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मजदूर की बेटी बनीं म्यू थाई की महारथी, तुर्की के एंटालिया में करेंगी प्रदर्शन, पांच बार की हैं नेशनल चैंपियन - MUAY THAI MASTER TIKESHWARI SAHU

मजदूर की बेटी ने म्यू थाई खेल में प्रतिभा का लोहा मनवाया है.टिकेश्वरी साहू प्रदेश की इकलौती खिलाड़ी हैं जो भारतीय दल में शामिल हैं.

Muay Thai master Tikeshwari Sahu
मजदूर की बेटी बनीं म्यू थाई की महारथी (ETV BHARAT CHHATTISGARH)
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : April 15, 2025 at 12:52 PM IST

9 Min Read

रायपुर : छत्तीसगढ़ की एक और बेटी देश का नाम रोशन करने के इरादे से मैदान में उतरेगी.इस बेटी का नाम टिकेश्वरी साहू है.जो म्यू थाई की खिलाड़ी हैं.टिकेश्वरी 5 बार की राष्ट्रीय चैंपियन भी हैं.लेकिन टिकेश्वरी साहू के लिए चैंपियन बनने का सफर आसान ना था.टिकेश्वरी साहू बेहद गरीब फैमिली से आती है.पिता का साया बचपन में ही उठ गया.मां के सिर पर 4 बेटियों वाले परिवार पालने की जिम्मेदारी आई.लिहाजा टिकेश्वरी की मां रोजी मजदूरी करने लगी.साथ ही साथ टिकेश्वरी का दाखिला स्कूल में करवाया.लेकिन बेटी की पढ़ाई ना छूटे इसके लिए टिकेश्वरी को उसकी मां ने मामा के घर भेज दिया.जहां टिकेश्वरी ने पढ़ाई के साथ म्यू थाई के खेल में अपना लोहा मनवाया.

कैसे म्यू थाई से जुड़ी टिकेश्वरी साहू : बचपन से ही टिकेश्वरी का पालन पोषण उसके मामा ने किया है.टिकेश्वरी को पहले क्रिकेट खेलने का शौक था.लेकिन एक दिन जब क्रिकेट खेलने के लिए गई तो उसके साथ छेड़खानी की घटना हुई.इससे परेशान होकर टिकेश्वरी ने फिर कभी क्रिकेट के मैदान में वापसी नहीं की.लेकिन इस छेड़खानी ने उसके मन में आत्मसुरक्षा की ललक पैदा कर दी.टिकेश्वरी साहू ने कुछ दिन बाद क्रिकेट से किनारा करके म्यू थाई खेल की ट्रेनिंग लेनी शुरु की.जिसका नतीजा ये हुआ कि आज टिकेश्वरी को सिर्फ देश में ही नहीं विदेश में भी नाम मिला है. अब तक टिकेश्वरी साहू स्टेट नेशनल खेलने के साथ ही यह चौथी बार वर्ल्ड चैंपियनशिप में हिस्सा लेने टर्की के अंटालिया शहर जा रही हैं.जहां 23 से 31मई तक वो भारत की ओर से खेलेंगी. टिकेश्वरी को इस प्रतिष्ठित प्रतियोगिता के लिए भारतीय दल में चुना गया है. खास बात ये है कि टिकेश्वरी छत्तीसगढ़ से चयनित एकमात्र खिलाड़ी हैं. इस चैंपियनशिप में केवल सीनियर वर्ग के अनुभवी खिलाड़ियों को ही जगह मिली है, जिसमें भारत की ओर से कुल 12 सदस्यीय टीम हिस्सा लेगी.

मजदूर की बेटी बनीं म्यू थाई की महारथी (ETV BHARAT CHHATTISGARH)





