सुमेश खत्री, हरिद्वार: आज चैत्र नवरात्रि का चौथा दिन है. इस दिन मां दुर्गा के चौथे रूप कुष्मांडा की पूजा की जाती है. ऐसे में आज आपको हरिद्वार के माया देवी मंदिर की महिमा से रूबरू करवाते हैं. जिसे हरिद्वार की अधिष्ठात्री देवी भी माना जाता है. कहा जाता है कि यहां माता सती की नाभि गिरी थी. जिसके चलते इस मंदिर की महिमा दूर-दूर तक है.
हरिद्वार में गिरी थी माता सती की नाभि: प्राचीन मान्यता है कि मां सती का एक अंग यानी नाभि यहां गिरी थी. जहां-जहां उनके अंग गिरे, वे स्थान शक्तिपीठ के रूप में विख्यात हुए. दुनिया में ऐसे 51 स्थान हैं, जहां पर सती के अंग गिरे थे. ये सभी स्थान शक्तिपीठ के रूप में जाने जाते हैं. इन स्थानों पर जो भी आराधना करता है, उसकी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं.
माया देवी के नाम पर पड़ा हरिद्वार का नाम: माना जाता है कि हरिद्वार का नाम भी माया देवी के नाम पर ही पड़ा. माया देवी हरिद्वार की अधिष्ठात्री देवी मानीं जाती हैं. माया देवी मंदिर तंत्र विद्या के लिए जाना जाता है. इसलिए इस जगह को सिद्धपीठ भी कहा जाता है. पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान नारद ने भी यहां आराधना की थी और उन्हें यहां पर मां लक्ष्मी के दर्शन हुए थे.
आराधना करने से सभी मनोकामनाएं होती हैं पूरी: हरिद्वार के ज्यादातर लोग हर रोज माता के दर्शन करने के लिए माया देवी मंदिर आते हैं. हरिद्वार के व्यापारी तो माता के दर्शन के साथ ही अपनी कारोबार की शुरुआत करते हैं. स्थानीय लोगों का मानना है कि नवरात्रि में माया देवी मंदिर में आराधना करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं.

उनका कहना है कि सामान्य दिनों में भी इस मंदिर में पूजा करने से सभी कामनाएं पूरी होती हैं. यहां तक कि मां स्वयं ही मन की मुराद को जान लेती हैं और उनको पूरा कर देती हैं. नवरात्रि के चलते इन दिनों माया देवी मंदिर में भक्तों की भीड़ लगी हुई हैं.
माया देवी की मान्यता: पुराणों की मानें तो राजा दक्ष ने एक विशाल यज्ञ कराने के लिए यज्ञ कुंड का निर्माण कराया था. उन्होंने इस यज्ञ में तमाम देवी-देवताओं और ऋषि मुनियों को आमंत्रित किया था, लेकिन अपने दामाद भगवान शंकर को इस यज्ञ में नहीं बुलाया. यज्ञ होने की जानकारी मिलने पर पार्वती ने भी शंकर जी से वहां जाने की इच्छा जताई, जिस पर भगवान शंकर ने उन्हें बिन बुलाए न जाने की सलाह दी.

इसके बाद भी पिता प्रेम की वजह से मां पार्वती यज्ञ में चली गईं. जब पार्वती यज्ञ में पहुंचीं तो उन्हें अपने पति का आसन नहीं दिखा. जिसे देख पार्वती ने पति और खुद का अपमान समझा और वो यज्ञ कुंड में कूद पड़ी. जिससे वो सती हो गईं. वहीं, इससे क्रोधित होकर शंकर भगवान ने रौद्र रूप धारण कर लिया और उनके निर्देश पर उनके गणों ने दक्ष का यज्ञ विध्वंस कर डाला.
भगवान शंकर रौद्र रूप में सती की देह लेकर ब्रह्मांड में घूमने लगे. तब भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से सती के देह के टुकड़े करने शुरू कर दिए. पुराणों में कहा गया है कि जहां-जहां सती के अंग गिरते गए, वो जगह ही शक्तिपीठ बन गए. इनमें से एक अंग यानी सती की नाभि इसी स्थान पर गिरी थी.
ब्रह्मांड का केंद्र भी माना जाता है माया देवी मंदिर: हरिद्वार में जिस जगह पर सती की नाभि गिरी थी, उस जगह पर आज माया देवी मंदिर स्थित है. सती की नाभि गिरने से इस जगह को ब्रह्मांड का केंद्र भी माना जाता है. इसी के बाद हरिद्वार का नाम मायापुरी पड़ा. इसके बाद मायापुरी सप्तपुरियों में सातवीं पुरी बन गई थी.
दर्शन करने पर बनी रहती है धन संपदा: हरिद्वार का माया देवी मंदिर लक्ष्मी के रूप में भक्तों को आकर्षित करता रहता है. इस मंदिर में नवरात्रि में जो भी दर्शन करने आता है, उसके यहां धन संपदा बनी रहती है. क्योंकि, लक्ष्मी का दूसरा नाम माया है. इसका वर्णन दुर्गा सप्तशती में भी मिलता है. मान्यता है कि यहां पूजा करने से धन तो मिलता ही है, साथ ही दुश्मनों से भी छुटकारा मिल जाता है.
पहरेदार भैरव के भी दर्शन करने पर पूरे माने जाते हैं दर्शन: माता के भक्तों का मानना है कि माया देवी मंदिर में दर्शन करने के बाद जो भी कार्य किया जाता है, वो हमेशा सफल होता है. माता कुछ भी मांगे तो उसे पूरा कर देती हैं. माया देवी के दर्शन तब पूरे माने जाते हैं, जब वो माया के पहरेदार भैरव के दर्शन कर लें. माया देवी मंदिर में ही देवी के अन्य रूपों के भी दर्शन करने को मिल जाते हैं और इसी परिसर में भगवान शंकर की आराधना भी की जा सकती है.
क्या है खास है यह स्थान: दुनिया में यह पहला स्थान है, जहां सिद्ध देवियों के तीन मंदिर एक ही स्थान पर हैं. माया देवी का मंदिर त्रिकोण में है. इस त्रिकोण के उत्तरी कोणों में मां मनसा देवी, दक्षिण में शीतला देवी (जहां सती का जन्म हुआ) और पूर्वी कोण में चंडी देवी का मंदिर है. इस मंदिर में वो शक्ति है, जो भी दर्शन करता है, वो सभी इच्छाओं को प्राप्त कर लेता है. यही वजह है कि नवरात्रि में माया देवी मंदिर में मां के भक्तों का तांता लगा रहता है.
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