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बक्सर के लाल सुनील सिंह को नम आंखों से दी गई विदाई, ऑपरेशन सिंदूर में हुए थे शहीद - MARTYR SUNIL SINGH

ऑपरेशन सिंदूर में और शहीद हुए जवान सुनील सिंह पार्थिव शरीर उनके गांव लाया गया. राजकीय सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी गई.

martyr Sunil Singh
शहीद जवान सुनील सिंह (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : June 8, 2025 at 3:00 PM IST

3 Min Read

बक्सर: बिहार के बक्सर में 46 वर्षीय शहीद जवान सुनील सिंह का पार्थिव शरीर उनके पैतृक गांव नरबत पुर में लाया गया. 9 मई को ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तानी ड्रोन हमले में गंभीर रूप से घायल हुए सुनील ने 27 दिनों तक उधमपुर सैन्य अस्पताल में जीवन के लिए संघर्ष किया. हालांकि 5 जून को उन्होंने अंतिम सांस ली. जैसे ही उनके पार्थिव शरीर को गांव लाया गया, हजारों लोग उनकी एक झलक पाने के लिए उमड़ पड़े और भारत माता की जय के नारों से पूरा इलाका गूंज उठा.

रानी घाट पर जवान को अंतिम विदाई: शहीद सुनील सिंह को अंतिम विदाई देने के लिए नरबत पुर में हजारों की भीड़ उमड़ पड़ी. रानी घाट पर उनके 14 वर्षीय पुत्र ने मुखाग्नि दी, जहां वह पंचतत्व में विलीन हो गए. इस दौरान जिला अधिकारी और पुलिस अधीक्षक ने भी शहीद को सलामी दी, जबकि साथी जवानों ने गार्ड ऑफ ऑनर दिया. हर आंख नम थी, और पूरा माहौल देशभक्ति के जज्बे से सराबोर था.

शहीद जवान सुनील सिंह (ETV Bharat)

तिरंगा यात्रा और 8 किलोमीटर का सम्मान: शहीद के सम्मान में जिले वासियों ने 8 किलोमीटर लंबी तिरंगा यात्रा निकाली. हजारों लोग बाइक पर सवार होकर, हाथों में तिरंगा लिए, शहीद के पार्थिव शरीर के साथ चले. इस दौरान "भारत माता की जय" और "वंदे मातरम" के नारे गूंजते रहे. यह यात्रा न केवल सुनील सिंह के बलिदान को श्रद्धांजलि थी, बल्कि देश के लिए उनके समर्पण का प्रतीक भी बनी. पूरा बक्सर इस शहादत के सम्मान में एकजुट हो उठा.

परिवार का दर्द और गर्व: शहीद सुनील की पत्नी का अपने वीर सपूत के शव से लिपटकर रोना हर किसी की आंखें नम कर गया. उनके छोटे भाई, जो खुद भी फौजी हैं, ने बताया कि "सुनील में हिम्मत कूट-कूटकर भरी थी. वेंटिलेटर पर रहते हुए भी वह मुस्कुराते थे और कहते, "टेंशन मत लो.' सुनील ने देश के लिए अपनी जान न्योछावर की, और यह परिवार के लिए गर्व की बात है, भले ही दर्द असहनीय हो."

martyr Sunil Singh
सुनील सिंह को नम आंखों से दी गई विदाई (ETV Bharat)

ऑपरेशन सिंदूर में बलिदान: सुनील सिंह रजौरी में तैनात थे, जहां ऑपरेशन सिंदूर के तहत 9 मई को पाकिस्तानी ड्रोन हमले में वह बुरी तरह घायल हो गए. प्राथमिक उपचार के बाद उन्हें उधमपुर सैन्य अस्पताल में भर्ती किया गया, जहां 27 दिनों तक उनका इलाज चला लेकिन, गंभीर चोटों के कारण वह जीवन की जंग हार गए. उनकी शहादत ने न केवल बक्सर, बल्कि पूरे देश को गर्व और दुख के मिश्रित भावों से भर दिया.

martyr Sunil Singh
बक्सर के लाल सुनील सिंह (ETV Bharat)

लोगों में पाकिस्तान के खिलाफ आक्रोश: शहीद सुनील सिंह का अंतिम संस्कार रानी घाट पर पूरे राजकीय सम्मान के साथ संपन्न हुआ. जिला अधिकारी, पुलिस अधीक्षक, और हजारों लोग इस मौके पर मौजूद थे. बक्सर के लोग जहां इस वीर सपूत की शहादत पर गर्व महसूस कर रहे हैं, वहीं पाकिस्तान के खिलाफ आर-पार की लड़ाई न होने का अफसोस भी जता रहे हैं. सुनील सिंह की शहादत ने एक बार फिर देशवासियों को यह याद दिलाया कि हमारे जवान सीमा पर किस तरह अपने प्राणों की आहुति दे रहे हैं.

