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श्रीखंड महादेव यात्रा को लेकर प्रशासन सतर्क, हर कदम पर सुरक्षा की नजर - SHRIKHAND MAHADEV YATRA

श्रीखंड महादेव यात्रा की तैयारियों में कुल्लू प्रशासन सक्रिय, सुरक्षा जांच जारी. बिना अनुमति यात्रा पर सख्ती और स्वास्थ्य परीक्षण अनिवार्य.

श्रीखंड महादेव यात्रा की तैयारियों में जुटा कुल्लू प्रशासन
श्रीखंड महादेव यात्रा की तैयारियों में जुटा कुल्लू प्रशासन (ETV BHARAT)
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : May 22, 2025 at 9:50 AM IST

4 Min Read

कुल्लू: हिमालय की गोद में स्थित 18,570 फीट ऊंचे श्रीखंड महादेव की यात्रा जितनी पवित्र मानी जाती है, उतनी ही जोखिम भरी भी है. हर साल हजारों श्रद्धालु इस कठिन ट्रैक पर निकलते हैं, लेकिन कई बार यह आस्था का सफर मौत की दहलीज तक पहुंचा देता है. अब कुल्लू प्रशासन ने 2025 की यात्रा को सुरक्षित और व्यवस्थित बनाने के लिए तैयारियां तेज कर दी हैं. यात्रा मार्ग की जांच के लिए आठ सदस्यीय विशेषज्ञ टीम को रवाना कर दिया गया है.

खतरनाक और चुनौतीपूर्ण है यह यात्रा

श्रीखंड महादेव यात्रा को भारत की सबसे कठिन धार्मिक यात्राओं में गिना जाता है. श्रद्धालुओं को लगभग 32 से 40 किलोमीटर तक का पैदल सफर तय करना होता है, जिसमें बर्फ से ढके संकरे रास्ते, खतरनाक ग्लेशियर और ऑक्सीजन की कमी वाले क्षेत्र शामिल होते हैं. प्रशासन के आंकड़ों के अनुसार, पिछले 11 वर्षों में 42 से अधिक श्रद्धालु इस यात्रा में जान गंवा चुके हैं, जिनमें से कई की मौत पाँव फिसलने और ऑक्सीजन की कमी के कारण हुई.

श्रीखंड महादेव यात्रा की तैयारियों में जुटा कुल्लू प्रशासन
श्रीखंड महादेव यात्रा की तैयारियों में जुटा कुल्लू प्रशासन (ETV BHARAT)

संयुक्त टीम करगी यात्रा मार्ग का परीक्षण

उपमंडल निरमंड से शुरू होने वाली इस यात्रा के मार्ग की जांच के लिए प्रशासन ने एक संयुक्त टीम गठित की है, जिसमें पटवारी बुद्धि सिंह व टेक सिंह, वन रक्षक, जलशक्ति विभाग का फिटर, दो पुलिस जवान और अटल बिहारी वाजपेयी पर्वतारोहण संस्थान मनाली के दो प्रशिक्षित पर्वतारोही शामिल हैं. यह टीम सिंहगाड़, थाचडू, कुंशा, भीम डवार और पार्वती बाग जैसे कठिन पड़ावों के साथ-साथ पुलों, अस्थायी शिविर स्थलों और ग्लेशियरों की स्थिति का गहन निरीक्षण करेगी. टीम को 24 मई तक अपनी रिपोर्ट प्रशासन को सौंपनी है, जिसके बाद इस वर्ष की यात्रा की तिथि तय की जाएगी.

शॉर्टकट बन रहा हादसों का कारण, स्थानीय लोग जता रहे चिंता

स्थानीय ग्रामीण हरिकृष्ण शर्मा, रवि शर्मा और चमन शर्मा ने मांग की है कि 'पार्वती बाग से ऊपर जो शॉर्टकट रास्ते बनाए गए हैं, उन्हें बंद किया जाए. ये मार्ग अत्यधिक खतरनाक हैं और बीते वर्षों में अधिकांश दुर्घटनाएं इन्हीं रास्तों पर हुई हैं'.