क्रिकेट से म्यू थाई तक का सफर : म्यूथाई की प्लेयर टिकेश्वरी साहू ने बताया कि वो साल 2013 से स्पोर्ट्स में हैं. मार्शल आर्ट के साथ ही क्रिकेट में भी इसके पहले से रुचि रही है. क्रिकेट खेल के दौरान ही कराटे का प्रशिक्षण लेना शुरू किया. जिस समय क्रिकेट की शुरुआत टिकेश्वरी ने की थी उस समय ग्राउंड आते जाते समय सुनसान माहौल देखकर कुछ लोग छेड़खानी करते थे.जिसके बाद क्रिकेट छोड़कर मार्शल आर्ट की ट्रेनिंग शुरू की. मार्शल आर्ट सीखने का उद्देश्य सेल्फ डिफेंस था. क्रिकेट खेलते समय उनके किट के दाम अधिक होने की वजह और ट्रेनिंग का खर्चा भी ज्यादा लग रहा था जो एक गरीब परिवार के लिए काफी ज्यादा था. ऐसे में क्रिकेट के खेल में उनके लंबे समय तक टिक पाना मुश्किल था. टिकेश्वरी ने बताया कि कक्षा छठवीं से लेकर 12वीं तक की पढ़ाई रायपुर के गुजराती स्कूल में की है. इस दौरान वहां के प्रिंसिपल और कोच ने उन्हें म्यू थाई के खेल के लिए नि:शुल्क प्रशिक्षण दिया है.आज भी उनका मार्गदर्शन मिल रहा है.

साल 2013 में पापा के गुजर जाने के बाद परिवार की स्थिति काफी दयनीय हो गई थी. इसके बाद मां और हम चार बहन अपने मामा के घर भनपुरी के गंगानगर इलाके में आकर रहने लगे. हम लोगों के पास आय का कोई स्रोत नहीं था. ऐसी स्थिति में मेरी मां को रोजी मजदूरी करके परिवार का पालन पोषण करना मजबूरी बन गई. इलाके के आसपास के मिल में काम करने के लिए जाती है.सुबह 8 बजे से शाम 6 बजे तक काम करती है. मां सुबह घर का पूरा काम निपटाने के साथ ही शाम को आने के बाद फिर से घर का पूरा काम करती है.अब तक तीन इंटरनेशनल मैच में पार्टिसिपेट कर चुकी हूं. आठ बार नेशनल खेल चुकी हूं .5 बार स्टेट प्लेयर भी रह चुकी हूं - टिकेश्वरी साहू, म्यू थाई खिलाड़ी

खेल के आगे आड़े आती है आर्थिक तंगी : चौथी बार इंटरनेशनल खेलने के लिए जा रही है इसको लेकर टिकेश्वरी ने बताया कि उन्हें बहुत अच्छा लग रहा है. लेकिन दुख की बात ये है कि बिना किसी आर्थिक सहयोग के मेहनत के दम पर सेलेक्ट तो हो जाते हैं,लेकिन विदेश आने जाने रुकने और फिर वहां की फीस भरने में काफी पीछे रह जाते हैं.अभी तक तीन बार इंटरनेशनल रिप्रेजेंट कर चुकी हूं.छह बार इंटरनेशनल में मेरा चयन हुआ है, लेकिन तीन बार आर्थिक तंगी और पैसों की कमी की वजह से मैं इंटरनेशनल नहीं खेल पाई जिसकी वजह से मेरा नाम कट गया था.मैं अगर खेलने नहीं जाती हूं तो इससे मेरा तो नुकसान होगा ही इसके साथ ही छत्तीसगढ़ भी एक मेडल से पीछे रह जाएगा."

मां ने बताया जीवन का संघर्ष : टिकेश्वरी की मां नीरा साहू ने बताया कि टिकेश्वरी साहू जब 8 साल की थी उस समय रावाभाटा में रहते थे. बच्चों के स्कूल का फीस भी नहीं भर पाए थे.ऐसे में बच्ची के मामा उसे अपने घर ले आए कुछ दिनों के बाद हम लोग भी यहां पर रहने लगे. टिकेश्वरी साहू के लगन और मेहनत को देखकर उसके मामा ने उसे कक्षा छठवीं में रायपुर के गुजराती स्कूल में दाखिल करा दिया. कक्षा 12वीं तक टिकेश्वरी साहू गुजराती स्कूल में पढ़ी है जहां पर उसकी पढ़ाई और कोचिंग निशुल्क मिलने लगा.