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रानी घाट पर जवान को अंतिम विदाई: शहीद सुनील सिंह को अंतिम विदाई देने के लिए नरबत पुर में हजारों की भीड़ उमड़ पड़ी. रानी घाट पर उनके 14 वर्षीय पुत्र ने मुखाग्नि दी, जहां वह पंचतत्व में विलीन हो गए. इस दौरान जिला अधिकारी और पुलिस अधीक्षक ने भी शहीद को सलामी दी, जबकि साथी जवानों ने गार्ड ऑफ ऑनर दिया. हर आंख नम थी, और पूरा माहौल देशभक्ति के जज्बे से सराबोर था.

शहीद जवान सुनील सिंह (ETV Bharat)

तिरंगा यात्रा और 8 किलोमीटर का सम्मान: शहीद के सम्मान में जिले वासियों ने 8 किलोमीटर लंबी तिरंगा यात्रा निकाली. हजारों लोग बाइक पर सवार होकर, हाथों में तिरंगा लिए, शहीद के पार्थिव शरीर के साथ चले. इस दौरान "भारत माता की जय" और "वंदे मातरम" के नारे गूंजते रहे. यह यात्रा न केवल सुनील सिंह के बलिदान को श्रद्धांजलि थी, बल्कि देश के लिए उनके समर्पण का प्रतीक भी बनी. पूरा बक्सर इस शहादत के सम्मान में एकजुट हो उठा.

परिवार का दर्द और गर्व: शहीद सुनील की पत्नी का अपने वीर सपूत के शव से लिपटकर रोना हर किसी की आंखें नम कर गया. उनके छोटे भाई, जो खुद भी फौजी हैं, ने बताया कि "सुनील में हिम्मत कूट-कूटकर भरी थी. वेंटिलेटर पर रहते हुए भी वह मुस्कुराते थे और कहते, "टेंशन मत लो.' सुनील ने देश के लिए अपनी जान न्योछावर की, और यह परिवार के लिए गर्व की बात है, भले ही दर्द असहनीय हो."

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सुनील सिंह को नम आंखों से दी गई विदाई (ETV Bharat)

ऑपरेशन सिंदूर में बलिदान: सुनील सिंह रजौरी में तैनात थे, जहां ऑपरेशन सिंदूर के तहत 9 मई को पाकिस्तानी ड्रोन हमले में वह बुरी तरह घायल हो गए. प्राथमिक उपचार के बाद उन्हें उधमपुर सैन्य अस्पताल में भर्ती किया गया, जहां 27 दिनों तक उनका इलाज चला लेकिन, गंभीर चोटों के कारण वह जीवन की जंग हार गए. उनकी शहादत ने न केवल बक्सर, बल्कि पूरे देश को गर्व और दुख के मिश्रित भावों से भर दिया.

martyr Sunil Singh
बक्सर के लाल सुनील सिंह (ETV Bharat)

लोगों में पाकिस्तान के खिलाफ आक्रोश: शहीद सुनील सिंह का अंतिम संस्कार रानी घाट पर पूरे राजकीय सम्मान के साथ संपन्न हुआ. जिला अधिकारी, पुलिस अधीक्षक, और हजारों लोग इस मौके पर मौजूद थे. बक्सर के लोग जहां इस वीर सपूत की शहादत पर गर्व महसूस कर रहे हैं, वहीं पाकिस्तान के खिलाफ आर-पार की लड़ाई न होने का अफसोस भी जता रहे हैं. सुनील सिंह की शहादत ने एक बार फिर देशवासियों को यह याद दिलाया कि हमारे जवान सीमा पर किस तरह अपने प्राणों की आहुति दे रहे हैं.

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