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श्याम के राज में राम भरोसे स्वास्थ्य सेवाएं, पंडो जनजाति के लोग हो रहे अंधे, नहीं पहुंची मेडिकल टीम - HEALTH FACILITY

छत्तीसगढ़ के आदिवासी इलाकों में स्वास्थ्य सेवाएं राम भरोसे हैं.

lack of Health facility
श्याम के राज में राम भरोसे स्वास्थ्य सेवाएं (ETV BHARATो CHHATTISGARH)
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : April 9, 2025 at 2:18 PM IST

4 Min Read

मनेंद्रगढ़ चिरमिरी भरतपुर : छत्तीसगढ़ सरकार भले ही स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर बड़े-बड़े दावे कर रही हो.लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है. खासकर आदिवासी बाहुल्य इलाकों में सरकार की कथित योजनाएं सिर्फ कागजों में ही सिमटकर रह गई हैं. जिले के आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र भरतपुर के ग्राम बरेल और इसके आश्रित गांव मंटोलिया के लोगों को स्वास्थ्य सेवाएं नहीं मिल रही है. यही वजह है कि यहां रहने वाले लोग गंभीर बीमारियों से जूझ रहे हैं.आलम ये है कि बरेल उप-स्वास्थ्य केंद्र पर ताला लटका रहता है. हमारी टीम ने जब मौके का निरीक्षण किया तो पाया कि यह स्वास्थ्य केंद्र भी अपने हिसाब से खुलता और बंद होता है. इलाज की कोई सुविधा नहीं है.

पंडो जनजाति के लोग बीमार : ग्रामीणों का कहना है कि जनकपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में भी उन्हें कोई उपचार नहीं मिल रहा है. गांव में पण्डो जनजाति के कई परिवार रहते हैं, लेकिन इनकी हालत ऐसी है जैसे ये इंसान ही नहीं हो. यहां ना तो पक्के मकान हैं और न ही सड़क जैसी बुनियादी सुविधाएं. सरकार और प्रशासन के अधिकारी चुनाव के समय वादों की झड़ी लगाते हैं,लेकिन चुनाव जीतने के बाद कोई झांकने नहीं आता.

lack of Health facility
पंडो जनजाति के लोग हो रहे अंधे (ETV BHARAT CHHATTISGARH)
lack of Health facility
ग्रामीणों को नहीं मिल रहा इलाज (ETV BHARAT CHHATTISGARH)

आंखों की रोशनी गई,लेकिन नहीं मिला इलाज : गांव की बुजुर्ग महिला बेलमती बाई ने बताया कि उनकी आंखों की रोशनी चली गई, लेकिन कोई इलाज नहीं हुआ. वो जनकपुर अस्पताल गई थीं, लेकिन वहां भी कोई मदद नहीं मिली. इसी तरह सुकुवारिया बाई का कहना है कि एक साल से उनकी आंखों की रोशनी जा चुकी है, लेकिन कोई इलाज नहीं करवा रहा. ग्रामवासी कौशल्या बाई के मुताबिक उनके पति की भी आंखों की रोशनी चली गई है और हाथ-पांव सड़ने लगे हैं. वह बीते छह महीने से बीमार हैं, लेकिन गांव में कोई डॉक्टर नहीं आता.

पंडो जनजाति के लोग हो रहे अंधे, नहीं पहुंची मेडिकल टीम (ETV BHARAT CHHATTISGARH)


जनप्रतिनिधियों ने भी नहीं ली सुध : गांव के लोगों की माने तो मितानिन कभी-कभी गांव में आती हैं, लेकिन सिर्फ नाम पूछकर चली जाती हैं.कोई इलाज नहीं होता, कोई दवा नहीं दी जाती. हालात ये हैं कि सरपंच भी आज तक गांव में नहीं आया कि गांव वाले किन हालातों में जी रहे हैं. बदलते समय के साथ जहां सरकारें विकास के दावे कर रही हैं, वहीं इन गांवों में रहने वाले बुजुर्ग अब भगवान से मौत की दुआ कर रहे हैं. गांव के बुजुर्ग लाचार, अंधे और बीमार हैं, लेकिन कोई सुध लेने वाला नहीं.