मैं लगातार मेहनत मजदूरी करके अपना और अपने परिवार का पालन पोषण कर रही हूं. परिवार आज भी आर्थिक तंगी और बदहाली के दौर से गुजर रहा है.जहां पर भी काम मिल जाता है वहां पर दो वक्त की रोटी के लिए मेहनत मजदूरी कर लेती हूं.हम ने कभी नहीं सोचा था कि मेरी बड़ी बेटी खेलने के लिए देश और विदेश में जाएगी.इसमें पूरा सपोर्ट उसके मामा देवेंद्र साहू और गुजराती स्कूल कर रहा है. जिसकी वजह से मेरी बेटी आज यहां तक पहुंची है- नीरा साहू, टिकेश्वरी की मां

स्कूल के प्रिंसिपल ने प्रतिभा को निखारा : म्यू थाई के कोच और गुजराती स्कूल के प्रिंसिपल अनीष मेमन ने बताया कि "साल 2013-14 में टिकेश्वरी साहू ने प्रेक्टिस चालू की. म्यू थाई का स्टेट कंपटीशन 2014 में पहली बार खेला था. जहां पर उसने ब्रांज मेडल जीता. उसके बाद टिकेश्वरी साहू लगातार प्रैक्टिस और अभ्यास करती रही जिसकी बदौलत आज यहां तक पहुंची है. उनके पिता का निधन हो गया है. लेकिन उनकी माता मेहनत मजदूरी करके परिवार पालती है. अपनी प्रतिभा और कला क्षमता के बल पर 3 बार म्यूथाई वर्ल्ड चैंपियनशिप खेल चुकी है और थाई बॉक्सिंग की इंटरनेशनल कंपटीशन भी खेल चुकी है. जिसमें उसने पदक भी जीतकर राज्य और देश का नाम गौरवान्वित किया है.

टिकेश्वरी साहू शुरू में क्रिकेट की राज्य स्तरीय प्लेयर रही है. इसके साथ ही टिकेश्वरी साहू कराटे की ब्लैक बेल्ट सेकंड डिग्री प्लेयर है. वर्तमान में टिकेश्वरी म्यूथाई और थाई बॉक्सिंग में कंसंट्रेट कर रही है. म्यू थाई मार्शल आर्ट का ही एक प्रकार है जो की थाईलैंड का नेशनल गेम है. शरीर के आठ भागों को शस्त्र के रूप में इस्तेमाल करने की कला है, जो एक पावरफुल गेम के रूप में जाना जाता है. शुरुआती दिनों में टिकेश्वरी साहू को काफी कुछ समस्याओं का सामना करना पड़ा, लेकिन क्रिकेट की प्लेयर होने की वजह से धीरे-धीरे वह इस गेम में महारत हासिल कर ली. - अनीष मेमन, प्रिंसिपल, गुजराती स्कूल

प्रिंसिपल अनीष मेमन के मुताबिक शुरू से स्पोर्ट्समैन रही है. इसलिए मार्शल आर्ट को पिकअप करने में ज्यादा समय नहीं लगा. गुजराती स्कूल में पढ़ाई करने के साथ ही जॉब भी करती थी. स्कूल के मैनेजमेंट से भी उसे काफी कुछ सपोर्ट मिला. सबसे पहले टिकेश्वरी साहू थाईलैंड में सबसे पहले 2019 में म्यूथाई वर्ल्ड चैंपियनशिप खेलने गई थी. साल 2023 में हांगकांग गई. साल 2024 में ताइवान गई थी.

सरकार से मदद की अपील : टिकेश्वरी के मामा देवेंद्र साहू ने बताया कि बच्चे छोटी थी और जीजा जी का छोटा-मोटा आलू प्याज का कारोबार था. रायपुर के रावाभाटा में अच्छा स्कूल नहीं था, जिसकी वजह से वह भनपुरी आकर हमारे घर रहने लगी. आसपास के अच्छे स्कूल में एडमिशन करवाया. कक्षा छठवीं से 12वीं तक रायपुर के देवेंद्र नगर स्थित गुजराती स्कूल में पढ़ी लिखी है. शुरू से टिकेश्वरी का खेल की ओर रुझान था. गुजराती स्कूल के प्रिंसिपल और कोच से मिलकर उनकी ट्रेनिंग शुरू की गई. म्यूथाई के इस गेम को 12 साल से खेलने के साथ ही प्रेक्टिस कर रही है. दूसरे बच्चों को भी इसकी ट्रेनिंग दे रही है. पिछले तीन-चार महीने से खेल की बदौलत टिकेश्वरी साहू को दंतेवाड़ा के खेल एवं युवा कल्याण विभाग में संविदा पर कोच की नौकरी मिली है, जहां पर वह कार्यरत है. खिलाड़ी टिकेश्वरी साहू के मामा देवेंद्र साहू का कहना है कि आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण हम सरकार से यही चाहते हैं कि हमारी बच्ची को सरकार अन्य खिलाड़ियों की तरह आर्थिक मदद करें.