रास्तों की जांच के लिए टीम को किया जाएगा रवाना
रास्तों की जांच के लिए टीम को किया जाएगा रवाना (ETV BHARAT)

बिना अनुमति यात्रा पर रोक, स्वास्थ्य जांच अनिवार्य

उपायुक्त कुल्लू, तोरुल एस. रवीश ने स्पष्ट किया है कि 'इस बार बिना प्रशासनिक अनुमति के यात्रा पर जाने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी. प्रत्येक श्रद्धालु का स्वास्थ्य परीक्षण अनिवार्य किया जाएगा, ताकि वे इस चुनौतीपूर्ण यात्रा को सुरक्षित रूप से पूरी कर सकें'.

2024 में भी गईं 5 जानें, प्रशासन के सामने बड़ी चुनौती

बीते साल 2024 में भी श्रीखंड यात्रा के दौरान 5 श्रद्धालुओं की मौत हुई थी. प्रशासन के अनुसार, 'यात्रियों की लापरवाही, समय से पहले यात्रा शुरू करना और स्वास्थ्य जांच की अनदेखी इसके मुख्य कारण रहे. यही वजह है कि इस बार जुलाई में प्रस्तावित यात्रा को लेकर पहले से ही सतर्कता बरती जा रही है'.

कैसे पहुंचे श्रद्धालु श्रीखंड महादेव तक?

यात्रियों को शिमला से रामपुर (130 किमी), रामपुर से निरमंड (17 किमी), और फिर निरमंड से जाओं तक (23 किमी) का सफर वाहन से तय करना होता है. इसके बाद यात्रा पैदल शुरू होती है. मुख्य पड़ावों में सिंहगाड, थावडू, कुंशा, भीम डवार और पार्वती बाग शामिल हैं, जहां अस्थायी शिविर लगाए जाते हैं.

श्रीखंड महादेव यात्रा आस्था, रोमांच और साहस का प्रतीक है, लेकिन इसके साथ जिम्मेदारी और सतर्कता भी जरूरी है. प्रशासन की तैयारियां इस बार अधिक व्यवस्थित हैं, लेकिन श्रद्धालुओं को भी चाहिए कि वे नियमों का पालन करें, स्वास्थ्य परीक्षण करवाएं और केवल आधिकारिक तिथि पर ही यात्रा करें. इस पवित्र और कठिनतम यात्रा को सुरक्षित बनाना हम सभी की साझी जिम्मेदारी है.

ये भी पढ़ें- सिरमौर से सटे जंगलों में गूंजने लगी दुर्लभ पक्षियों की चहचहाहट, सर्वे में सामने आई अनोखी प्रजातियां

कुल्लू: हिमालय की गोद में स्थित 18,570 फीट ऊंचे श्रीखंड महादेव की यात्रा जितनी पवित्र मानी जाती है, उतनी ही जोखिम भरी भी है. हर साल हजारों श्रद्धालु इस कठिन ट्रैक पर निकलते हैं, लेकिन कई बार यह आस्था का सफर मौत की दहलीज तक पहुंचा देता है. अब कुल्लू प्रशासन ने 2025 की यात्रा को सुरक्षित और व्यवस्थित बनाने के लिए तैयारियां तेज कर दी हैं. यात्रा मार्ग की जांच के लिए आठ सदस्यीय विशेषज्ञ टीम को रवाना कर दिया गया है.

खतरनाक और चुनौतीपूर्ण है यह यात्रा

श्रीखंड महादेव यात्रा को भारत की सबसे कठिन धार्मिक यात्राओं में गिना जाता है. श्रद्धालुओं को लगभग 32 से 40 किलोमीटर तक का पैदल सफर तय करना होता है, जिसमें बर्फ से ढके संकरे रास्ते, खतरनाक ग्लेशियर और ऑक्सीजन की कमी वाले क्षेत्र शामिल होते हैं. प्रशासन के आंकड़ों के अनुसार, पिछले 11 वर्षों में 42 से अधिक श्रद्धालु इस यात्रा में जान गंवा चुके हैं, जिनमें से कई की मौत पाँव फिसलने और ऑक्सीजन की कमी के कारण हुई.

