कुल्लू: पेड़ हमारे इकोसिस्टम का हिस्सा हैं. पेड़ों से दोस्ती कर ली जाए, तो उम्रभर साथ निभाते हैं. ताउम्र हमें और हमारी आने वाली पीढ़ियों को फल, ताजी हवा और जीवित जीवों को आवास, भोजन, पानी सब देते हैं. हिमाचल प्रदेश की वादियों में एक ऐसी ही कहानी बसी है एक बाप-बेटी की जोड़ी की, जिन्होंने पेड़ों से सिर्फ रिश्ता नहीं जोड़ा, बल्कि उन्हें परिवार का हिस्सा बना लिया.
आज दुनियाभर में पर्यावरण दिवस मनाया जाता है. कुछ लोग आज के दिन पेड़ लगाकर उसके जड़ों में पानी देकर अपनी जिम्मेदारी भर निभा देते हैं, लेकिन मनाली के अलेउ गांव के किशन लाल ठाकुर और उनकी बेटी कल्पना के लिए हर दिन पर्यावरण दिवस है. ये दोनों ना केवल पेड़ लगाते हैं, बल्कि उन्हें मित्र, भाई और संरक्षक मानकर उनके साथ जीते हैं, जहां किशन लाल बीते 35 वर्षों से धरती को हरा भरा करने का संकल्प निभा रहे हैं, वहीं कल्पना तीन साल की उम्र से पेड़ों को राखी बांधकर उन्हें जीवनभर के रिश्ते में बांध चुकी हैं. इनका रिश्ता धरती से, प्रकृति से और हर उस बीज से है जो एक पेड़ बनने का सपना देखता है.
सालों से पौधारोपण का काम कर रही बाप-बेटी की जोड़ी
हिमाचल प्रदेश में मनाली के अलेउ गांव में रहने वाले किशन लाल और उनकी बेटी कल्पना कई सालों से पौधारोपण के कार्य में जुटे हुए हैं और कई स्कूलों के साथ-साथ सामाजिक संस्थाओं के सहयोग से हिमालय क्षेत्र को हरा भरा बनाने की दिशा में लगातार प्रयास भी कर रहे हैं. सालों से दोनों बाप बेटी की जोड़ी लगातार जहां पौधारोपण कर रही है. वहीं, पेड़ों के संरक्षण की दिशा में भी काम कर रही हैं. वन विभाग और किशन लाल के प्रयासों से मनाली विधानसभा के बटाहर इलाके में एक घना जंगल तैयार किया गया है. ये दोनों अब तक 70 हजार से अधिक पौधे रोप चुके हैं.

कमाई का 25 प्रतिशत हिस्सा पौधारोपण पर करते हैं खर्च
हिमालयन नीति संस्था के संयोजक गुमान सिंह ने बताया कि 'किशन लाल बीते 35 सालों से पर्यावरण संरक्षण की दिशा में काम कर रहे हैं. किशन लाल कुल्लू, मनाली, लाहौल स्पीति, लेह सहित नेपाल में भी पौधारोपण का काम कर चुके हैं. किशन लाल अपनी कमाई का 25% हिस्सा पौधारोपण के काम में खर्च करते हैं. वन विभाग के सहयोग से भी किशन लाल को पौधे मिलते हैं. इसके अलावा कहीं सामाजिक संस्थाओं के साथ मिलकर भी वो पौधारोपण का काम करते हैं.'
मेरी बेटी भी मेरे साथ पौधारोपण का काम करती है. सबसे पहले मैंने अपनी बेटी को एक पेड़ के साथ रिश्ता जोड़ने को कहा था. 3 साल की उम्र से बेटी पेड़ों को राखी बांध रही है. आज बेटी भी मेरे साथ में देवदार सहित अन्य पेड़ों को रोपने का काम कर रही है.-किशन लाल
17 सालों से पेड़ों का सुरक्षा कवच बनीं हैं कल्पना
आज कल्पना ठाकुर 20 साल की हो गई हैं. 17 सालों से पेड़ों को भाई बनाकर दुनिया को पर्यावरण संरक्षण का संदेश देती आ रही हैं. पिछले 17 साल से पेड़ों को राखी बांधकर उनका रक्षा कवच बनी हुई हैं. आज भी कल्पना रक्षाबंधन पर पेड़ को राखी बांधती है और अपने पिता किशन के साथ मिलकर अलेउ के जंगल में देवदार के पेड़ लगाने का काम करती हैं. कल्पना पर्यावरण संरक्षण के साथ ही लोगों को जागरूक करने के काम में भी जुटी रहती हैं.
