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रामनवमी विजयादशमी जुलूस का गौरवमय इतिहास, 1918 से निकाली जा रही यात्रा - RAM NAVAMI 2025

हजारीबाग के रामनवमी विजयादशमी जुलूस गौरवमय है. इस रिपोर्ट से जानें, इसका इतिहास.

Know glorious history of Ramnavami Vijayadashami procession of Hazaribag
हजारीबाग में रामनवमी का जुलूस (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : April 3, 2025 at 3:56 PM IST

5 Min Read

हजारीबागः झारखंड के हजारीबाग का रामनवमी ऐतिहासिक है. इन दिनों झारखंड में विभिन्न अखबार से लेकर सोशल मीडिया में यह खबर सुर्खियों में है. आखिर ऐतिहासिक क्यों है यह एक बड़ा सवाल बनता है. ईटीवी भारत आपको रामनवमी के इतिहास के बारे में रूबरू कराने जा रहा है कि आखिर किसने इस जुलूस की शुरुआत की थी. क्या किसी ने सोचा था कि वह जुलूस आज इतना भव्य रूप ले लेगा.

देश में तीन ऐसे धार्मिक जुलूस हैं जहां लाखों लोगों की सहभागिता होती है. मुंबई का गणपति महोत्सव, पुरी की रथ यात्रा और तीसरा हजारीबाग का रामनवमी जुलूस. रामनवमी जुलूस की भव्यता यही है कि जब पूरे देश भर में रामनवमी समाप्त हो जाता है. उस समय हजारीबाग में इसका आगाज होता है लगभग 16 किलोमीटर का जुलूस मार्ग को पूरा करने में 36 घंटे से भी अधिक का समय लग जाता है. इस पर्व में लगभग 5 लाख से अधिक राम भक्तों की सहभागिता होती है.

जानिए, हजारीबाग के रामनवमी जुलूस का गौरवमय इतिहास (ETV Bharat)

इंटरनेशनल रामनवमी

हजारीबाग से निकलने वाला रामनवमी जुलूस, अब विश्व विख्यात जुलूस के रूप में तब्दील चुका है. हजारीबाग रामनवमी को इंटरनेशनल रामनवमी के रूप में भी जाना जाने लगा है. श्रीचैत्र रामनवमी महासमिति के पूर्व अध्यक्ष अमरदीप यादव ने राज्य सरकार से हजारीबाग रामनवमी को राजकीय पर्व का दर्जा देने का मांग की है. चैत्र नवमी को निकलने वाला यह जुलूस बिना रुके दशमी और ग्यारहवीं तक अनवरत चलता रहता है. इस जुलूस हजारों की हजार संख्या में हर उम्र के लोग सम्मिलित होते हैं.

वर्ष 1918 में हुई शुरुआत

हजारीबाग में रामनवमी जुलूस की शुरुआत वर्ष 1918 में हुई थी. चैत माह के नवमी को मर्यादा पुरूषोतम भगवान राम के जन्मदिन पर जुलूस निकाला गया था. स्वर्गीय गुरु सहाय ठाकुर ने अपने मित्र हीरालाल महाजन, टीभर गोप, कन्हाई गोप, जटाधर बाबू, यदुनाथ के साथ रामनवमी पर्व की शुरुआत हजारीबाग से की थी. शहर के कुम्हारटोली से जुलूस निकाला था. प्रसाद का थाल, महावीरी झंडा, दो ढोल और सभी लोग भगवान राम की जय का नारा लगा रहे थे.

Know glorious history of Ramnavami Vijayadashami procession of Hazaribag
रामनवमी जुलूस में शामिल लोग (ETV Bharat)

गोधुली बेला में झंडा बड़ा अखाड़ा में जमा हुआ. यहां से 40-50 फीट ऊंचे दर्जनों झंडों के साथ जुलूस निकला. बड़ा बाजार एक नंबर टाउन थाना के सामने कर्जन ग्राउंड के मुख्यद्वार से जुलूस मैदान में पहुंचता था. यहां एक दो घंटे लोग लाठी खेलते थे. फिर सभी झंडे अपने-अपने मुहल्ले में जाते थे. 1933 में कुम्हारटोली में बसंती दुर्गापूजा टोली की शुरुआत हुई. 1947 तक सिर्फ नवमी के दिन ही जुलूस निकाला जाता रहा था.

देश की आजादी के बाद रामनवमी के जुलूस का विस्तार हो गया. आसपास के गांव वाले भी इस जुलूस में शामिल होने लगे. भगवान राम के जन्मदिन पर नवमी के दिन निकलने वाला जुलूस कालांतर में दुर्गा प्रतिमा के विसर्जन जुलूस के साथ सम्मिलित हो गया.