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रायपुर : छत्तीसगढ़ की एक और बेटी देश का नाम रोशन करने के इरादे से मैदान में उतरेगी.इस बेटी का नाम टिकेश्वरी साहू है.जो म्यू थाई की खिलाड़ी हैं.टिकेश्वरी 5 बार की राष्ट्रीय चैंपियन भी हैं.लेकिन टिकेश्वरी साहू के लिए चैंपियन बनने का सफर आसान ना था.टिकेश्वरी साहू बेहद गरीब फैमिली से आती है.पिता का साया बचपन में ही उठ गया.मां के सिर पर 4 बेटियों वाले परिवार पालने की जिम्मेदारी आई.लिहाजा टिकेश्वरी की मां रोजी मजदूरी करने लगी.साथ ही साथ टिकेश्वरी का दाखिला स्कूल में करवाया.लेकिन बेटी की पढ़ाई ना छूटे इसके लिए टिकेश्वरी को उसकी मां ने मामा के घर भेज दिया.जहां टिकेश्वरी ने पढ़ाई के साथ म्यू थाई के खेल में अपना लोहा मनवाया.

कैसे म्यू थाई से जुड़ी टिकेश्वरी साहू : बचपन से ही टिकेश्वरी का पालन पोषण उसके मामा ने किया है.टिकेश्वरी को पहले क्रिकेट खेलने का शौक था.लेकिन एक दिन जब क्रिकेट खेलने के लिए गई तो उसके साथ छेड़खानी की घटना हुई.इससे परेशान होकर टिकेश्वरी ने फिर कभी क्रिकेट के मैदान में वापसी नहीं की.लेकिन इस छेड़खानी ने उसके मन में आत्मसुरक्षा की ललक पैदा कर दी.टिकेश्वरी साहू ने कुछ दिन बाद क्रिकेट से किनारा करके म्यू थाई खेल की ट्रेनिंग लेनी शुरु की.जिसका नतीजा ये हुआ कि आज टिकेश्वरी को सिर्फ देश में ही नहीं विदेश में भी नाम मिला है. अब तक टिकेश्वरी साहू स्टेट नेशनल खेलने के साथ ही यह चौथी बार वर्ल्ड चैंपियनशिप में हिस्सा लेने टर्की के अंटालिया शहर जा रही हैं.जहां 23 से 31मई तक वो भारत की ओर से खेलेंगी. टिकेश्वरी को इस प्रतिष्ठित प्रतियोगिता के लिए भारतीय दल में चुना गया है. खास बात ये है कि टिकेश्वरी छत्तीसगढ़ से चयनित एकमात्र खिलाड़ी हैं. इस चैंपियनशिप में केवल सीनियर वर्ग के अनुभवी खिलाड़ियों को ही जगह मिली है, जिसमें भारत की ओर से कुल 12 सदस्यीय टीम हिस्सा लेगी.

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क्रिकेट से म्यू थाई तक का सफर : म्यूथाई की प्लेयर टिकेश्वरी साहू ने बताया कि वो साल 2013 से स्पोर्ट्स में हैं. मार्शल आर्ट के साथ ही क्रिकेट में भी इसके पहले से रुचि रही है. क्रिकेट खेल के दौरान ही कराटे का प्रशिक्षण लेना शुरू किया. जिस समय क्रिकेट की शुरुआत टिकेश्वरी ने की थी उस समय ग्राउंड आते जाते समय सुनसान माहौल देखकर कुछ लोग छेड़खानी करते थे.जिसके बाद क्रिकेट छोड़कर मार्शल आर्ट की ट्रेनिंग शुरू की. मार्शल आर्ट सीखने का उद्देश्य सेल्फ डिफेंस था. क्रिकेट खेलते समय उनके किट के दाम अधिक होने की वजह और ट्रेनिंग का खर्चा भी ज्यादा लग रहा था जो एक गरीब परिवार के लिए काफी ज्यादा था. ऐसे में क्रिकेट के खेल में उनके लंबे समय तक टिक पाना मुश्किल था. टिकेश्वरी ने बताया कि कक्षा छठवीं से लेकर 12वीं तक की पढ़ाई रायपुर के गुजराती स्कूल में की है. इस दौरान वहां के प्रिंसिपल और कोच ने उन्हें म्यू थाई के खेल के लिए नि:शुल्क प्रशिक्षण दिया है.आज भी उनका मार्गदर्शन मिल रहा है.

