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ब्लैक कार्प से लाखों में कमाई, अब बिहार में भी मिलने लगी चीन-वियतनाम के मीठे झील में पाई जाने वाली मछली - Black Carp Fish

Bihar Poultry and Aqua Expo 2024: बिहार पोल्ट्री एंड एक्वा एक्सपो 2024 में 15 किलो की ब्लैक कार्प मछली आकर्षण का केंद्र बन गई है. मछली पालक के 16 एकड़ तालाब में इसे पालकर लाखों की कमाई कर रहे हैं. यहां जानें क्या है इसकी मार्केट में कीमत.

Bihar Poultry and Aqua Expo 2024
बिहार पोल्ट्री एंड एक्वा एक्सपो (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Sep 15, 2024, 7:08 AM IST

बिहार पोल्ट्री एंड एक्वा एक्सपो (ETV Bharat)

पटना: पटना के गांधी मैदान स्थित ज्ञान भवन में बिहार पोल्ट्री एंड एक्वा एक्सपो 2024 का आयोजन किया गया है. जिसमें पटना के बेलछी प्रखंड के मछली पालक किसान विवेक कुमार की 15 किलो की ब्लैक कार्प मछली आकर्षण का केंद्र बनी हुई है. यह इसलिए भी, क्योंकि यह मछली मूल रूप से बिहार और भारत की नहीं है. दक्षिण चीन और वियतनाम के मीठे झील में यह मछली पाई जाती है.

कितने साल में तैयार होती है ये मछली?: मछली पालक विवेक कुमार 16 एकड़ तालाब में इस मछली की पैदावार कर लाखों रुपये की आमदनी कर रहे हैं. इस मौके पर एक बड़े टब में रखी हुई 15 किलो मछली की केयरिंग कर रहे केयरटेकर श्रवण कुमार ने बताया कि यह ब्लैक कार्प मछली है. यह अभी लगभग 4 साल की है और 4 से 6 साल में यह मछली तैयार होती है. यह अभी कम वजन की मछली है और यह 25 से 30 किलो तक की होती है.

Black Carp Fish in Bihar
स्वाद के साथ सेहत के भी फायदे (ETV Bharat)

कितनी है बाजार में इसकी कीमत?: जिस तालाब में यह मछली रहती है, उसमें रेहू, कतला और अन्य मछलियों को भी पाला जाता है. बाजार में यह मछली 400 से 450 रुपये प्रति किलो के भाव से बिकती है. वहीं 25 से 30 किलो की एक मछली को 10000-12000 रुपये में बेचा जाता है. इसका स्वाद भी लाजवाब होता है और यह मुनाफा भी अधिक देती है.

Bihar Poultry and Aqua Expo 2024
हजारों की है एक मछली (ETV Bharat)

क्या है इस मछली की विशेषता: मछली पालक विवेक कुमार ने बताया कि ब्लैक कार्प का वैज्ञानिक नाम मायलोफेरिंगोडोन पाइसस है. यह मूल रूप से पूर्वी एशिया के दक्षिण चीन, वियतनाम जैसी जगहों के नदियों और मीठे झीलों में पाई जाती है. यह लंबी शरीर की होती है और इसके काले और भूरे रंग के पंखों के साथ बड़े शल्क होते हैं. यह मछली छोटे स्नेल जिसे घोंघा कहते हैं, उसे खाती है.

एक एकड़ के तालाब लाखों की कमाई: इस मछली में कांटे काम होते हैं और जो होते भी हैं वह मोटे होते हैं, इसलिए लोग खाने में आसानी से कांटे निकाल लेते हैं. स्वाद भी इसका काफी लाजवाब होता है. सिर्फ इस मछली की पैदावार करके एक एकड़ तालाब से वह 5 लाख साल में कमाते हैं. 16 एकड़ में वह इसकी पैदावार करते हैं, तो साल में 80 लाख की बचत करते हैं. इसके अलावा अन्य मछलियों से भी वह लगभग इतना ही कमाते हैं.

1 एकड़ तालाब में 100 ब्लैक कार्प मछली: विवेक कुमार बताते हैं कि वह मत्स्य पालन के लिए राज्य सरकार की सभी योजनाओं का लाभ लेते हैं. ब्लैक कार्प मछली की डिमांड इतनी अधिक है कि वह इसे कहीं एक्सपोर्ट नहीं करते हैं. सैकड़ों की तादाद में मत्स्य व्यवसायी आते हैं और खुद उनके तालाब से लेकर जाते हैं. फिर भी डिमांड की अनुरूप सप्लाई कम पर जाती है.

