धर्मशाला: हिमाचल प्रदेश की कांगड़ा चाय विश्वभर में प्रसिद्ध है. सिर्फ प्रदेश या देश ही नहीं, बल्कि कांगड़ा टी विदेशियों को भी बेहद पसंद है. यूरोप, इंग्लैंड, यूएसए में कांगड़ा चाय के पहले तोड़ की डिमांड ज्यादा रहती है. कांगड़ा में निर्मित होने वाली ऊलोंग और ब्लैक टी के सबसे ज्यादा ऑर्डर विदेशों से आते हैं. ऐसे में ये कहना गलत न होगा कि विदेशियों को कांगड़ा की चाय खास पसंद है.
कांगड़ा में बनती है चाय की 3 वैरायटी
धर्मशाला चाय उद्योग में निर्मित होने वाली कांगड़ा चाय में चाय की तीन वैरायटी रहती है. इसमें ग्रीन टी, ब्लैक टी और ऊलोंग टीम शामिल है. जिसमें से ब्लैक टी और ऊलोंग टी की सबसे ज्यादा डिमांड विदेशों से आती है. जबकि बात करें ग्रीन टी की तो अधिकतर चाय ऑक्शन में भेजी जाती है. जबकि बाकी बची चाय को विभिन्न माध्यमों से बेचा जाता है.
पहले तोड़ की कुल उत्पादन में 70 फीसदी डिमांड
धर्मशाला चाय उद्योग के प्रबंधक अमन पाल सिंह ने बताया कि धर्मशाला चाय उद्योग में पूरे सीजन के दौरान निर्मित होने वाली चाय में 70 फीसदी डिमांड अप्रैल माह के पहले तोड़ की रहती है. दरअसल अप्रैल महीने से चाय की पत्तियों को तोड़ने का काम शुरू हो जाता है. अप्रैल माह में उत्पादित चाय को पहले तोड़ की चाय कहा जाता है. जिसे विदेशी खास तौर पर पसंद करते हैं. ये ही वजह है कि अप्रैल माह के पहले तोड़ की चाय की विदेशों से ज्यादा डिमांड आती है.

"अप्रैल माह की पत्तियों की तुड़ाई से बनने वाली चाय को पहली तोड़ चाय कहा जाता है. जिसकी विदेशों में काफी डिमांड रहती है. अप्रैल में तैयार होने वाली चाय की यूरोप, इंग्लैंड, यूएसए में खास डिमांड रहती है. पूरे सीजन की चाय का उत्पादन देखा जाए तो 70 फीसदी डिमांड अप्रैल माह में तैयार होने वाली चाय की रहती है. धर्मशाला में ब्लैक टी, ऊलोंग टी और ग्रीन टी बनाई जाती है. जिसमें ऊलोंग और ब्लैक टी की विदेशों में ज्यादा डिमांड रहती है." - अमन पाल सिंह, प्रबंधक, धर्मशाला चाय उद्योग

चाय बागानों को अभी और बारिश की जरूरत
गौरतलब है कि मौसम की बेरुखी से परेशान चाय उत्पादकों को बीते कुछ समय में मौसम ने कुछ हद तक तो राहत प्रदान की है, लेकिन अभी भी चाय बागानों के लिए और बारिश की जरूरत है. चाय उत्पादकों का कहना है कि चाय बागानों के अनुरूप अभी तक बारिश नहीं हो पाई है. ऐसे में अच्छे उत्पादन के लिए आगामी समय में और बारिश की जरूरत होगी.