वर्षों से सरकारें बदलीं.कभी बीजेपी, कभी कांग्रेस—लेकिन इस गांव की किस्मत नहीं बदली. चुनाव के वक्त नेता वादों के पुल बांधते हैं, लेकिन बाद में कोई लौटकर नहीं आता- रामदीन,स्थानीय

जब यह मामला जिला चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. अविनाश खरे के संज्ञान में आया, तो उन्होंने तुरंत भरतपुर ब्लॉक मेडिकल ऑफिसर डॉ. रमन को निर्देशित किया कि मंटोलिया पहुंचकर प्राथमिक जांच की जाए. विशेष रूप से नेत्र परीक्षण एवं उपचार तत्काल शुरू किया जाए.

जिले के अंतिम छोर तक स्वास्थ्य सुविधाएं पहुंचाना मेरी सर्वोच्च प्राथमिकता है.अगर कहीं लापरवाही हुई है तो उसे सुधारा जाएगा.मेडिकल टीम को भेजा जा रहा है और आवश्यकतानुसार मेडिकल कैंप भी लगाया जाएगा- डॉ अविनाश खरे, सीएमएचओ

छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री श्यामबिहारी जायसवाल इस क्षेत्र से आते हैं.इस विधानसभा में बीजेपी विधायक रेणुका सिंह हैं. लेकिन आज तक ना तो इस क्षेत्र में विधायक पहुंचे और ना ही गांव के सरपंच.ऐसे में स्वास्थ्य सुविधाओं का ना होना कोई बड़ी बात नहीं है.लेकिन बुजुर्गों की आंखों की रोशनी चले जाना और दिन ब दिन बदतर स्थिति में जिंदगी बीताना शायद मंटोलिया के ग्रामवासियों ने नहीं सोचा होगा.अब मामला सामने आने के बाद जिम्मेदार कैंप लगाकर इलाज की बात कह रहे हैं.लेकिन ये बात कितनी खरी है ये आने वाला वक्त ही बताएगा.

पंडो आदिवासियों के जिस मोहल्ले में फैला संक्रमण, वहां दो बच्चों की हो चुकी है मौत, विभाग कर रहा बेहतर इलाज का दावा

300 करोड़ डीएमएफ फंड वाले जिले में पंडो आदिवासियों को गंभीर संक्रमण

आजादी के बाद से नहीं बनी सड़क, मुश्किल में जी रहे राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र

मनेंद्रगढ़ चिरमिरी भरतपुर : छत्तीसगढ़ सरकार भले ही स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर बड़े-बड़े दावे कर रही हो.लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है. खासकर आदिवासी बाहुल्य इलाकों में सरकार की कथित योजनाएं सिर्फ कागजों में ही सिमटकर रह गई हैं. जिले के आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र भरतपुर के ग्राम बरेल और इसके आश्रित गांव मंटोलिया के लोगों को स्वास्थ्य सेवाएं नहीं मिल रही है. यही वजह है कि यहां रहने वाले लोग गंभीर बीमारियों से जूझ रहे हैं.आलम ये है कि बरेल उप-स्वास्थ्य केंद्र पर ताला लटका रहता है. हमारी टीम ने जब मौके का निरीक्षण किया तो पाया कि यह स्वास्थ्य केंद्र भी अपने हिसाब से खुलता और बंद होता है. इलाज की कोई सुविधा नहीं है.

पंडो जनजाति के लोग बीमार : ग्रामीणों का कहना है कि जनकपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में भी उन्हें कोई उपचार नहीं मिल रहा है. गांव में पण्डो जनजाति के कई परिवार रहते हैं, लेकिन इनकी हालत ऐसी है जैसे ये इंसान ही नहीं हो. यहां ना तो पक्के मकान हैं और न ही सड़क जैसी बुनियादी सुविधाएं. सरकार और प्रशासन के अधिकारी चुनाव के समय वादों की झड़ी लगाते हैं,लेकिन चुनाव जीतने के बाद कोई झांकने नहीं आता.

lack of Health facility
पंडो जनजाति के लोग हो रहे अंधे (ETV BHARAT CHHATTISGARH)
lack of Health facility
ग्रामीणों को नहीं मिल रहा इलाज (ETV BHARAT CHHATTISGARH)

