ETV Bharat / state

करम समर्पित करने का करमा पर्व, आदिकाल से चली आ रही मांझी समाज की परंपरा

सरगुजा संभाग में मांझी समाज दशहरा के बाद खास त्यौहार मनाता है.आईए जानते हैं इस त्यौहार की खासियत

Manjhi community
करम समर्पित करने का करमा पर्व (ETV BHARAT CHHATTISGARH)
author img

By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : October 9, 2025 at 12:27 PM IST

|

Updated : October 9, 2025 at 1:24 PM IST

4 Min Read
Choose ETV Bharat

देशदीपक गुप्ता की रिपोर्ट

सरगुजा : सरगुजा अंचल का इतिहास काफी पुराना है.यहां रहने वाली आदिवासियों की संस्कृति और परम्परा आज भी उसी विधि विधान के साथ मनाई जा रही है,जैसे की आदिकाल से चली आ रही है. ये परंपराए एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक आगे बढ़ती जाती है. सरगुजा में ऐसे तो आदिवासी समाज में कई जनजातियां निवास करती हैं. लेकिन कुछ जनजातियों का त्यौहार प्रकृति के इतना करीब है कि इस पर आज भी आधुनिकता का साया नहीं पड़ सका है.आज भी ये त्यौहार उसी तरह से मनाए जा रहे हैं जैसे सदियों पहले थे.ऐसा ही एक त्यौहार है मांझी समाज का.जिसे करमा त्यौहार के नाम से जाना जाता है.

क्या है करमा त्यौहार : कर्म करने के बाद उस कर्म को देवता को समर्पित करना ये भाव आज भी सरगुजा के आदिवासी समाज में जीवित है. सरगुजा के लोग मुख्य रूप से खेती ही करते हैं. खेती करने के बाद वो अपने इस करम को देवता को समर्पित करते हैं. महीने भर तक पूजा पाठ के साथ उत्सव मनाया जाता है. इसके पीछे मान्यता ये है कि करम के देवता को अपने द्वारा किया गया कर्म समर्पित करने से उनकी रक्षा होती है. ऐसा किसान हर बार करते हैं. जैसे इस समय किसान धान की फसल लगा रहे है तो करमा त्यौहार में वो इसे देवता को समर्पित करेंगे. अलग-अलग समाज का करमा अलग-अलग समय में मनाया जाता है. सामान्य रूप से करमा पर्व भादो माह की पूर्णिमा तिथि को होता है. लेकिन मांझी आदिवासी समाज के लोग इस त्यौहार को दशहरा के बाद ही मनाते हैं.

Manjhi community
करम समर्पित करने का करमा पर्व (ETV BHARAT CHHATTISGARH)

कैसे मनाया जाता है त्यौहार ?: गांव-गांव में आदिवासी, रजवार, पनिका और मांझी समाज के लोग मस्ती में झूमते हुए, गीत गाते और नृत्य करते देखे जाते हैं. इस त्योहार के दौरान लोक गीत और नृत्य की अपनी विधा है. जिसमें करमा, ददरिया, सुगा और अन्य लोक गीतों के साथ नृत्य शामिल हैं. गीतों के माध्यम से मांझी समाज के लोग अपने देवता से निवेदन करते हैं कि हे करम देवता हमने अपना काम कर दिया है अब आप ही हमारी रक्षा करें.

Manjhi community
मांझी समाज की परंपरा (ETV BHARAT CHHATTISGARH)

करम की डाली से शुरु होता है अनुष्ठान : इस पर्व की शुरुआत एक अनुष्ठान के साथ शुरु होती है.जिसमें जंगल से कर्मी के पेड़ की एक बड़ी डाली ग्रामीण अपने घर लाते हैं. राशन का सामान लेकर ससम्मान देवता को जंगल में न्यौता दिया जाता है. फिर देवता रूपी करम की डाली को घर तक लाया जाता है. मान्यता ऐसी है कि उस डाली को काटने के बाद कही भी रास्ते में जमीन पर नहीं रखा जाता है. सीधे घर के आंगन में उसे स्थापित किया जाता है. व्रत उपवास और पूजन की विधि संपन्न होने के बाद शुरू होता है. करमा उत्सव जो महीने भर से ज्यादा चलता है. इस दौरान महिला पुरुष समूह बनाकर नृत्य करते हैं. इस नृत्य में प्रमुख रूप से वाद्य यंत्र में मांदर, शैला और इनकी विशेष पोशाक आकर्षण का केंद्र होती है.

करम समर्पित करने का करमा पर्व (ETV BHARAT CHHATTISGARH)

हम लोग करमा का त्यौहार दशहरा के बाद मनाते हैं, धान लगाने के बाद उसको काटने से पहले दूल्हा देव की पूजा की जाती है, इसके लिए नाचते गाते हुए जंगल जाते हैं और करम की डाली को काटकर लाते हैं. उस डाली को जमीन पर नहीं रखते हैं, सीधे घर के आंगन में लाकर उसे स्थापित किया जाता है. इसके बाद करमा नाचने और गाने की परम्परा शुरू होती है- बंधन नाग, मांझी समाज

सरगुजिहा साहित्य के जानकार रंजीत सारथी के मुताबिक करमा सरगुजा का सबसे बड़ा त्यौहार है. जब भी किसान खेती करता है तो उसे करने के बाद वो अपने कर्म के लिए करम देव की पूजा करते हैं.

मांझी समाज भगवान का आभार जताते हैं कि उन्होंने उनका काम सफल किया और आगे भी फसल अच्छी हो इसकी कामना करते हैं - रंजीत सारथी, सरगुजा के जानकार

इस पूजा के बाद यहां करमा नृत्य और गीत का उत्सव शुरु होता है.जिसमें महिला और पुरुष एक साथ समूह बनाकर नाचते हैं, इसमें मुख्य रूप से करमा, शैला, सुगा, ददरिया जैसे लोक गीत प्रचलित हैं.

आदिवासी क्षेत्रों में लड़कियों की संख्या हो रही कम, लिंगानुपात के चौंकाने वाले आंकड़े

कवर्धा में बैगा आदिवासियों का बवाल, अतिक्रमण पर एक्शन से हुए नाराज, पट्टा देने की मांग

कबीरधाम में शाही दशहरा का आगाज, रावण दहन के बाद निकलेगी राजा की सवारी

Last Updated : October 9, 2025 at 1:24 PM IST