3 साल की उम्र में पेड़ को बनाया था भाई
कल्पना ने बताया कि 'जिस पेड़ को 3 साल की उम्र में पहली बार भाई बनाकर राखी बांधी थी उस पेड़े पर हर रक्षाबंधन को राखी बांधती हूं. मेरा कोई भाई नहीं है. पिता की मदद से तीन साल की उम्र से पेड़ को भाई मानना शुरू किया था. ये सफर 17 सालों से चलता आ रहा है. लोगों को अधिक से अधिक पेड़ लगाने के लिए आगे आना चाहिए. वन विभाग की ओर से चिन्हित स्थान पर ही पौधे लगाएं, ताकि इनका संरक्षण भी आसानी से हो सके.'
कई पुरस्कारों से किया जा चुका है सम्मानित
कल्पना को पर्यावरण एवं वन्य प्राणी सुरक्षा समिति सहित मिनिस्ट्री ऑफ एनवायरमेंट एंड फॉरेस्ट्री सहित ठाकुर वेदराम मैमोरियल सोसायटी, हिम उत्कर्ष साहित्य अकादमी, सुर संगम कला अकादमी, भुटि्टको कुल्लू सम्मानित कर चुके हैं. कल्पना के पिता किशन लाल का कहना है मेरी बेटी को बचपन से ही पेड़-पौधों से काफी लगाव है और वो मेरे साथ मिलकर हर काम करती है. कल्पना अब हिमालय क्षेत्र को भी हरा-भरा करने का प्रयास कर रही है और स्थानीय लोग भी इसमें उनकी मदद कर रहे हैं. हिमालय के क्षेत्रों में गुठलीदार फलों के पेड़ों को लगा रहे हैं.

रि इमेजिन संस्था के अध्यक्ष कृष ठाकुर ने बताया कि 'हिमालय इलाकों में बर्फबारी अधिक होने के चलते यहां पेड़ पौधों की संख्या काफी कम होती है. ऐसे लाहौल स्पीति के इलाकों में भी किशन लाल ने स्थानीय ग्रामीणों के साथ मिलकर पौधों रोपण का कार्य किया है. वहीं रि इमेजिन संस्था भी इनके साथ मिलकर कई बार पौधों रोपण के कार्यक्रम में हिस्सा ले चुकी है.'
रोहतांग में बर्फीले तूफान से 35 लोगों की बचाई जान
वहीं, द ग्रीन मैन किशन लाल ठाकुर को 27 सितंबर 2008 को भूटान की फीडा इंटरनेशनल एनवायरमेंट एसोसिएशन ने द ग्रीन मैन अवॉर्ड से नवाजा. इसके अलावा उन्हें अन्य कई राष्ट्रीय पुरस्कार भी मिल चुके हैं. इसके साथ ही रॉयल भूटान एनवायरमेंट एसोसिएशन से 2008-2009 में एप्रीसिएशन अवॉर्ड भी मिल चुका है. यह अवॉर्ड उन्हें रोहतांग दर्रे में बर्फीले तूफान से 35 लोगों को बचाने पर दिया गया था.
पूर्व मंत्री गोविंद सिंह ठाकुर ने कहा कि 'मनाली के रहने वाले पर्यावरण प्रेमी किशन लाल को पर्यावरण संरक्षण के लिए कई बार राष्ट्रीय सम्मान भी मिल चुका है और कई संस्थाओं के साथ मिलकर वो पौधारोपण का कार्य कर रहे हैं जो की सराहनीय कार्य है. किशन लाल और उनकी बेटी अब अन्य लोगों को भी पर्यावरण संरक्षण के बारे में जागरूक कर रहे हैं. मनाली घूमने आ रहे सैलानियों को भी ये पर्यावरण संरक्षण का संदेश देते हैं.'
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