और मामले हैं उन्हें सरकार वापस ले लेगी, कोई कार्रवाई नहीं करेगी.
नक्सलियों पर दर्ज केस: उप मुख्यमंत्री ने कहा कि जिन नक्सलियों के पुराने प्रकरण हैं जिसमें 5 साल या 7 साल हुए हैं. सरकार के साथ चलेंगे तो ऐसे प्रकरणों को भी वापस लिया जाएगा. केंद्रीय गृह मंत्री का साफ कहना है कि चाहे वह एक नक्सली हो या फिर कोई समूह हो या फिर कोई बड़ा लीडर हो हम सब के साथ वार्ता के लिए तैयार हैं. जो सरेंडर करना चाहता है वह सरेंडर भी कर सकते हैं. असम ने ऐसा प्रमाण भी प्रस्तुत किया है जब बस्तर ओलंपिक हो रहा था, असम के बोडोलैंड के आंदोलन वाले जो आतंकवादी कहे गए थे. जिन्होंने 10 हजार की संख्या में सरकार के सामने समर्पण किया था, जो वर्तमान में बड़ी-बड़ी संस्थाओं में काम करने के साथ ही कुछ विधायक भी हैं.