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जानें कब है हिंदू नववर्ष की पहली एकादशी, कामदा एकादशी में व्रत का महत्व और पूजा विधान - KAMADA EKADASHI 2025

हिंदू वर्ष की पहली एकादशी कामदा का काफी महत्व माना गया है. इस रिपोर्ट में जानें कब रखा जाएगा व्रत और क्या है सही विधि-विधान.

Kamada Ekadashi 2025
Kamada Ekadashi 2025 (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Haryana Team

Published : March 31, 2025 at 3:34 PM IST

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करनाल: हिंदू धर्म में प्रत्येक व्रत व त्यौहार को बड़े महत्व के साथ मनाया जाता है. इस समय हिंदू वर्ष का चैत्र महीना चल रहा है. चैत्र महीने के शुक्ल पक्ष में एकादशी आती है. उसको कामदा एकादशी के नाम से जाना जाता है. ऐसा माना जाता है कि जो भी इंसान इस एकादशी के दिन व्रत रखता है. वह भगवान विष्णु के आशीर्वाद से मनोवांछित फल की प्राप्ति करता है और भगवान विष्णु उसके ऊपर अपनी कृपा बनाए रखते हैं. जिससे घर में सुख समृद्धि आती है. तो आईए जानते हैं की कामदा एकादशी कब है और इसका क्या महत्व है. साथ ही जानते हैं कि कामदा एकादशी व्रत का विधि विधान क्या है.

कब है कामदा एकादशी: पंडित पवन शर्मा ने बताया कि एकादशी का हिंदू धर्म में बहुत ही ज्यादा महत्व होता है. एक साल में 24 एकादशी होती हैं और एक महीने में शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष में दो एकादशी आते हैं. इस समय चैत्र महीना चल रहा है. चैत्र महीने के शुक्ल पक्ष में आने वाली एकादशी को कामदा एकादशी के नाम से जाना जाता है. जिसका हिंदू धर्म में विशेष महत्व होता है. यह एकादशी 7 अप्रैल को शाम के 8:00 बजे शुरू हो रही है. जबकि इसका समापन 8 अप्रैल को रात के 9:12 पर होगा.

8 अप्रैल को रखा जाएगा व्रत: सनातन धर्म में प्रत्येक व्रत व त्यौहार को उदय तिथि के साथ मनाया जाता है. इसलिए कामदा एकादशी का व्रत 8 अप्रैल के दिन रखा जाएगा. कामदा एकादशी के दिन पूजा करने का शुभ मुहूर्त का समय ब्रह्म मुहूर्त सुबह 4:32 से शुरू होकर 5:18 तक रहेगा. दूसरा अभिजीत मुहूर्त 11:58 से शुरू होकर 12:48 तक रहेगा. एकादशी के व्रत का पारण अगले दिन किया जाता है. इसलिए इसके पारण का समय 9 अप्रैल को सुबह 6:02 से शुरू होकर 8:34 तक किया जाएगा.

कामदा एकादशी का महत्व: पंडित ने बताया की कामदा एकादशी सभी एकादशी में से सबसे ज्यादा महत्व देने वाली एकादशी होती है. इस एकादशी के व्रत करने से इंसान को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है. भगवान विष्णु की विशेष तौर पर इस दिन पूजा अर्चना की जाती है. ऐसा करने से घर में सुख समृद्धि आती है. भगवान विष्णु के साथ माता लक्ष्मी की भी पूजा अर्चना की जाती है. जिस घर में धन दौलत का आगमन होता है.

हिंदू वर्ष की पहली एकादशी: कुछ जातक इस एकादशी का व्रत संतान प्राप्ति के लिए भी करते हैं. उसके लिए यह काफी शुभ माना जाता है। जो भी इंसान इस एकादशी का व्रत करता है उसको बैकुंठ धाम की प्राप्ति होती है और उसके सभी रुके हुए काम पूरे होते हैं. घर में सुख समृद्धि के साथ-साथ सभी का स्वास्थ्य अच्छा रहता है. यह हिंदू वर्ष की सबसे पहली एकादशी होती है. इसलिए इसको और भी ज्यादा महत्व के साथ मनाया जाता है. क्योंकि इसमें जब इंसान इच्छा मांगता है, वह सब भगवान विष्णु पूरी करते हैं और इस दिन व्रत करने से सभी प्रकार के बातों से मुक्ति मिलती है.

एकादशी के दिन ना करें यह काम: पंडित ने बताया कि एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठना चाहिए. क्योंकि देर तक सोना अच्छा नहीं माना जाता. इस घर में नकारात्मक शक्ति बढ़ती है. एकादशी के दिन चावल का सेवन नहीं करना चाहिए और ना ही घर में चावल इस दिन बनाने चाहिए. एकादशी के दिन मांस मदिरा आदि का सेवन भी नहीं करना चाहिए. इस दिन प्याज और लहसुन जैसा भी नहीं कुछ खाना चाहिए. एकादशी के दिन नाखून और बाल काटना भी अशुभ माना जाता है. इस दिन दान करना काफी अच्छा माना जाता है. आज के दिन किया गया दान कई गुना फल देता है.

