अलवर. विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने राज्य की भाजपा सरकार के नए जिलों को खत्म करने के प्रयास पर करारा हमला बोला और कहा कि गहलोत सरकार ने लोगों की सुविधा के लिए छोटे जिलों का गठन किया था, लेकिन भजनलाल सरकार राजनीतिक कारणों के चलते इन्हें खत्म करने पर तुली है.
नेता प्रतिपक्ष जूली ने कहा कि जनसंख्या विस्तार और जनसंख्या के अनुरूप नागरिकों को समीप ही राजकीय सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने 5 साल के दौरान प्रदेश में 1284 राजस्व ग्राम, 96 नवीन पटवार मंडल, 32 भू-अभिलेख निरीक्षक सर्किल, 125 उपतहसील, 85 तहसील, 35 उपखंड कार्यालय, 13 एडीएम और एक सहायक कलेक्टर ऑफिस खोले. इन नए ऑफिसों की बेहतर मॉनिटरिंग के लिए जिला स्तरीय कार्यालयों की जरूरत आई.
राजस्थान में भी नए जिले बनाने की थी जरूरत : देश के अन्य राज्यों की तुलना में राजस्थान बड़ा प्रदेश होने के बाद भी यहां जिलों की संख्या कम थी. इस कारण लोगों को अपने कामकाज के लिए जिला मुख्यालय की लंबी दूरी तय करनी पड़ती थी. उन्होंने बताया कि मध्य प्रदेश की 7.27 करोड़ की आबादी में 53 जिले, छत्तीसगढ़ की 2.65 करोड़ में 33 जिले हैं. वहीं राजस्थान की आबादी 7 करोड़ होने के बाद भी मात्र 33 जिले थे. नए जिलों के गठन से पूर्व राजस्थान में हर जिले की औसत आबाादी 35.42 लाख व क्षेत्रफल 12,147 वर्ग किलोमीटर था. इस कारण पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने राजस्थान में नए जिलों का गठन कर संख्या 50 कर दी. अब नए जिले बनने के बाद जिलों की औसत आबादी 15.35 लाख व क्षेत्रफल 5268 वर्ग किलोमीटर हो गया.
छोटे जिलों से यह होता है लाभ : कम आबादी वाले जिलों में सरकार की प्लानिंग की सफलता ज्यादा होती है. छोटे जिलों में कानून व्यवस्था की स्थिति बहाल रखना भी आसान होता है. सरकार के लिए प्रशासनिक दृष्टि से छोटे जिले ही बेहतर होते हैं. नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि वर्तमान भाजपा सरकार केवल राजनीति चमकाने के उद्देश्य से नए जिलों को खत्म करने के प्रयास में जुटी है.