शिमला: हिमाचल के कुल्लू जिले में 126 मेगावाट क्षमता की लारजी जल विद्युत परियोजना को पूरी तरह बहाल कर कार्यशील किया गया है. ये परियोजना 9 और 10 जुलाई, 2023 को ब्यास नदी में आई बाढ़ के कारण पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई थी. इस परियोजना को बहाल करने का काम दो सालों से भी कम समय में पूरा हुआ है. प्रदेश सरकार के दक्ष और मजबूत प्रयासों के कारण ये काम संभव हुआ है, जिससे बड़े आर्थिक नुकसान से बचाव हो पाया है.
राज्य सरकार ने इस योजना को पुनः कार्यशील करने के लिए 25 करोड़ रुपये की राशि आवंटित की. इसके बाद 35 करोड़ रुपये और तत्पश्चात 185.87 करोड़ रुपये की अतिरिक्त राशि स्वीकृत की गई. मुख्यमंत्री ने हिमाचल प्रदेश राज्य विद्युत बोर्ड लिमिटेड के इंजीनियरों और कर्मचारियों की कड़ी मेहनत और समर्पण की सराहना की है. मुख्यमंत्री ने कहा कि इस परियोजना को बहाल करने के लिए कर्मचारियों ने पूर्ण समर्पण से कार्य किया. उनके प्रयासों से लारजी पावर प्रोजेक्ट के यूनिट-1 को 15 जनवरी, 2024 को फिर से शुरू किया गया और 2 मई, 2024 को पॉवर ग्रिड से जोड़ा गया. यूनिट-2 को 9 अगस्त, 2024 को और यूनिट-3 17 जनवरी, 2025 को शुरू की गई. वर्तमान में परियोजना के तीनों टरबाइन कार्यशील हैं और विद्युत उत्पादन आरम्भ कर दिया गया है.'
भविष्य में आपदा ने निपटने के लिए किए गए हैं बचाव
2023 में बाढ़ के कारण टरबाइन इकाइयों के अंदर भारी मात्रा में मलबा जमा हो गया था, जिससे वे कई महीनों तक काम नहीं कर पाए. मशीनों से मलबा हटाना संभव नहीं था, इसलिए मलबे को मजदूरों ने हटाया था. भविष्य में होने वाली प्राकृतिक आपदाओं से बचाव के लिए परियोजना की सुरक्षा के लिए कई निवारक उपाय किए गए हैं. ढलान स्थिरीकरण कार्य के लिए केबल जाल और रॉक-फॉल बैरियर स्थापित किए गए हैं. सर्ज शाफ्ट गेट के पास कार्य पूरा हो गया है और भूस्खलन और गिरने वाले मलबे के जोखिम को कम करने के लिए पॉवर हाउस के प्रवेश द्वार पर कार्य चल रहा है. इसके अतिरिक्त, भारी बाढ़ के दौरान पानी के प्रवेश को रोकने के लिए प्रवेश सुरंग पर एक मजबूत गेट लगाया गया है. इस तरह के एक गेट का निर्माण आपातकालीन निकास सुरंग में भी किया जा रहा है, जिसमें सुरक्षित व जलरोधी प्रणाली सुनिश्चित करने के लिए निर्माण कार्य भी किए जा रहे हैं. 3 अगस्त, 1953 को ब्यास नदी पर स्थित लारजी जल विद्युत परियोजना में बड़ी बाढ़ आई थी। इस बाढ़ में 3838.37 क्यूमेक्स पानी का बहाव था, वहीं वर्ष 2023 में आई बाढ़ में 5600 क्यूमेक्स पानी का बहाव था, जो 1953 की बाढ़ की अपेक्षा काफी अधिक था.