साल 2013 में पापा के गुजर जाने के बाद परिवार की स्थिति काफी दयनीय हो गई थी. इसके बाद मां और हम चार बहन अपने मामा के घर भनपुरी के गंगानगर इलाके में आकर रहने लगे. हम लोगों के पास आय का कोई स्रोत नहीं था. ऐसी स्थिति में मेरी मां को रोजी मजदूरी करके परिवार का पालन पोषण करना मजबूरी बन गई. इलाके के आसपास के मिल में काम करने के लिए जाती है.सुबह 8 बजे से शाम 6 बजे तक काम करती है. मां सुबह घर का पूरा काम निपटाने के साथ ही शाम को आने के बाद फिर से घर का पूरा काम करती है.अब तक तीन इंटरनेशनल मैच में पार्टिसिपेट कर चुकी हूं. आठ बार नेशनल खेल चुकी हूं .5 बार स्टेट प्लेयर भी रह चुकी हूं - टिकेश्वरी साहू, म्यू थाई खिलाड़ी

खेल के आगे आड़े आती है आर्थिक तंगी : चौथी बार इंटरनेशनल खेलने के लिए जा रही है इसको लेकर टिकेश्वरी ने बताया कि उन्हें बहुत अच्छा लग रहा है. लेकिन दुख की बात ये है कि बिना किसी आर्थिक सहयोग के मेहनत के दम पर सेलेक्ट तो हो जाते हैं,लेकिन विदेश आने जाने रुकने और फिर वहां की फीस भरने में काफी पीछे रह जाते हैं.अभी तक तीन बार इंटरनेशनल रिप्रेजेंट कर चुकी हूं.छह बार इंटरनेशनल में मेरा चयन हुआ है, लेकिन तीन बार आर्थिक तंगी और पैसों की कमी की वजह से मैं इंटरनेशनल नहीं खेल पाई जिसकी वजह से मेरा नाम कट गया था.मैं अगर खेलने नहीं जाती हूं तो इससे मेरा तो नुकसान होगा ही इसके साथ ही छत्तीसगढ़ भी एक मेडल से पीछे रह जाएगा."

मां ने बताया जीवन का संघर्ष : टिकेश्वरी की मां नीरा साहू ने बताया कि टिकेश्वरी साहू जब 8 साल की थी उस समय रावाभाटा में रहते थे. बच्चों के स्कूल का फीस भी नहीं भर पाए थे.ऐसे में बच्ची के मामा उसे अपने घर ले आए कुछ दिनों के बाद हम लोग भी यहां पर रहने लगे. टिकेश्वरी साहू के लगन और मेहनत को देखकर उसके मामा ने उसे कक्षा छठवीं में रायपुर के गुजराती स्कूल में दाखिल करा दिया. कक्षा 12वीं तक टिकेश्वरी साहू गुजराती स्कूल में पढ़ी है जहां पर उसकी पढ़ाई और कोचिंग निशुल्क मिलने लगा.

मैं लगातार मेहनत मजदूरी करके अपना और अपने परिवार का पालन पोषण कर रही हूं. परिवार आज भी आर्थिक तंगी और बदहाली के दौर से गुजर रहा है.जहां पर भी काम मिल जाता है वहां पर दो वक्त की रोटी के लिए मेहनत मजदूरी कर लेती हूं.हम ने कभी नहीं सोचा था कि मेरी बड़ी बेटी खेलने के लिए देश और विदेश में जाएगी.इसमें पूरा सपोर्ट उसके मामा देवेंद्र साहू और गुजराती स्कूल कर रहा है. जिसकी वजह से मेरी बेटी आज यहां तक पहुंची है- नीरा साहू, टिकेश्वरी की मां

