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वक्फ संशोधन विधेयक बिल पर आई बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी की प्रतिक्रिया, जानिए क्या कहा - BABULAL MARANDI WELCOME WAQF BILL

नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने वक्फ बोर्ड संशोधन विधेयक का स्वागत किया है. उन्होंने मौजूदा विधेयक को सच्चर समिति की रिपोर्ट पर आधारित बताया है.

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Published : April 2, 2025 at 7:31 PM IST

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रांची: लोकसभा में पेश हुए वक्फ संशोधन बिल पर सियासत शुरू हो गई है. झारखंड बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने वक्फ बोर्ड संशोधन विधेयक का स्वागत किया है. बीजेपी नेता बाबूलाल मरांडी ने मुस्लिम समाज के गरीब, महिलाओं को उनके हक और अधिकार दिलाने वाला विधेयक बताया है. नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने कांग्रेस सहित इंडिया गठबंधन के द्वारा किए जा रहे विरोध को नौटंकी कहा है.

बाबूलाल मरांडी कहा कि वक्फ संशोधन बिल का जो दल विरोध कर रहे हैं, वह मुस्लिम समाज की महिलाओं की प्रगति और विकास को नहीं देखना चाहते हैं. वक्फ बोर्ड को भू-माफियाओं और लुटेरों के चंगुल से मुक्त कराकर गरीब मुसलमानों के हित में इस्तेमाल करना बहुत जरूरी है. लेकिन कुछ लोग इसे गरीब मुसलमानों के हित में इस्तेमाल करने की बदले भू-माफियाओं की कठपुतली बनकर काम कर रहे हैं. यह दुखद है, उन्हें गरीब मुसलमानों की चिंता करनी चाहिए.

असंवैधानिक नहीं है विधेयक: बाबूलाल मरांडी

बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने बिल को लेकर कहा कि विधेयक कहीं से भी असंवैधानिक नहीं है. आजादी के पहले से वक्फ है और आजादी से पहले भी इसमें संशोधन हुआ है. अब से पहले तक इस एक्ट में 5 बार संशोधन हो चुके हैं. आजादी के बाद 1954 में अंग्रेजों के समय से चले आ रहे वक्फ एक्ट को रेगुलेट कर वक्फ एक्ट बनाया गया था. इसके बाद साल 1995 में नया वक्फ बोर्ड एक्ट आया.

यूपीए सरकार ने दिए थे वक्फ बोर्ड को असीमित अधिकार: नेता प्रतिपक्ष

नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने कहा कि 2013 में कांग्रेस की यूपीए सरकार ने इसमें गैरकानूनी तरीके से संशोधन कर वक्फ बोर्ड को असीमित अधिकार दे दिया था. जिसके तहत वक्फ बोर्ड किसी भी जमीन पर अपना अधिकार जता सकता था. वक्फ से जुडी समस्या केवल मुसलमानों की नहीं है, बल्कि इससे बड़े पैमाने पर हिंदू, ईसाई, सिख, बौद्ध और यहां तक की मुस्लिम वर्ग भी खुद पीड़ित हैं. कई ऐसे मामले पेश हुए हैं जिसमें वक्फ ने मनमाने तरीके से मंदिरों, गुरुद्वारों और यहां तक कि पूरे गांव को ही वक्फ की प्रॉपर्टी बता दिया.

इस मामले में कोलकाता हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ को एक धार्मिक बोर्ड नहीं माना है. बल्कि इसे वक्फ अधिनियम के तहत स्थापित एक ट्रस्ट या संस्था के रूप में देखा है, जो संपत्ति के प्रबंधन और रखरखाव से संबंधित है. नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी का मानना है कि वक्फ अमेंडमेंट एक्ट से वक्फ में पहले से रजिस्टर्ड भू-संपत्तियों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा. जिन मुद्दों पर विवाद चल रहा है, उसका निपटारा कोर्ट के आदेश पर होगा.

मौजूदा विधेयक सच्चर समिति की रिपोर्ट पर आधारित: बाबूलाल मरांडी

वक्फ अमेंडमेंट एक्ट बस राज्य वक्फ बोर्डों की शक्तियों, वक्फ संपत्तियों के पंजीकरण, सर्वेक्षण और अतिक्रमण हटाने से संबंधित मुद्दों को प्रभावी ढंग से संबोधित करना है. उन्होंने कहा कि जो विधेयक लाया गया है वह सच्चर समिति की रिपोर्ट पर आधारित है, जिसे कांग्रेस ने बनाया था. इस विधेयक से किसी भी धार्मिक संस्था की स्वतंत्रता में कोई हस्तक्षेप नहीं होगा.