आंखों की रोशनी गई,लेकिन नहीं मिला इलाज : गांव की बुजुर्ग महिला बेलमती बाई ने बताया कि उनकी आंखों की रोशनी चली गई, लेकिन कोई इलाज नहीं हुआ. वो जनकपुर अस्पताल गई थीं, लेकिन वहां भी कोई मदद नहीं मिली. इसी तरह सुकुवारिया बाई का कहना है कि एक साल से उनकी आंखों की रोशनी जा चुकी है, लेकिन कोई इलाज नहीं करवा रहा. ग्रामवासी कौशल्या बाई के मुताबिक उनके पति की भी आंखों की रोशनी चली गई है और हाथ-पांव सड़ने लगे हैं. वह बीते छह महीने से बीमार हैं, लेकिन गांव में कोई डॉक्टर नहीं आता.

पंडो जनजाति के लोग हो रहे अंधे, नहीं पहुंची मेडिकल टीम (ETV BHARAT CHHATTISGARH)


जनप्रतिनिधियों ने भी नहीं ली सुध : गांव के लोगों की माने तो मितानिन कभी-कभी गांव में आती हैं, लेकिन सिर्फ नाम पूछकर चली जाती हैं.कोई इलाज नहीं होता, कोई दवा नहीं दी जाती. हालात ये हैं कि सरपंच भी आज तक गांव में नहीं आया कि गांव वाले किन हालातों में जी रहे हैं. बदलते समय के साथ जहां सरकारें विकास के दावे कर रही हैं, वहीं इन गांवों में रहने वाले बुजुर्ग अब भगवान से मौत की दुआ कर रहे हैं. गांव के बुजुर्ग लाचार, अंधे और बीमार हैं, लेकिन कोई सुध लेने वाला नहीं.

वर्षों से सरकारें बदलीं.कभी बीजेपी, कभी कांग्रेस—लेकिन इस गांव की किस्मत नहीं बदली. चुनाव के वक्त नेता वादों के पुल बांधते हैं, लेकिन बाद में कोई लौटकर नहीं आता- रामदीन,स्थानीय

जब यह मामला जिला चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. अविनाश खरे के संज्ञान में आया, तो उन्होंने तुरंत भरतपुर ब्लॉक मेडिकल ऑफिसर डॉ. रमन को निर्देशित किया कि मंटोलिया पहुंचकर प्राथमिक जांच की जाए. विशेष रूप से नेत्र परीक्षण एवं उपचार तत्काल शुरू किया जाए.

जिले के अंतिम छोर तक स्वास्थ्य सुविधाएं पहुंचाना मेरी सर्वोच्च प्राथमिकता है.अगर कहीं लापरवाही हुई है तो उसे सुधारा जाएगा.मेडिकल टीम को भेजा जा रहा है और आवश्यकतानुसार मेडिकल कैंप भी लगाया जाएगा- डॉ अविनाश खरे, सीएमएचओ

छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री श्यामबिहारी जायसवाल इस क्षेत्र से आते हैं.इस विधानसभा में बीजेपी विधायक रेणुका सिंह हैं. लेकिन आज तक ना तो इस क्षेत्र में विधायक पहुंचे और ना ही गांव के सरपंच.ऐसे में स्वास्थ्य सुविधाओं का ना होना कोई बड़ी बात नहीं है.लेकिन बुजुर्गों की आंखों की रोशनी चले जाना और दिन ब दिन बदतर स्थिति में जिंदगी बीताना शायद मंटोलिया के ग्रामवासियों ने नहीं सोचा होगा.अब मामला सामने आने के बाद जिम्मेदार कैंप लगाकर इलाज की बात कह रहे हैं.लेकिन ये बात कितनी खरी है ये आने वाला वक्त ही बताएगा.

पंडो आदिवासियों के जिस मोहल्ले में फैला संक्रमण, वहां दो बच्चों की हो चुकी है मौत, विभाग कर रहा बेहतर इलाज का दावा

300 करोड़ डीएमएफ फंड वाले जिले में पंडो आदिवासियों को गंभीर संक्रमण

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