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हजारीबाग की रामनवमी (ETV Bharat)

जुलूस में बंगाल का ताशा पार्टी की धूम

प्रारंभिक समय में गाजा बाजा के साथ जुलूस निकाला जाता था. समय बदलने के साथ-साथ बंगाल की ताशा पार्टी ने जगह बना ली. इसमें लगभग 100 से अधिक ताशा पार्टी हजारीबाग पहुंचने लगे. जिससे इस रामनवमी की पहचान हजारीबाग से निकलकर निकटवर्ती राज्य तक पहुंच गयी. समय बदला तो ताशा की जगह डीजे ने जगह ले ली. फिर से या कोशिश की जा रही है कि रामनवमी अपने पुराने रंग में रंग जाए और ताशा वापस लौट जाए.

पहले जुलूस नवमी के दिन निकलता था. इसकी भव्यता बड़ी तो विजयादशमी के दिन भी जुलूस निकाला जाने लगा है. कालांतर में जुलूस इतना वृहद हो गया है कि ग्यारहवीं के शाम तक समाप्त हो पाता है. पिछले एक दशक को गौर किया जाए तो जुलूस एकादशी के रात के 9 से 10 बजे तक सड़कों में रहता है. जामा मस्जिद होते हुए जुलूस का समापन होता है.

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हजारीबाग में रामनवमी का जुलूस (ETV Bharat)

1929 में रांची में निकला था पहला जुलूस

स्वर्गीय गुरु सहाय ठाकुर के प्रयास से 1929 में पहला जुलूस रांची में निकाला गया था. इसे देख कर अन्य जिलों में भी रामनवमी जुलूस निकाला जाने लगा समय. समय बीता तो रामनवमी जुलूस के साथ-साथ मंगल जुलूस निकालने की भी परंपरा शुरू की. इसकी भी शुरुआत हजारीबाग से होती है. इस जुलूस में हजारों हजार की संख्या में स्त्री पुरुष, बच्चे बूढ़े एक साथ नाचते गाते जुलूस को आगे बढ़ाते रहते हैं. जुलूस की झांकियां कुछ ना कुछ नए सामाजिक संदेशों भी देखने को मिला. जुलूस का संचालन जिला प्रशासन सहित श्री चैत रामनवमी महासमिति के सौ से अधिक सक्रिय कार्यकर्ता करते रहते हैं.

इसे भी पढ़ें- हजारीबाग की इंटरनेशनल रामनवमी, अंतिम मंगला जुलूस के दौरान दिखा रामभक्तों का सैलाब

इसे भी पढ़ें- हजारीबाग में आपसी सौहार्द की मिसाल, यहां मुस्लिम कारीगर रामनवमी पर झंडे और भगवान के पोशाक करता है तैयार, विदेशों तक डिमांड

इसे भी पढ़ें- हजारीबाग में रामनवमी का जुलूस होगा खास, लाठी भांजती और तलवारबाजी करती नजर आएंगी बेटियां

हजारीबागः झारखंड के हजारीबाग का रामनवमी ऐतिहासिक है. इन दिनों झारखंड में विभिन्न अखबार से लेकर सोशल मीडिया में यह खबर सुर्खियों में है. आखिर ऐतिहासिक क्यों है यह एक बड़ा सवाल बनता है. ईटीवी भारत आपको रामनवमी के इतिहास के बारे में रूबरू कराने जा रहा है कि आखिर किसने इस जुलूस की शुरुआत की थी. क्या किसी ने सोचा था कि वह जुलूस आज इतना भव्य रूप ले लेगा.

देश में तीन ऐसे धार्मिक जुलूस हैं जहां लाखों लोगों की सहभागिता होती है. मुंबई का गणपति महोत्सव, पुरी की रथ यात्रा और तीसरा हजारीबाग का रामनवमी जुलूस. रामनवमी जुलूस की भव्यता यही है कि जब पूरे देश भर में रामनवमी समाप्त हो जाता है. उस समय हजारीबाग में इसका आगाज होता है लगभग 16 किलोमीटर का जुलूस मार्ग को पूरा करने में 36 घंटे से भी अधिक का समय लग जाता है. इस पर्व में लगभग 5 लाख से अधिक राम भक्तों की सहभागिता होती है.

जानिए, हजारीबाग के रामनवमी जुलूस का गौरवमय इतिहास (ETV Bharat)

इंटरनेशनल रामनवमी

हजारीबाग से निकलने वाला रामनवमी जुलूस, अब विश्व विख्यात जुलूस के रूप में तब्दील चुका है. हजारीबाग रामनवमी को इंटरनेशनल रामनवमी के रूप में भी जाना जाने लगा है. श्रीचैत्र रामनवमी महासमिति के पूर्व अध्यक्ष अमरदीप यादव ने राज्य सरकार से हजारीबाग रामनवमी को राजकीय पर्व का दर्जा देने का मांग की है. चैत्र नवमी को निकलने वाला यह जुलूस बिना रुके दशमी और ग्यारहवीं तक अनवरत चलता रहता है. इस जुलूस हजारों की हजार संख्या में हर उम्र के लोग सम्मिलित होते हैं.