Bihar Poultry and Aqua Expo 2024
कहां की है ये मछली (ETV Bharat)

"एक एकड़ तालाब में 100 ब्लैक कार्प मछली तैयार होती है और हमारे पास 1600 से अधिक ब्लैक कार्प मछली है. एक मछली लगभग 10000 रुपये में बिकती है. इस मछली को तैयार करने में प्रति किलो चार साल में 70 रुपये का खर्च आता है. हर साल तीन से चार किलो यह मछली बढ़ती है. यानी लगभग 2000 रुपये की लागत और 10000 रुपये में बिक्री यानी 8000 रुपये की बचत होती है."-विवेक कुमार, मछली पालक

2018 से शुरू की मछली पालन: बता दें कि लागत में मछली के दाने से लेकर केयरटेकर का वेतन तक शामिल होता है. वह मछली सीधे व्यावसायियों को बेचते हैं और प्रत्येक मछली पर व्यवसाय लगभग 3000-4000 रुपये अपना बचत करते हैं. 2018 से वह मछली पालन में लगे हुए हैं और वह हेचरी भी तैयार करते हैं.

जिस जमीन पर पैदावार नहीं, वहां से करोड़ों का मुनाफा: विवेक कुमार ने बताया कि बेलछी प्रखंड लाल क्षेत्र में आता है और पहले उनके इलाके में साल में मुश्किल से एक फसल की ही खेती हो पाती थी. आधा से अधिक समय साल में खेत पानी से डूबे रहते थे. इसके बाद उन्होंने उन खेतों में ही तालाब तैयार करा दिया और मछली पालन शुरू किया.

सीएम ने की तारीफ: आज के समय यहां सैकड़ो लोग रोजगार प्राप्त कर रहे हैं और आसपास के सैकड़ो लोगों को मत्स्य व्यवसाय से जुड़ने का मौका मिला है. मछली पालन के कारण क्षेत्र का भी विकास हुआ है और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बेलछी प्रखंड के उद्घाटन के मौके पर जब पहुंचे तो उनके तालाब को विकसित किया और उनके प्रयासों को काफी सराहा. वह वैज्ञानिक तरीके से मछली पालन करते हैं तो सामान्य मछली पालक जितने बड़े तालाब में जितनी मछली का पैदावार करते हैं, वह उसकी तुलना में चौगुनी पैदावार करते हैं.

पढ़ेंः ब्लैक एंड व्हाइट जिंदगी में भरे रंग, रंगीन मछली पालन कर मालामाल हो रहे किसान, 20 तरह का ब्रीड उपलब्ध

बिहार पोल्ट्री एंड एक्वा एक्सपो (ETV Bharat)

पटना: पटना के गांधी मैदान स्थित ज्ञान भवन में बिहार पोल्ट्री एंड एक्वा एक्सपो 2024 का आयोजन किया गया है. जिसमें पटना के बेलछी प्रखंड के मछली पालक किसान विवेक कुमार की 15 किलो की ब्लैक कार्प मछली आकर्षण का केंद्र बनी हुई है. यह इसलिए भी, क्योंकि यह मछली मूल रूप से बिहार और भारत की नहीं है. दक्षिण चीन और वियतनाम के मीठे झील में यह मछली पाई जाती है.

कितने साल में तैयार होती है ये मछली?: मछली पालक विवेक कुमार 16 एकड़ तालाब में इस मछली की पैदावार कर लाखों रुपये की आमदनी कर रहे हैं. इस मौके पर एक बड़े टब में रखी हुई 15 किलो मछली की केयरिंग कर रहे केयरटेकर श्रवण कुमार ने बताया कि यह ब्लैक कार्प मछली है. यह अभी लगभग 4 साल की है और 4 से 6 साल में यह मछली तैयार होती है. यह अभी कम वजन की मछली है और यह 25 से 30 किलो तक की होती है.

Black Carp Fish in Bihar
स्वाद के साथ सेहत के भी फायदे (ETV Bharat)

कितनी है बाजार में इसकी कीमत?: जिस तालाब में यह मछली रहती है, उसमें रेहू, कतला और अन्य मछलियों को भी पाला जाता है. बाजार में यह मछली 400 से 450 रुपये प्रति किलो के भाव से बिकती है. वहीं 25 से 30 किलो की एक मछली को 10000-12000 रुपये में बेचा जाता है. इसका स्वाद भी लाजवाब होता है और यह मुनाफा भी अधिक देती है.

