सिरमौर: हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले के पांवटा साहिब में एक बार फिर किंग कोबरा की साइटिंग से इलाके में दहशत फैल गई है. हाल ही में तीन दिन पहले ब्यास गांव में करीब 10 फीट लंबे किंग कोबरा को वाइल्डलाइफ टीम ने रेस्क्यू कर सुरक्षित जंगल में छोड़ दिया था. लेकिन इसके बाद उसी गांव में फिर से किंग कोबरा दिखाई दिया है. यह सांप पहले रेस्क्यू किए गए स्थान से थोड़ी दूरी पर नजर आया, जिससे लोग डर गए हैं.
वाइल्डलाइफ टीम ने किया रेस्क्यू
सूचना मिलते ही सिंबलवाड़ा वाइल्डलाइफ टीम मौके पर पहुंची. कड़ी मेहनत के बाद 10 फीट लंबे किंग कोबरा को रेस्क्यू कर सुरक्षित जंगल में छोड़ दिया गया. अनुमान है कि यह वही सांप हो सकता है, जिसे हाल ही में जंगल में छोड़ा गया था, हालांकि इसकी पुष्टि नहीं हुई है.
3 दिन में दूसरा रेस्क्यू
हिमाचल प्रदेश में चंद दिनों में यह दूसरा मौका है, जब किंग कोबरा को सुरक्षित रेस्क्यू किया गया है. रेंज ऑफिसर सुरेंद्र शर्मा के नेतृत्व में टीम ने किंग कोबरा का रेस्क्यू कर इसे जंगल में छोड़ा. वन विभाग लोगों को जागरूक करने के लिए बैठकें कर रहा है. डीएफओ ऐश्वर्य राज ने कहा, "दूसरी बार सूचना मिलने पर किंग कोबरा को रेस्क्यू किया गया है. ग्रामीणों से अपील है कि जंगली जीव दिखें तो घबराएं नहीं, बल्कि वन विभाग को सूचित करें."

पहले भी हुई साइटिंग
साल 2021 में कोलर के फांदी गांव में जून माह में किंग कोबरा दिखा था, जिसे इसी क्षेत्र के प्रवीण कुमार नाम के शख्स ने कैमरे में कैद किया था. इससे पहले बाड़थल मधाना, जंगलोट और आसपास के क्षेत्रों में भी इसकी साइटिंग हुई थी. शिवालिक रेंज में किंग कोबरा कई बार देखा जा चुका है. तीन दिनों में दो बार रेस्क्यू इसकी मौजूदगी को दर्शाता है.
संरक्षित प्रजाति और पर्यावरण
वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 के तहत किंग कोबरा को संरक्षित प्रजाति घोषित किया गया है. विशेषज्ञों के मुताबिक यह शर्मीली प्रजाति है और इंसानों से दूरी रहती है. गर्मियों से पहले आबादी वाले क्षेत्रों में इसका दिखना पर्यावरण असंतुलन और मौसम परिवर्तन का संकेत है.

अत्यंत जहरीला होता है किंग कोबरा
सिरमौर में किंग कोबरा की बार-बार साइटिंग के बावजूद इसके संरक्षण और जागरूकता के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है. सुरक्षा के लिए क्षेत्र में कोबरा बाइट के इलाज हेतु एंटी-वेनम की व्यवस्था जरूरी है. हिमाचल प्रदेश फॉरेस्ट कार्पोरेशन के डायरेक्टर एवं एक्स्पर्ट वाइल्ड लाइफ कृष्ण कुमार ने बताया "किंग कोबरा का जहर एक वयस्क हाथी को मिनटों में मार सकता है. विशेषज्ञों के मुताबिक, 0.01 मिलीग्राम जहर प्रति किलो जानलेवा होता है. यदि यह सांप किसी इंसान को डस ले, तो कुछ सेकंड में उसकी जान जा सकती है."
किंग कोबरा की मौजूदगी
कृष्ण कुमार ने बताया "10 फीट लंबा किंग कोबरा इस आकार तक पहुंचने में कई साल लेता है. यह दर्शाता है कि क्षेत्र में यह प्रजाति फल-फूल रही है. एक मादा किंग कोबरा 21 से 40 अंडे देती है और 90 दिन तक सूखे घोंसले में उनकी देखभाल करती है. क्षेत्र में इनकी संख्या पर शोध जरूरी है. यह स्पष्ट नहीं है कि रेस्क्यू किए गए सांप मादा थे या नर.किंग कोबरा की मौजूदगी सिंबलवाड़ा नेशनल पार्क की जैव विविधता के लिए फायदेमंद है. यह जहरीले और गैर-जहरीले सांपों की आबादी को नियंत्रित करता है. इसका मुख्य भोजन अन्य सांप और चूहे हैं. गेहूं के खेत में पहली साइटिंग इसकी पुष्टि करती है."
जागरूकता और स्वास्थ्य सुविधाएं
मानवीय उत्पीड़न से बचाने के लिए जागरूकता और सुरक्षा के उपाय जरूरी हैं. हिमाचल प्रदेश फॉरेस्ट कॉर्पोरेशन के निदेशक कृष्ण कुमार ने कहा, "किंग कोबरा की बार-बार साइटिंग से पता चलता है कि यह प्रजाति पहले से मौजूद है और संरक्षित है. सोशल मीडिया के कारण यह अब ज्यादा नजर आ रहा है. इसका जहर (पोस्टसिनेप्टिक न्यूरोटॉक्सिन) बेहद खतरनाक है, इसलिए सिरमौर में एंटी-वेनम जरूरी है." किंग कोबरा की मौजूदगी से वाइल्डलाइफ पर्यटन की संभावनाएं बढ़ी हैं. फोटोग्राफर और शोधकर्ता इस क्षेत्र की ओर आकर्षित हो सकते हैं. यह सिरमौर के लिए नई पहचान बन सकता है.
वन विभाग की अपील
डीएफओ ऐश्वर्य राज ने कहा, "किंग कोबरा की साइटिंग के बाद ग्रामीणों को जागरूक किया जा रहा है. यह दिखे तो सूचित करें और दूरी बनाए रखें. यह शांत और शर्मीली प्रजाति है, जो खुद हमला नहीं करती. लोगों को सावधानी बरतने की जरूरत है."
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