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दिल्ली में इत्र का बाजार गुलजार, 250 साल पुराने बादशाहों और बेगमों के इत्र भी यहां मौजूद - DELHI PERFUME MARKET

दिल्ली का मटिया महल बाजार इत्र के लिए फेमस है. रमजान में इत्र की भारी डिमांड के बीच बाजार गुलजार है, जानिए इत्र की अनूठी बातें

रमजान में इत्र की भारी डिमांड के बीच बाजार गुलजार
रमजान में इत्र की भारी डिमांड के बीच बाजार गुलजार (ETV BHARAT)
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By ETV Bharat Delhi Team

Published : March 20, 2025 at 5:16 PM IST

Updated : March 20, 2025 at 7:18 PM IST

5 Min Read

नई दिल्ली: इस्लाम में इत्र कई मायनों में खास है. मुस्लिम समाज में इत्र लगाना सुन्नत माना गया है. राजधानी के मटिया महल बाजार में इत्र की कई दुकानें मौजूद हैं. बाजार में अत्तर हाउस नाम की एक दुकान है. इस दुकान के मालिक है मोहम्मद साबिर. ये इत्रों के वेराइटी के बादशाह हैं. इनके पास 250 वर्ष से ज्यादा पुराने इत्र मौजूद हैं. इतना ही नहीं इनकी दुकान पर वह इत्र भी मौजूद हैं जिनको मुग़ल बादशाहों और उनकी बेगमों ने इजाद किया था.

250 साल से भी ज्यादा पुराने इत्र का है क्लेक्शन : दुकान के मालिक मोहम्मद साबिर बताते हैं कि पीढ़ियों से उनका परिवार इत्र बनाने और बेचने का काम करते रहे है. वर्तमान में दुकान की जिम्मेदारी पांचवी पीढ़ी के कंधों पर है. उनके पास कई साल पुराने इत्र मौजूद हैं. जिनको वह विरासत के तौर पर संभाल कर रखते हैं और बेचते नहीं हैं. इसमें सबसे पुराना इत्र 250 साल से भी ज्यादा पुराना है. यह बेहद कीमती है. इसकी बोतल के ढक्कन पर ब्रिटिश सरकार की मुहर है. इसका ढक्कन चांदी का बना है. वह आगे बताते है कि हिंदुस्तान पर कई वर्षों तक मुगलों का राज रहा. मुगल शासक भी शौक से इत्र लगाया करते थे. उनके पास शाहजहां बादशाह और नूरजहां बेगम द्वारा बनाए गए इत्र भी है, जो बेचने के लिए नहीं है. शाहजहां ने समाममे के इत्र का इजाद किया था. वहीं नूरजहां ने रूह गुलाब इत्र का इजाद किया था.

रमजान में इत्र की भारी डिमांड के बीच बाजार गुलजार
रमजान में इत्र की भारी डिमांड के बीच बाजार गुलजार (ETV BHARAT)

औषधि गुण भी है इत्र में : साबिर ने बताया कि भारत में सबसे महंगे इत्र पाए जाते हैं. इत्र का इस्तेमाल केवल सुगंध के लिए ही नहीं किया जाता बल्कि इत्र के कई औषधिय फायदे भी है. इसका इस्तेमाल दवा बनाने में भी किया जाता है. जैसे अगर किसी को कान संबंधी बीमारी है तो उसके लिए मोतिया का इत्र काम आता है. गर्मियों में चलने वाली गर्म हवाओं के कारण लोगों को लू लग जाती है, ऐसे में खस इत्र लगाने से आराम आता है. इसके अलावा जिनको लोगों नाक से खून आता है या मिर्गी का दौरा आता है उनके लिए ईगल इत्र फायदेमंद साबित होता है. लेकिन शर्त यही है सभी इत्र नेचुरल होने चाहिए.

मटिया महल बाजार इत्र के लिए फेमस (ETV BHARAT)

आर्टिफिशियल फ्रेगरेंस वाले इत्र की ज्यादा बिक्री : फिलहाल बाजार में आर्टिफिशियल फ्रेगरेंस वाले इत्र ही ज्यादा बिकते हैं. साबिर ने बताया कि आज का इजी टू यूज़ का ज़माना है. इसके चलते रोल ऑन पैकिंग में आर्टिफिशियल कंपाउंड का इस्तेमाल किया जाता है. इसमें फ्रेंच और अरेबिक फ्रेग्रेन्स का इस्तेमाल किया जाता है. भारतीय इत्र की तुलना में इनकी कीमत काम होती है. इसलिए आजकल विदेशी इत्र की डिमांड काफी बढ़ गयी है.

