नई दिल्ली: केंद्रीय ड्रग कंट्रोल डिपार्टमेंट द्वारा हाल ही में 35 दवाओं और इंजेक्शन को बैन कर दिया गया है. एफडीसी श्रेणी वाली यह दवाएं बाजारों में काफी समय से बेची जा रहीं थीं, लेकिन, इन दवाओं के बारे में शिकायत मिलने के बाद उन्हें बैन कर दिया गया. साथ ही, इन दवाओं को तत्काल प्रभाव से सरेंडर करने का भी आदेश दिया गया है. आखिर इन दवाओं को अचानक क्यों बैन किया गया और एफडीसी दवा क्या होती है, यह जानना हर आदमी के लिए जरूरी है, क्योंकि हर किसी को आए दिन किसी न किसी दवा की जरूरत पड़ती रहती है और लोग अनजाने में ऐसी दवा काफी महंगी खरीद लेते हैं, जो उन्हें जानकारी होने पर सस्ती भी मिल सकती हैं.
इन दवाओं को बैन करने के पीछे की पूरी सच्चाई और लोगों को इससे रूबरू कराने के लिए ईटीवी भारत ने फार्मा विशेषज्ञ एवं रिटेलर डिस्ट्रीब्यूटर केमिस्ट एलाइंस (आरडीसीए) दिल्ली के जोनल हेड डॉ. बसंत गोयल से बातचीत की. डॉक्टर बसंत गोयल ने बताया कि एफडीसी का मतलब फिक्स्ड डोज कांबिनेशन होता है. इसके तहत कुछ दवाई कंपनियां खुद ज्यादा मुनाफा कमाने के चक्कर में स्टेट ड्रग कंट्रोल डिपार्टमेंट से सांठगांठ करके कुछ दो-तीन साल्ट को एक साथ मिला करके एक अलग तरह की दवाई बना देती हैं, जिसको बनाने का लाइसेंस सिर्फ उनके पास होता है. फिर उस दवाई को ये कंपनियां मनमाने दामों में बेचती हैं. इस तरह की दवाइयां सिर्फ मोटा मुनाफा कमाने के लिए बनाई जाती हैं. साथ ही बड़े-बड़े अस्पताल इन दवाइयां का इस्तेमाल करके बड़े बड़े बिल बनाकर मरीजों के घर मकान भी बिकवा देते हैं.
डॉ. बसंत गोयल ने कहा कि समय-समय पर ड्रग कंट्रोल डिपार्टमेंट द्वारा इस तरह की दवाइयां के खिलाफ शिकायत मिलने पर जांच होती रहती है. जब जांच में ये दवाइयां पकड़ में आती हैं तो इनको बैन किया जाता है. उन्होंने बताया कि जो 35 दवाइयां सेंट्रल ड्रग कंट्रोल डिपार्टमेंट के द्वारा बैन की गई हैं, उनमें एक दवाई शुगर की है, जो काफी मात्रा में उपयोग की जाती है. मेटफार्मिन हाइड्रोक्लोराइड साल्ट के नाम से मिलने वाली यह दवाई बाजार में जेनेरिक रूप में सात रुपये में 10 गोली का पत्ता उपलब्ध है. लेकिन, इसमें तीन साल्ट और जोड़कर के एक नई दवाई तैयार की गई, जिसको बैन कर दिया गया है. मेटफार्मिन हाइड्रो क्लोराइड 500 एमजी सिंगल साल्ट के नाम से मिलने वाली दवा बाजार में अभी भी बेची जा सकती है. उस दवा पर रोक नहीं है. लेकिन, मेटफार्मिन हाइड्रोक्लोराइड के नाम के साथ तीन और साल्ट जोड़कर के जो दवा बाजार में अभी बेची जा रही थी, उसको बैन कर दिया गया है.

मेराबेग्रोन पर भी बैन: डॉ. बसंत गोयल ने कहा कि इसके साथ ही अन्य दो साल्ट के साथ बनाकर बेची जा रही मेराबेग्रोन को भी बैन किया गया है. यह दवाई यूरोलॉजी से संबंधित समस्या के इलाज में उपयोग की जाती है, जिसको भी कई साल्ट जोड़कर के तैयार किया गया और काफी महंगी कीमत पर बाजार में बेची जा रही थी. उन्होंने बताया कि ड्रग कंट्रोल डिपार्टमेंट के द्वारा यह भी देखा जाता है कि जो दवाइयां कई साल्ट कांबिनेशन के द्वारा तैयार की गई हैं, क्या वास्तव में मरीजों को उनसे कुछ फायदा मिल रहा है. कई बार ऐसा भी देखने में आता है कि वह दवाई सिर्फ ज्यादा कीमत वसूलने के लिए तैयार की गई है. उस दवाई का मरीज के लिए कोई ज्यादा फायदा नहीं है. जबकि कई दवाइयां तैयार करने से मरीजों को फायदा भी मिलता है.

बैन की गईं दवाइयों को वापस लेने से इनकार नहीं कर सकती दवा कंपनी: डॉक्टर बसंत गोयल ने बताया कि अब नियमानुसार बैन की गई सारी दवाएं बाजार से वापस ली जाएंगी और दवा कंपनी इन बैन की गई दवा को वापस लेने से इनकार नहीं कर सकती है. डॉक्टर बसंत गोयल ने बताया कि दवा कंपनियां जनता के साथ इस तरह का खेल बहुत लंबे समय से खेलती आ रही हैं, जिस पर अब समय-समय पर कार्रवाई भी देखने को मिल रही है. उन्होंने बताया कि किसी भी तरह की दवाई को बनाने के लिए सेंट्रल ड्रग कंट्रोल डिपार्टमेंट या स्टेट कंट्रोल डिपार्टमेंट से परमिशन लेना अनिवार्य है. इस परमिशन के बिना दवाई बनाना संभव नहीं है. पहले ड्रग कंट्रोल डिपार्टमेंट द्वारा बहुत ही आसानी से दवा कंपनियों को नई दवाई बनाने की परमिशन दे दी जाती थी लेकिन अब दवाई कंपनियों द्वारा इस मामले में कई बार बड़ा खेल करने का खुलासा होने के बाद इस मामले में सख्ती बरती जा रही है.
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