बीकानेर: देवताओं में सबसे पहले पूजे जाने वाले भगवान श्री गणेश की आराधना के लिए संकटहर चतुर्थी का विशेष महत्व होता है. यह दिन उन भक्तों के लिए खास होता है जो अपने जीवन से कष्टों और बाधाओं को दूर करना चाहते हैं. पंडित नितिन वत्स बताते हैं कि इस दिन गणपति की पूजा करने से जीवन की अनेक समस्याओं से छुटकारा मिलता है और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है.
संकटहर चतुर्थी का महत्व: पंडित वत्स ने बताय कि पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान गणेश का जन्म देवी पार्वती ने चंदन के लेप से किया था. उन्होंने एक बालक की रचना की और उसमें प्राण फूंककर उसे अपने स्नानकाल में द्वार पर पहरा देने को कहा. जब भगवान शिव वहां पहुंचे तो बालक ने उन्हें रोका, जिससे युद्ध हुआ और भगवान शिव ने उसका सिर काट दिया. पार्वती के क्रोध से उत्पन्न संकट को शांत करने के लिए भगवान शिव ने हाथी का सिर उस बालक के धड़ पर स्थापित कर उसे पुनर्जीवित किया. यही बालक आगे चलकर गणेश कहलाया और गणों का स्वामी बना.
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पंडित वत्स बताते हैं कि 'संकट' का अर्थ है समस्याएं और 'हर' का मतलब है हरने वाला. चतुर्थी तिथि अमावस्या या पूर्णिमा के बाद चौथे दिन आती है, इसलिए यह दिन संकटों को हरने के लिए विशेष रूप से महत्व रखता है. इसे संकष्टी चतुर्थी भी कहा जाता है और यह हर महीने कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाई जाती है. इस दिन श्रद्धालु भगवान गणेश की पूजा करके जीवन में आने वाली कठिनाइयों से मुक्ति की प्रार्थना करते हैं.