स्कूल के प्रिंसिपल ने प्रतिभा को निखारा : म्यू थाई के कोच और गुजराती स्कूल के प्रिंसिपल अनीष मेमन ने बताया कि "साल 2013-14 में टिकेश्वरी साहू ने प्रेक्टिस चालू की. म्यू थाई का स्टेट कंपटीशन 2014 में पहली बार खेला था. जहां पर उसने ब्रांज मेडल जीता. उसके बाद टिकेश्वरी साहू लगातार प्रैक्टिस और अभ्यास करती रही जिसकी बदौलत आज यहां तक पहुंची है. उनके पिता का निधन हो गया है. लेकिन उनकी माता मेहनत मजदूरी करके परिवार पालती है. अपनी प्रतिभा और कला क्षमता के बल पर 3 बार म्यूथाई वर्ल्ड चैंपियनशिप खेल चुकी है और थाई बॉक्सिंग की इंटरनेशनल कंपटीशन भी खेल चुकी है. जिसमें उसने पदक भी जीतकर राज्य और देश का नाम गौरवान्वित किया है.

टिकेश्वरी साहू शुरू में क्रिकेट की राज्य स्तरीय प्लेयर रही है. इसके साथ ही टिकेश्वरी साहू कराटे की ब्लैक बेल्ट सेकंड डिग्री प्लेयर है. वर्तमान में टिकेश्वरी म्यूथाई और थाई बॉक्सिंग में कंसंट्रेट कर रही है. म्यू थाई मार्शल आर्ट का ही एक प्रकार है जो की थाईलैंड का नेशनल गेम है. शरीर के आठ भागों को शस्त्र के रूप में इस्तेमाल करने की कला है, जो एक पावरफुल गेम के रूप में जाना जाता है. शुरुआती दिनों में टिकेश्वरी साहू को काफी कुछ समस्याओं का सामना करना पड़ा, लेकिन क्रिकेट की प्लेयर होने की वजह से धीरे-धीरे वह इस गेम में महारत हासिल कर ली. - अनीष मेमन, प्रिंसिपल, गुजराती स्कूल

प्रिंसिपल अनीष मेमन के मुताबिक शुरू से स्पोर्ट्समैन रही है. इसलिए मार्शल आर्ट को पिकअप करने में ज्यादा समय नहीं लगा. गुजराती स्कूल में पढ़ाई करने के साथ ही जॉब भी करती थी. स्कूल के मैनेजमेंट से भी उसे काफी कुछ सपोर्ट मिला. सबसे पहले टिकेश्वरी साहू थाईलैंड में सबसे पहले 2019 में म्यूथाई वर्ल्ड चैंपियनशिप खेलने गई थी. साल 2023 में हांगकांग गई. साल 2024 में ताइवान गई थी.

सरकार से मदद की अपील : टिकेश्वरी के मामा देवेंद्र साहू ने बताया कि बच्चे छोटी थी और जीजा जी का छोटा-मोटा आलू प्याज का कारोबार था. रायपुर के रावाभाटा में अच्छा स्कूल नहीं था, जिसकी वजह से वह भनपुरी आकर हमारे घर रहने लगी. आसपास के अच्छे स्कूल में एडमिशन करवाया. कक्षा छठवीं से 12वीं तक रायपुर के देवेंद्र नगर स्थित गुजराती स्कूल में पढ़ी लिखी है. शुरू से टिकेश्वरी का खेल की ओर रुझान था. गुजराती स्कूल के प्रिंसिपल और कोच से मिलकर उनकी ट्रेनिंग शुरू की गई. म्यूथाई के इस गेम को 12 साल से खेलने के साथ ही प्रेक्टिस कर रही है. दूसरे बच्चों को भी इसकी ट्रेनिंग दे रही है. पिछले तीन-चार महीने से खेल की बदौलत टिकेश्वरी साहू को दंतेवाड़ा के खेल एवं युवा कल्याण विभाग में संविदा पर कोच की नौकरी मिली है, जहां पर वह कार्यरत है. खिलाड़ी टिकेश्वरी साहू के मामा देवेंद्र साहू का कहना है कि आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण हम सरकार से यही चाहते हैं कि हमारी बच्ची को सरकार अन्य खिलाड़ियों की तरह आर्थिक मदद करें.


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