लातेहार: जिले के मनिका प्रखंड के रहने वाले ललन सिंह का चने का सत्तू लातेहार ही नहीं, बल्कि आसपास के इलाकों में भी काफी प्रसिद्ध है. ललन सिंह की खासियत यह है कि सत्तू का ऑर्डर मिलने के बाद वह सत्तू मील ग्राहक के घर ही लेकर चले जाते हैं और ग्राहक के सामने ही शुद्ध चने का सत्तू पीसकर देते हैं. उनका यह अनोखा व्यापार जहां उन्हें बेहतर रोजगार दे रहा है, वहीं बेरोजगारी का रोना रोने वाले लोगों के लिए भी एक सबक हैं.
2019 में की थी व्यवसाय की शुरुआत
दरअसल, लातेहार जिले के मनिका के रहने वाले ललन सिंह रोजगार के अभाव में परेशान थे. इसी बीच वर्ष 2019 में उन्होंने सत्तू का व्यवसाय शुरू किया. उन्होंने अपनी लूना पर सत्तू पीसने का एक छोटी मशीन लगा ली और आसपास के लोगों के घर जाकर सत्तू पीसने का कार्य आरंभ किया. प्रारंभिक चरण में तो उन्हें कुछ परेशानियों का सामना भी करना पड़ा, लेकिन धीरे-धीरे उनका व्यापार चल पड़ा.
ग्राहक के सामने ही शुद्ध चने का सत्तू पीसने के कारण उनके सत्तू की डिमांड भी लगातार बढ़ने लगी. वर्तमान समय में लातेहार जिले के विभिन्न प्रखंड में ग्राहकों की डिमांड के आधार पर वह उनके घरों तक जाते हैं और ग्राहकों के सामने ही शुद्ध चने का सत्तू पीस कर देते हैं.
ग्राहकों का बढ़ा विश्वास
ललन सिंह के द्वारा पूरी तरह शुद्ध सत्तू उपलब्ध कराए जाने के बाद ग्राहकों का विश्वास भी लगातार बढ़ता गया. स्थानीय ग्राहक विनोद बिहारी लाल, अमोद प्रसाद आदि ने कहा कि ललन सिंह का सत्तू वाकई काफी बढ़िया होता है. ग्राहकों ने बताया कि एक तो वह पूरी तरह शुद्ध सत्तू देते हैं. वहीं दूसरी ओर बाजार की अपेक्षा कीमत भी थोड़ी कम होती है.
मिलावट नहीं रहने के कारण यह खाने में स्वादिष्ट होता है. ग्राहकों ने बताया कि जब भी उन्हें सत्तू की जरूरत होती है तो ललन सिंह को फोन कर देते हैं. फोन करने के एक-दो दिन के अंदर ललन सिंह उनके घर आ जाते हैं और उनके सामने ही सत्तू पीस कर दे देते हैं.
1200 से 1500 रुपये रोज हो रही कमाई
इधर, इस संबंध में ललन सिंह ने बताया कि वर्ष 2019 में उन्होंने इस व्यवसाय को आरंभ किया था. धीरे-धीरे उनका यह व्यवसाय अब बढ़ने लगा है. उन्होंने बताया कि प्रतिदिन कम से कम 1200 से लेकर 1500 रुपये तक वह आसानी से कमा लेते हैं. गर्मी का मौसम आने के बाद जब सत्तू का डिमांड बढ़ती है तो उनकी आमदनी और बढ़ जाती है.
ललन सिंह के सत्तू का व्यवसाय उन बेरोजगार लोगों के लिए भी एक सबक है जो बेरोजगारी का रोना रोते हुए हाथ पर हाथ धर कर बैठे रहते हैं. ललन सिंह ने साबित कर दिया कि यदि काम करने का जज्बा हो तो रोजगार पाना मुश्किल नहीं है.
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