श्रीखंड महादेव यात्रा की तैयारियों में जुटा कुल्लू प्रशासन
श्रीखंड महादेव यात्रा की तैयारियों में जुटा कुल्लू प्रशासन (ETV BHARAT)

संयुक्त टीम करगी यात्रा मार्ग का परीक्षण

उपमंडल निरमंड से शुरू होने वाली इस यात्रा के मार्ग की जांच के लिए प्रशासन ने एक संयुक्त टीम गठित की है, जिसमें पटवारी बुद्धि सिंह व टेक सिंह, वन रक्षक, जलशक्ति विभाग का फिटर, दो पुलिस जवान और अटल बिहारी वाजपेयी पर्वतारोहण संस्थान मनाली के दो प्रशिक्षित पर्वतारोही शामिल हैं. यह टीम सिंहगाड़, थाचडू, कुंशा, भीम डवार और पार्वती बाग जैसे कठिन पड़ावों के साथ-साथ पुलों, अस्थायी शिविर स्थलों और ग्लेशियरों की स्थिति का गहन निरीक्षण करेगी. टीम को 24 मई तक अपनी रिपोर्ट प्रशासन को सौंपनी है, जिसके बाद इस वर्ष की यात्रा की तिथि तय की जाएगी.

शॉर्टकट बन रहा हादसों का कारण, स्थानीय लोग जता रहे चिंता

स्थानीय ग्रामीण हरिकृष्ण शर्मा, रवि शर्मा और चमन शर्मा ने मांग की है कि 'पार्वती बाग से ऊपर जो शॉर्टकट रास्ते बनाए गए हैं, उन्हें बंद किया जाए. ये मार्ग अत्यधिक खतरनाक हैं और बीते वर्षों में अधिकांश दुर्घटनाएं इन्हीं रास्तों पर हुई हैं'.

रास्तों की जांच के लिए टीम को किया जाएगा रवाना
रास्तों की जांच के लिए टीम को किया जाएगा रवाना (ETV BHARAT)

बिना अनुमति यात्रा पर रोक, स्वास्थ्य जांच अनिवार्य

उपायुक्त कुल्लू, तोरुल एस. रवीश ने स्पष्ट किया है कि 'इस बार बिना प्रशासनिक अनुमति के यात्रा पर जाने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी. प्रत्येक श्रद्धालु का स्वास्थ्य परीक्षण अनिवार्य किया जाएगा, ताकि वे इस चुनौतीपूर्ण यात्रा को सुरक्षित रूप से पूरी कर सकें'.

2024 में भी गईं 5 जानें, प्रशासन के सामने बड़ी चुनौती

बीते साल 2024 में भी श्रीखंड यात्रा के दौरान 5 श्रद्धालुओं की मौत हुई थी. प्रशासन के अनुसार, 'यात्रियों की लापरवाही, समय से पहले यात्रा शुरू करना और स्वास्थ्य जांच की अनदेखी इसके मुख्य कारण रहे. यही वजह है कि इस बार जुलाई में प्रस्तावित यात्रा को लेकर पहले से ही सतर्कता बरती जा रही है'.

कैसे पहुंचे श्रद्धालु श्रीखंड महादेव तक?

यात्रियों को शिमला से रामपुर (130 किमी), रामपुर से निरमंड (17 किमी), और फिर निरमंड से जाओं तक (23 किमी) का सफर वाहन से तय करना होता है. इसके बाद यात्रा पैदल शुरू होती है. मुख्य पड़ावों में सिंहगाड, थावडू, कुंशा, भीम डवार और पार्वती बाग शामिल हैं, जहां अस्थायी शिविर लगाए जाते हैं.

श्रीखंड महादेव यात्रा आस्था, रोमांच और साहस का प्रतीक है, लेकिन इसके साथ जिम्मेदारी और सतर्कता भी जरूरी है. प्रशासन की तैयारियां इस बार अधिक व्यवस्थित हैं, लेकिन श्रद्धालुओं को भी चाहिए कि वे नियमों का पालन करें, स्वास्थ्य परीक्षण करवाएं और केवल आधिकारिक तिथि पर ही यात्रा करें. इस पवित्र और कठिनतम यात्रा को सुरक्षित बनाना हम सभी की साझी जिम्मेदारी है.

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