दुकान के मालिक मोहम्मद साबिर से खास बातचीत (ETV BHARAT)
इत्र पर डिस्काउंट : मटिया महल बाजार में जम जम इत्र शॉप के विक्रेता असर ने बताया कि रमजान के सभी नया इत्र खरीदते हैं. इसलिए दुकान पर मौजूद कुछ प्रोडक्ट्स पर 15 से 20 फीसदी छूट रखी गयी है. इस समय उनकी दुकान पर सबसे ज्यादा एहसास नाम के इत्र की डिमांड है. इसकी कीमत 250 रुपए है 25ml की. उनकी दुकान पर ऊद का इत्र सबसे महंगा है. लेकिन उनकी डिमांड ना के बराबर है. ऊद की कीमत लाखों में होती है.
मटिया महल बाजार में इत्र की कई दुकानें सजी (ETV BHARAT)
मटिया महल बाजार के इत्र की है भारी डिमांडनैनीताल के रहने वाले कोसन सिद्दीकी ने बताया कि वह हर साल रमजान में अपनी बड़ी बहन के घर आते हैं. परिवार ने सभी ने बोला कि इत्र लेने है तो बाजार मटिया महल जाओ. बाजार में इत्र पर अच्छे डिस्काउंट दिए जा रह है. उन्हें इत्र लगाना काफी पसंद है क्योंकि इस्लाम ने इत्र को पाक माना गया है.
आर्टिफिशियल फ्रेगरेंस वाले इत्र की ज्यादा बिक्री
आर्टिफिशियल फ्रेगरेंस वाले इत्र की ज्यादा बिक्री (ETV BHARAT)
कैसे पहचानें इत्र की खुशबू : बता दें कि अगर आप किसी दुकान पर इत्र खरीदने जा रहे हैं. लेकिन पूरी दुकान में इत्र की खुशबू फैली है तो ऐसे में पसंदीदा इत्र की पहचान करना आपके लिए मुश्किल होता है. इत्र विक्रेता महुम्मद अरमान ने बताया कि ग्राहक को इत्र की 100 फीसदी सही खुशबू की पहचान करने के लिए हम उनको कॉफी बीन्स की खुशबू सूंघातें है. इससे उनकी नाक रिफ्रेश हो जाती है और वह अपनी पसंद का इत्र खरीद पाते हैं.
250 साल पुराने बादशाहों और बेगमों के इत्र यहां मौजूद
250 साल पुराने बादशाहों और बेगमों के इत्र यहां मौजूद (ETV BHARAT)
इस्लाम में इत्र का महत्व : क्या आप जानते है इत्र का इस्तेमाल केवल इस्लाम धर्म में ही नहीं किया जाता, बल्कि हर धर्म के अच्छे कामों में इत्र इस्तेमाल होता है. थोक विक्रेता साबिर ने बताया कि इत्र में किसी भी तरह का एल्कोहल नहीं होता है. इसलिए इसका इस्तेमाल नमाज़ और पूजा में किया जाता है. अगर इस्लाम की बात करें तो, यह कहा गया है कि मस्जिद में जाने से पहले नए, साफ और खुशबूदार कपड़े पहन कर जानना चाहिए.

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250 साल से भी ज्यादा पुराने इत्र का है क्लेक्शन : दुकान के मालिक मोहम्मद साबिर बताते हैं कि पीढ़ियों से उनका परिवार इत्र बनाने और बेचने का काम करते रहे है. वर्तमान में दुकान की जिम्मेदारी पांचवी पीढ़ी के कंधों पर है. उनके पास कई साल पुराने इत्र मौजूद हैं. जिनको वह विरासत के तौर पर संभाल कर रखते हैं और बेचते नहीं हैं. इसमें सबसे पुराना इत्र 250 साल से भी ज्यादा पुराना है. यह बेहद कीमती है. इसकी बोतल के ढक्कन पर ब्रिटिश सरकार की मुहर है. इसका ढक्कन चांदी का बना है. वह आगे बताते है कि हिंदुस्तान पर कई वर्षों तक मुगलों का राज रहा. मुगल शासक भी शौक से इत्र लगाया करते थे. उनके पास शाहजहां बादशाह और नूरजहां बेगम द्वारा बनाए गए इत्र भी है, जो बेचने के लिए नहीं है. शाहजहां ने समाममे के इत्र का इजाद किया था. वहीं नूरजहां ने रूह गुलाब इत्र का इजाद किया था.

