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लेबर कोर्ट का आदेश रद्द, 21 पौधे लगाने की शर्त पर फिर से दिया सुनवाई का मौका - RAJASTHAN HIGH COURT

बेलदार के तौर पर नियुक्त श्रमिक का दावा लेबर कोर्ट ने 17 साल पहले खारिज किया था. हाईकोर्ट ने इस आदेश को रद्द किया है.

Rajasthan High Court
राजस्थान हाईकोर्ट (ETV Bharat Jaipur)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : April 13, 2025 at 9:00 PM IST

2 Min Read

जयपुर: राजस्थान हाईकोर्ट ने सिंचाई विभाग में बेलदार के तौर पर नियुक्त हुए श्रमिक का दावा 17 साल पहले खारिज करने के लेबर कोर्ट के आदेश को रद्द कर दिया है. वहीं अदालत ने याचिकाकर्ता श्रमिक को एक माह में 21 छायादार पौधे लगाने की शर्त पर उसे लेबर कोर्ट में साक्ष्य पेश करने का मौका दिया है. जस्टिस अनूप कुमार ढंड ने यह आदेश सीताराम की याचिका पर दिए. अदालत ने हाईकोर्ट प्रशासन को कहा है कि सुनवाई के दौरान गैरहाजिर रहे याचिकाकर्ता के घर फैसले की कॉपी भेजी जाए, जिससे उसे इस आदेश की जानकारी मिल सके. अदालत ने मामले की गत दिनों सुनवाई की थी, जिसका आदेश रविवार को सार्वजनिक हुआ है.

अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता एक माह में पौधे लगाकर उसकी फोटो श्रम न्यायालय में पेश करे. वहीं श्रम न्यायालय में सुनवाई के दौरान हर तिमाही जून, सितंबर, दिसंबर और मार्च में पौधों की देखभाल से संबंधित उस दिन का फोटो साक्ष्य के साथ पेश किया जाए. अदालत ने संबंधित पक्षों को 6 मई को श्रम न्यायालय में पेश होने को कहा है. अदालत ने कहा कि मामले में याचिकाकर्ता की लापरवाही रही है, लेकिन न्यायहित में उसे अंतिम मौका दिया जा रहा है. अदालत ने कहा कि यह आदेश भावी पीढ़ियों के लिए स्वच्छ और ऑक्सीजन युक्त वातावरण सुनिश्चित करने की दिशा में एक छोटा सा मगर महत्वपूर्ण कदम है.

पढ़ें: सैन्यकर्मी का कोर्ट मार्शल कर बर्खास्त करने का 22 साल पुराना आदेश रद्द - Court martial cancelled

याचिकाकर्ता साल 1986 में सिंचाई विभाग में वर्कमैन कर्मचारी के रूप में बेलदार नियुक्ति हुआ था. जिसे विभाग ने दिसंबर, 1989 में बर्खास्त कर दिया. इस आदेश को याचिकाकर्ता ने लेबर कोर्ट, भरतपुर में चुनौती दी. लेबर कोर्ट ने याचिकाकर्ता की ओर से पर्याप्त साक्ष्य पेश नहीं कर पाने के कारण 29 जनवरी, 2008 को उसका दावा खारिज कर दिया. इस आदेश को याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट में चुनौती दी.

जयपुर: राजस्थान हाईकोर्ट ने सिंचाई विभाग में बेलदार के तौर पर नियुक्त हुए श्रमिक का दावा 17 साल पहले खारिज करने के लेबर कोर्ट के आदेश को रद्द कर दिया है. वहीं अदालत ने याचिकाकर्ता श्रमिक को एक माह में 21 छायादार पौधे लगाने की शर्त पर उसे लेबर कोर्ट में साक्ष्य पेश करने का मौका दिया है. जस्टिस अनूप कुमार ढंड ने यह आदेश सीताराम की याचिका पर दिए. अदालत ने हाईकोर्ट प्रशासन को कहा है कि सुनवाई के दौरान गैरहाजिर रहे याचिकाकर्ता के घर फैसले की कॉपी भेजी जाए, जिससे उसे इस आदेश की जानकारी मिल सके. अदालत ने मामले की गत दिनों सुनवाई की थी, जिसका आदेश रविवार को सार्वजनिक हुआ है.

अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता एक माह में पौधे लगाकर उसकी फोटो श्रम न्यायालय में पेश करे. वहीं श्रम न्यायालय में सुनवाई के दौरान हर तिमाही जून, सितंबर, दिसंबर और मार्च में पौधों की देखभाल से संबंधित उस दिन का फोटो साक्ष्य के साथ पेश किया जाए. अदालत ने संबंधित पक्षों को 6 मई को श्रम न्यायालय में पेश होने को कहा है. अदालत ने कहा कि मामले में याचिकाकर्ता की लापरवाही रही है, लेकिन न्यायहित में उसे अंतिम मौका दिया जा रहा है. अदालत ने कहा कि यह आदेश भावी पीढ़ियों के लिए स्वच्छ और ऑक्सीजन युक्त वातावरण सुनिश्चित करने की दिशा में एक छोटा सा मगर महत्वपूर्ण कदम है.

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याचिकाकर्ता साल 1986 में सिंचाई विभाग में वर्कमैन कर्मचारी के रूप में बेलदार नियुक्ति हुआ था. जिसे विभाग ने दिसंबर, 1989 में बर्खास्त कर दिया. इस आदेश को याचिकाकर्ता ने लेबर कोर्ट, भरतपुर में चुनौती दी. लेबर कोर्ट ने याचिकाकर्ता की ओर से पर्याप्त साक्ष्य पेश नहीं कर पाने के कारण 29 जनवरी, 2008 को उसका दावा खारिज कर दिया. इस आदेश को याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट में चुनौती दी.

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