ये भी पढ़े: वक्फ संशोधन बिल के खिलाफ SDPI समर्थकों का प्रदर्शन, प्रदेश अध्यक्ष बोले- वक्फ की संपत्ति पर कब्जा करना चाहती है मोदी सरकार

वक्फ संशोधन विधेयक को कांग्रेस ने बताया असंवैधानिक, वन अधिकार अधिनियम की उपेक्षा का भी लगाया आरोप

वक्फ बिल पर एआईएमआईएम प्रवक्ता शोएब जमई का बयान, कहा- देश भर में करेंगे आंदोलन

रांची: लोकसभा में पेश हुए वक्फ संशोधन बिल पर सियासत शुरू हो गई है. झारखंड बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने वक्फ बोर्ड संशोधन विधेयक का स्वागत किया है. बीजेपी नेता बाबूलाल मरांडी ने मुस्लिम समाज के गरीब, महिलाओं को उनके हक और अधिकार दिलाने वाला विधेयक बताया है. नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने कांग्रेस सहित इंडिया गठबंधन के द्वारा किए जा रहे विरोध को नौटंकी कहा है.

बाबूलाल मरांडी कहा कि वक्फ संशोधन बिल का जो दल विरोध कर रहे हैं, वह मुस्लिम समाज की महिलाओं की प्रगति और विकास को नहीं देखना चाहते हैं. वक्फ बोर्ड को भू-माफियाओं और लुटेरों के चंगुल से मुक्त कराकर गरीब मुसलमानों के हित में इस्तेमाल करना बहुत जरूरी है. लेकिन कुछ लोग इसे गरीब मुसलमानों के हित में इस्तेमाल करने की बदले भू-माफियाओं की कठपुतली बनकर काम कर रहे हैं. यह दुखद है, उन्हें गरीब मुसलमानों की चिंता करनी चाहिए.

असंवैधानिक नहीं है विधेयक: बाबूलाल मरांडी

बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने बिल को लेकर कहा कि विधेयक कहीं से भी असंवैधानिक नहीं है. आजादी के पहले से वक्फ है और आजादी से पहले भी इसमें संशोधन हुआ है. अब से पहले तक इस एक्ट में 5 बार संशोधन हो चुके हैं. आजादी के बाद 1954 में अंग्रेजों के समय से चले आ रहे वक्फ एक्ट को रेगुलेट कर वक्फ एक्ट बनाया गया था. इसके बाद साल 1995 में नया वक्फ बोर्ड एक्ट आया.

यूपीए सरकार ने दिए थे वक्फ बोर्ड को असीमित अधिकार: नेता प्रतिपक्ष

नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने कहा कि 2013 में कांग्रेस की यूपीए सरकार ने इसमें गैरकानूनी तरीके से संशोधन कर वक्फ बोर्ड को असीमित अधिकार दे दिया था. जिसके तहत वक्फ बोर्ड किसी भी जमीन पर अपना अधिकार जता सकता था. वक्फ से जुडी समस्या केवल मुसलमानों की नहीं है, बल्कि इससे बड़े पैमाने पर हिंदू, ईसाई, सिख, बौद्ध और यहां तक की मुस्लिम वर्ग भी खुद पीड़ित हैं. कई ऐसे मामले पेश हुए हैं जिसमें वक्फ ने मनमाने तरीके से मंदिरों, गुरुद्वारों और यहां तक कि पूरे गांव को ही वक्फ की प्रॉपर्टी बता दिया.

इस मामले में कोलकाता हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ को एक धार्मिक बोर्ड नहीं माना है. बल्कि इसे वक्फ अधिनियम के तहत स्थापित एक ट्रस्ट या संस्था के रूप में देखा है, जो संपत्ति के प्रबंधन और रखरखाव से संबंधित है. नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी का मानना है कि वक्फ अमेंडमेंट एक्ट से वक्फ में पहले से रजिस्टर्ड भू-संपत्तियों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा. जिन मुद्दों पर विवाद चल रहा है, उसका निपटारा कोर्ट के आदेश पर होगा.

मौजूदा विधेयक सच्चर समिति की रिपोर्ट पर आधारित: बाबूलाल मरांडी

वक्फ अमेंडमेंट एक्ट बस राज्य वक्फ बोर्डों की शक्तियों, वक्फ संपत्तियों के पंजीकरण, सर्वेक्षण और अतिक्रमण हटाने से संबंधित मुद्दों को प्रभावी ढंग से संबोधित करना है. उन्होंने कहा कि जो विधेयक लाया गया है वह सच्चर समिति की रिपोर्ट पर आधारित है, जिसे कांग्रेस ने बनाया था. इस विधेयक से किसी भी धार्मिक संस्था की स्वतंत्रता में कोई हस्तक्षेप नहीं होगा.

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