कब से शुरू हो रहा कार्तिक मास?, जानिए किन चीजों का पालन करना जरूरी...
हिंदू धर्म के पावन मास को लेकर कई धार्मिक मान्यताएं हैं, जानिए महत्व.

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team
Published : October 3, 2025 at 1:34 PM IST
वाराणसी: सनातन धर्म में पौराणिक मान्यता के अनुसार हिन्दू धर्म में कार्तिक मास को अत्यन्त पावन मास माना गया है. धर्म उत्सव की विशेष श्रृंखला इसी मास से प्रारम्भ होती है. शास्त्रों में ऐसा कहा गया है कि कार्तिक मास के समान कोई दूसरा मास नहीं है. सतयुग के समान कोई युग नहीं है. वेद के समान कोई शास्त्र नहीं है और गंगाजी के समान कोई तीर्थ नहीं है. स्कन्दपुराण के अनुसार यह मास लक्ष्मी प्रदाता, सद्बुद्धि दायक एवं आरोग्य प्रदायक माना गया है. कार्तिक मास भगवान विष्णु व माता लक्ष्मी को समर्पित है. वर्ष के द्वादश मास में कार्तिक मास को ही धर्म-अर्थ काम और मोक्ष को देने वाला माना गया है. इस बार कार्तिक मास 8 अक्टूबर, बुधवार से प्रारम्भ होकर 5 नवंबर, बुधवार तक रहेगा.
ज्योतिषविद विमल जैन ने बताया कि माता लक्ष्मी की आराधना के साथ दीपदान करके कार्तिक मास के यम-संयम-नियम एवं धार्मिक अनुष्ठान प्रारम्भ हो जाते हैं. कार्तिक मास में तुलसी व पीपल वृक्ष की पूजा की जाती है. इस मास में यमदेव को प्रसन्न करने के लिए आकाशदीप प्रज्वलित किए जाते हैं.
कार्तिक मास में एक माह तक आंवले के वृक्ष का सिंचन व पूजन करना शुभ फलदायी माना गया है. पीपल वृक्ष व तुलसी के पौधे की भी धूप-दीप से पूजा करें. मासपर्यन्त भगवान विष्णु को आंवला अर्पित करके उनका पूजन करने पर लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है. इस माह में भगवान विष्णु की महिमा में व्रत रखने पर ग्रहजनित दोषों से मुक्ति मिलती है तथा संकटों का निवारण होता है.
कार्तिक मास में काला तिल व आंवले के चूर्ण का प्रयोग लाभकारी ज्योतिर्विद विमल जैन ने बताया कि काला तिल व आंवले का चूर्ण लगाकर स्नान करने से समस्त पापों का शमन होता है. इस मास में नियमपूर्वक गंगा स्नान करके व्रत रखने से तीर्थयात्रा के समान फल की प्राप्ति होती है. कार्तिक मास में स्नान दान व पुण्य करने की काफी महिमा है.
इस मास में सूर्य के दक्षिणायन होने से असुरिकाल माना जाता है. धर्मशास्त्रों के अनुसार इस मास में स्नान ध्यान करके, व्रत रखकर भगवान विष्णु का पूजन करना विशेष पुण्य फलदायी रहता है. मान्यता के मुताबिक कृष्ण-राधा का पूजन-अर्चन भी करने से प्रभु की असीम कृपा बरसती है. जिससे जीवन में सुख-समृद्धि का सुयोग बनता है.
कार्तिक मास में क्या करें
- कार्तिक मास में ब्रह्मचर्य नियम का पालन करें.
- भूमि पर शयन करना चाहिए.
- ब्रह्ममुहूर्त में (सुर्योदय से पूर्व) उठकर गंगा में कमर तक जल में खड़े होकर पूर्ण स्नान के बाद विष्णु व लक्ष्मी की व्रत-उपवास एवं पूजन का संकल्प लेना चाहिए.
- मासपर्यंत लक्ष्मी जी की रात्रि में पूजा एवं जप करें लक्ष्मी के मन्त्र का जप एवं स्तोत्र का पाठ करें.
- कार्तिक मास में व्रतकर्ता व साधक को सात्त्विक भोजन करना चाहिए.
यह न करें
- अपने परिवार के अतिरिक्त अन्यत्र किसी दूसरे का कुछ भी (अन्न) ग्रहण नहीं करना चाहिए.
- चना, मटर, उड़द, मूंग, मसूर, राई, लौकी, गाजर, बैंगन, बासी अन्न ग्रहण नहीं करना चाहिए.
- लहसुन, प्याज और तेल का उपयोग नहीं करना चाहिए.
- कार्तिक मास की द्वितीया, सप्तमी, नवमी, दशमी, त्रयोदशी व अमावस्या तिथि के दिन तिल व आंवले का प्रयोग नहीं करना चाहिए.
- कार्तिक मास में स्नान व व्रत करने वालों को केवल कार्तिक कृष्ण (नरक) चतुर्दशी के दिन ही तेल लगाना चाहिए.
- मास के अन्य दिनों में शरीर पर तेल लगाना वर्जित है.
कार्तिक मास के प्रमुख व्रत व पर्व
- 8 अक्टूबर : स्नान-दान-व्रत, यम-नियम प्रारम्भ, अशून्यशयन व्रत.
- 10 अक्टूबर संकष्टी श्रीगणेश चतुर्थी व्रत, करक चतुर्थी (करवा चौथ) व्रत.
- 11 अक्टूबर कोकिला पंचमी.
- 13 अक्टूबर अहोई अष्टमी व्रत, कालाष्टमी व्रत, श्रीराधाष्टमी व्रत.
- 17 अक्टूबर रम्भा एकादशी व्रत (सबका).
- 18 अक्टूबर प्रदोष व्रत, धन त्रयोदशी (धनतेरस), धन्वन्तरि जयन्ती.
- 19 अक्टूबर : मास शिवरात्रि व्रत.
- 20 अक्टूबर रूप (नरक) चतुर्दशी.
- 21 अक्टूबर दीपावली, हनुमान जयन्ती
- 22 अक्टूबर: गोवर्धन पूजा, अन्नकूट.
- 23 अक्टूबर भैयादूज
- 5 नवंबर स्नान दान की कार्तिक पूर्णिमा, गुरुनानक जयन्ती, कार्तिक पूर्णिमा व्रत, देव-दीपावली, कार्तिक मास के यम, नियम, व्रत स्नान आदि के धार्मिक अनुष्ठान की समाप्ति.
यह भी पढ़ें: कार्तिक मास में जलाएं नारीकेला दीपक, मिलेगी भगवान शिव की असीम कृपा, पूरी होगी मनोकामना
यह भी पढ़ें: कार्तिक मास की एकादशी, भगवान विष्णु की आराधना के साथ-साथ नई ज्वैलरी खरीदने के लिए है श्रेष्ठ दिन