रमजान में इत्र की भारी डिमांड के बीच बाजार गुलजार
रमजान में इत्र की भारी डिमांड के बीच बाजार गुलजार (ETV BHARAT)

औषधि गुण भी है इत्र में : साबिर ने बताया कि भारत में सबसे महंगे इत्र पाए जाते हैं. इत्र का इस्तेमाल केवल सुगंध के लिए ही नहीं किया जाता बल्कि इत्र के कई औषधिय फायदे भी है. इसका इस्तेमाल दवा बनाने में भी किया जाता है. जैसे अगर किसी को कान संबंधी बीमारी है तो उसके लिए मोतिया का इत्र काम आता है. गर्मियों में चलने वाली गर्म हवाओं के कारण लोगों को लू लग जाती है, ऐसे में खस इत्र लगाने से आराम आता है. इसके अलावा जिनको लोगों नाक से खून आता है या मिर्गी का दौरा आता है उनके लिए ईगल इत्र फायदेमंद साबित होता है. लेकिन शर्त यही है सभी इत्र नेचुरल होने चाहिए.

मटिया महल बाजार इत्र के लिए फेमस (ETV BHARAT)

आर्टिफिशियल फ्रेगरेंस वाले इत्र की ज्यादा बिक्री : फिलहाल बाजार में आर्टिफिशियल फ्रेगरेंस वाले इत्र ही ज्यादा बिकते हैं. साबिर ने बताया कि आज का इजी टू यूज़ का ज़माना है. इसके चलते रोल ऑन पैकिंग में आर्टिफिशियल कंपाउंड का इस्तेमाल किया जाता है. इसमें फ्रेंच और अरेबिक फ्रेग्रेन्स का इस्तेमाल किया जाता है. भारतीय इत्र की तुलना में इनकी कीमत काम होती है. इसलिए आजकल विदेशी इत्र की डिमांड काफी बढ़ गयी है.

दुकान के मालिक मोहम्मद साबिर से खास बातचीत (ETV BHARAT)
इत्र पर डिस्काउंट : मटिया महल बाजार में जम जम इत्र शॉप के विक्रेता असर ने बताया कि रमजान के सभी नया इत्र खरीदते हैं. इसलिए दुकान पर मौजूद कुछ प्रोडक्ट्स पर 15 से 20 फीसदी छूट रखी गयी है. इस समय उनकी दुकान पर सबसे ज्यादा एहसास नाम के इत्र की डिमांड है. इसकी कीमत 250 रुपए है 25ml की. उनकी दुकान पर ऊद का इत्र सबसे महंगा है. लेकिन उनकी डिमांड ना के बराबर है. ऊद की कीमत लाखों में होती है.
मटिया महल बाजार में इत्र की कई दुकानें सजी (ETV BHARAT)
मटिया महल बाजार के इत्र की है भारी डिमांडनैनीताल के रहने वाले कोसन सिद्दीकी ने बताया कि वह हर साल रमजान में अपनी बड़ी बहन के घर आते हैं. परिवार ने सभी ने बोला कि इत्र लेने है तो बाजार मटिया महल जाओ. बाजार में इत्र पर अच्छे डिस्काउंट दिए जा रह है. उन्हें इत्र लगाना काफी पसंद है क्योंकि इस्लाम ने इत्र को पाक माना गया है.
आर्टिफिशियल फ्रेगरेंस वाले इत्र की ज्यादा बिक्री
आर्टिफिशियल फ्रेगरेंस वाले इत्र की ज्यादा बिक्री (ETV BHARAT)
कैसे पहचानें इत्र की खुशबू : बता दें कि अगर आप किसी दुकान पर इत्र खरीदने जा रहे हैं. लेकिन पूरी दुकान में इत्र की खुशबू फैली है तो ऐसे में पसंदीदा इत्र की पहचान करना आपके लिए मुश्किल होता है. इत्र विक्रेता महुम्मद अरमान ने बताया कि ग्राहक को इत्र की 100 फीसदी सही खुशबू की पहचान करने के लिए हम उनको कॉफी बीन्स की खुशबू सूंघातें है. इससे उनकी नाक रिफ्रेश हो जाती है और वह अपनी पसंद का इत्र खरीद पाते हैं.
250 साल पुराने बादशाहों और बेगमों के इत्र यहां मौजूद
250 साल पुराने बादशाहों और बेगमों के इत्र यहां मौजूद (ETV BHARAT)
इस्लाम में इत्र का महत्व : क्या आप जानते है इत्र का इस्तेमाल केवल इस्लाम धर्म में ही नहीं किया जाता, बल्कि हर धर्म के अच्छे कामों में इत्र इस्तेमाल होता है. थोक विक्रेता साबिर ने बताया कि इत्र में किसी भी तरह का एल्कोहल नहीं होता है. इसलिए इसका इस्तेमाल नमाज़ और पूजा में किया जाता है. अगर इस्लाम की बात करें तो, यह कहा गया है कि मस्जिद में जाने से पहले नए, साफ और खुशबूदार कपड़े पहन कर जानना चाहिए.

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Last Updated : March 20, 2025 at 7:18 PM IST
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