Bihar Poultry and Aqua Expo 2024
हजारों की है एक मछली (ETV Bharat)

क्या है इस मछली की विशेषता: मछली पालक विवेक कुमार ने बताया कि ब्लैक कार्प का वैज्ञानिक नाम मायलोफेरिंगोडोन पाइसस है. यह मूल रूप से पूर्वी एशिया के दक्षिण चीन, वियतनाम जैसी जगहों के नदियों और मीठे झीलों में पाई जाती है. यह लंबी शरीर की होती है और इसके काले और भूरे रंग के पंखों के साथ बड़े शल्क होते हैं. यह मछली छोटे स्नेल जिसे घोंघा कहते हैं, उसे खाती है.

एक एकड़ के तालाब लाखों की कमाई: इस मछली में कांटे काम होते हैं और जो होते भी हैं वह मोटे होते हैं, इसलिए लोग खाने में आसानी से कांटे निकाल लेते हैं. स्वाद भी इसका काफी लाजवाब होता है. सिर्फ इस मछली की पैदावार करके एक एकड़ तालाब से वह 5 लाख साल में कमाते हैं. 16 एकड़ में वह इसकी पैदावार करते हैं, तो साल में 80 लाख की बचत करते हैं. इसके अलावा अन्य मछलियों से भी वह लगभग इतना ही कमाते हैं.

1 एकड़ तालाब में 100 ब्लैक कार्प मछली: विवेक कुमार बताते हैं कि वह मत्स्य पालन के लिए राज्य सरकार की सभी योजनाओं का लाभ लेते हैं. ब्लैक कार्प मछली की डिमांड इतनी अधिक है कि वह इसे कहीं एक्सपोर्ट नहीं करते हैं. सैकड़ों की तादाद में मत्स्य व्यवसायी आते हैं और खुद उनके तालाब से लेकर जाते हैं. फिर भी डिमांड की अनुरूप सप्लाई कम पर जाती है.

Bihar Poultry and Aqua Expo 2024
कहां की है ये मछली (ETV Bharat)

"एक एकड़ तालाब में 100 ब्लैक कार्प मछली तैयार होती है और हमारे पास 1600 से अधिक ब्लैक कार्प मछली है. एक मछली लगभग 10000 रुपये में बिकती है. इस मछली को तैयार करने में प्रति किलो चार साल में 70 रुपये का खर्च आता है. हर साल तीन से चार किलो यह मछली बढ़ती है. यानी लगभग 2000 रुपये की लागत और 10000 रुपये में बिक्री यानी 8000 रुपये की बचत होती है."-विवेक कुमार, मछली पालक

2018 से शुरू की मछली पालन: बता दें कि लागत में मछली के दाने से लेकर केयरटेकर का वेतन तक शामिल होता है. वह मछली सीधे व्यावसायियों को बेचते हैं और प्रत्येक मछली पर व्यवसाय लगभग 3000-4000 रुपये अपना बचत करते हैं. 2018 से वह मछली पालन में लगे हुए हैं और वह हेचरी भी तैयार करते हैं.

जिस जमीन पर पैदावार नहीं, वहां से करोड़ों का मुनाफा: विवेक कुमार ने बताया कि बेलछी प्रखंड लाल क्षेत्र में आता है और पहले उनके इलाके में साल में मुश्किल से एक फसल की ही खेती हो पाती थी. आधा से अधिक समय साल में खेत पानी से डूबे रहते थे. इसके बाद उन्होंने उन खेतों में ही तालाब तैयार करा दिया और मछली पालन शुरू किया.

सीएम ने की तारीफ: आज के समय यहां सैकड़ो लोग रोजगार प्राप्त कर रहे हैं और आसपास के सैकड़ो लोगों को मत्स्य व्यवसाय से जुड़ने का मौका मिला है. मछली पालन के कारण क्षेत्र का भी विकास हुआ है और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बेलछी प्रखंड के उद्घाटन के मौके पर जब पहुंचे तो उनके तालाब को विकसित किया और उनके प्रयासों को काफी सराहा. वह वैज्ञानिक तरीके से मछली पालन करते हैं तो सामान्य मछली पालक जितने बड़े तालाब में जितनी मछली का पैदावार करते हैं, वह उसकी तुलना में चौगुनी पैदावार करते हैं.

पढ़ेंः ब्लैक एंड व्हाइट जिंदगी में भरे रंग, रंगीन मछली पालन कर मालामाल हो रहे किसान, 20 तरह का ब्रीड उपलब्ध

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