वर्ष 1918 में हुई शुरुआत

हजारीबाग में रामनवमी जुलूस की शुरुआत वर्ष 1918 में हुई थी. चैत माह के नवमी को मर्यादा पुरूषोतम भगवान राम के जन्मदिन पर जुलूस निकाला गया था. स्वर्गीय गुरु सहाय ठाकुर ने अपने मित्र हीरालाल महाजन, टीभर गोप, कन्हाई गोप, जटाधर बाबू, यदुनाथ के साथ रामनवमी पर्व की शुरुआत हजारीबाग से की थी. शहर के कुम्हारटोली से जुलूस निकाला था. प्रसाद का थाल, महावीरी झंडा, दो ढोल और सभी लोग भगवान राम की जय का नारा लगा रहे थे.

Know glorious history of Ramnavami Vijayadashami procession of Hazaribag
रामनवमी जुलूस में शामिल लोग (ETV Bharat)

गोधुली बेला में झंडा बड़ा अखाड़ा में जमा हुआ. यहां से 40-50 फीट ऊंचे दर्जनों झंडों के साथ जुलूस निकला. बड़ा बाजार एक नंबर टाउन थाना के सामने कर्जन ग्राउंड के मुख्यद्वार से जुलूस मैदान में पहुंचता था. यहां एक दो घंटे लोग लाठी खेलते थे. फिर सभी झंडे अपने-अपने मुहल्ले में जाते थे. 1933 में कुम्हारटोली में बसंती दुर्गापूजा टोली की शुरुआत हुई. 1947 तक सिर्फ नवमी के दिन ही जुलूस निकाला जाता रहा था.

देश की आजादी के बाद रामनवमी के जुलूस का विस्तार हो गया. आसपास के गांव वाले भी इस जुलूस में शामिल होने लगे. भगवान राम के जन्मदिन पर नवमी के दिन निकलने वाला जुलूस कालांतर में दुर्गा प्रतिमा के विसर्जन जुलूस के साथ सम्मिलित हो गया.

Know glorious history of Ramnavami Vijayadashami procession of Hazaribag
हजारीबाग की रामनवमी (ETV Bharat)

जुलूस में बंगाल का ताशा पार्टी की धूम

प्रारंभिक समय में गाजा बाजा के साथ जुलूस निकाला जाता था. समय बदलने के साथ-साथ बंगाल की ताशा पार्टी ने जगह बना ली. इसमें लगभग 100 से अधिक ताशा पार्टी हजारीबाग पहुंचने लगे. जिससे इस रामनवमी की पहचान हजारीबाग से निकलकर निकटवर्ती राज्य तक पहुंच गयी. समय बदला तो ताशा की जगह डीजे ने जगह ले ली. फिर से या कोशिश की जा रही है कि रामनवमी अपने पुराने रंग में रंग जाए और ताशा वापस लौट जाए.

पहले जुलूस नवमी के दिन निकलता था. इसकी भव्यता बड़ी तो विजयादशमी के दिन भी जुलूस निकाला जाने लगा है. कालांतर में जुलूस इतना वृहद हो गया है कि ग्यारहवीं के शाम तक समाप्त हो पाता है. पिछले एक दशक को गौर किया जाए तो जुलूस एकादशी के रात के 9 से 10 बजे तक सड़कों में रहता है. जामा मस्जिद होते हुए जुलूस का समापन होता है.

Know glorious history of Ramnavami Vijayadashami procession of Hazaribag
हजारीबाग में रामनवमी का जुलूस (ETV Bharat)

1929 में रांची में निकला था पहला जुलूस

स्वर्गीय गुरु सहाय ठाकुर के प्रयास से 1929 में पहला जुलूस रांची में निकाला गया था. इसे देख कर अन्य जिलों में भी रामनवमी जुलूस निकाला जाने लगा समय. समय बीता तो रामनवमी जुलूस के साथ-साथ मंगल जुलूस निकालने की भी परंपरा शुरू की. इसकी भी शुरुआत हजारीबाग से होती है. इस जुलूस में हजारों हजार की संख्या में स्त्री पुरुष, बच्चे बूढ़े एक साथ नाचते गाते जुलूस को आगे बढ़ाते रहते हैं. जुलूस की झांकियां कुछ ना कुछ नए सामाजिक संदेशों भी देखने को मिला. जुलूस का संचालन जिला प्रशासन सहित श्री चैत रामनवमी महासमिति के सौ से अधिक सक्रिय कार्यकर्ता करते रहते हैं.

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