व्रत का विधि विधान: कामदा एकादशी के दिन सुबह सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें. उसके बाद भगवान सूर्य देव को जल अर्पित करें और फिर अपने घर में मंदिर को साफ करके भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा अर्चना करें. उनको पीले रंग के फल-फूल, मिठाई, हल्दी, चंदन आदि अर्पित करें. इसके साथ ही भगवान विष्णु को तुलसी दल भी अर्पित करें. जो भी जातक इस दिन व्रत रखना चाहता है, वह व्रत रखने का इस दौरान प्रण लें. दिन के समय विष्णु पुराण और एकादशी की कथा का पाठ करें. शाम के समय भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की आरती करने के बाद उनको प्रसाद का भोग लगाएं और शाम के समय गरीब जरूरतमंद और गाय को भोजन दें. अगले दिन पारण के समय अपने व्रत का पारण कर लें.

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करनाल: हिंदू धर्म में प्रत्येक व्रत व त्यौहार को बड़े महत्व के साथ मनाया जाता है. इस समय हिंदू वर्ष का चैत्र महीना चल रहा है. चैत्र महीने के शुक्ल पक्ष में एकादशी आती है. उसको कामदा एकादशी के नाम से जाना जाता है. ऐसा माना जाता है कि जो भी इंसान इस एकादशी के दिन व्रत रखता है. वह भगवान विष्णु के आशीर्वाद से मनोवांछित फल की प्राप्ति करता है और भगवान विष्णु उसके ऊपर अपनी कृपा बनाए रखते हैं. जिससे घर में सुख समृद्धि आती है. तो आईए जानते हैं की कामदा एकादशी कब है और इसका क्या महत्व है. साथ ही जानते हैं कि कामदा एकादशी व्रत का विधि विधान क्या है.

कब है कामदा एकादशी: पंडित पवन शर्मा ने बताया कि एकादशी का हिंदू धर्म में बहुत ही ज्यादा महत्व होता है. एक साल में 24 एकादशी होती हैं और एक महीने में शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष में दो एकादशी आते हैं. इस समय चैत्र महीना चल रहा है. चैत्र महीने के शुक्ल पक्ष में आने वाली एकादशी को कामदा एकादशी के नाम से जाना जाता है. जिसका हिंदू धर्म में विशेष महत्व होता है. यह एकादशी 7 अप्रैल को शाम के 8:00 बजे शुरू हो रही है. जबकि इसका समापन 8 अप्रैल को रात के 9:12 पर होगा.

8 अप्रैल को रखा जाएगा व्रत: सनातन धर्म में प्रत्येक व्रत व त्यौहार को उदय तिथि के साथ मनाया जाता है. इसलिए कामदा एकादशी का व्रत 8 अप्रैल के दिन रखा जाएगा. कामदा एकादशी के दिन पूजा करने का शुभ मुहूर्त का समय ब्रह्म मुहूर्त सुबह 4:32 से शुरू होकर 5:18 तक रहेगा. दूसरा अभिजीत मुहूर्त 11:58 से शुरू होकर 12:48 तक रहेगा. एकादशी के व्रत का पारण अगले दिन किया जाता है. इसलिए इसके पारण का समय 9 अप्रैल को सुबह 6:02 से शुरू होकर 8:34 तक किया जाएगा.

कामदा एकादशी का महत्व: पंडित ने बताया की कामदा एकादशी सभी एकादशी में से सबसे ज्यादा महत्व देने वाली एकादशी होती है. इस एकादशी के व्रत करने से इंसान को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है. भगवान विष्णु की विशेष तौर पर इस दिन पूजा अर्चना की जाती है. ऐसा करने से घर में सुख समृद्धि आती है. भगवान विष्णु के साथ माता लक्ष्मी की भी पूजा अर्चना की जाती है. जिस घर में धन दौलत का आगमन होता है.

हिंदू वर्ष की पहली एकादशी: कुछ जातक इस एकादशी का व्रत संतान प्राप्ति के लिए भी करते हैं. उसके लिए यह काफी शुभ माना जाता है। जो भी इंसान इस एकादशी का व्रत करता है उसको बैकुंठ धाम की प्राप्ति होती है और उसके सभी रुके हुए काम पूरे होते हैं. घर में सुख समृद्धि के साथ-साथ सभी का स्वास्थ्य अच्छा रहता है. यह हिंदू वर्ष की सबसे पहली एकादशी होती है. इसलिए इसको और भी ज्यादा महत्व के साथ मनाया जाता है. क्योंकि इसमें जब इंसान इच्छा मांगता है, वह सब भगवान विष्णु पूरी करते हैं और इस दिन व्रत करने से सभी प्रकार के बातों से मुक्ति मिलती है.

एकादशी के दिन ना करें यह काम: पंडित ने बताया कि एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठना चाहिए. क्योंकि देर तक सोना अच्छा नहीं माना जाता. इस घर में नकारात्मक शक्ति बढ़ती है. एकादशी के दिन चावल का सेवन नहीं करना चाहिए और ना ही घर में चावल इस दिन बनाने चाहिए. एकादशी के दिन मांस मदिरा आदि का सेवन भी नहीं करना चाहिए. इस दिन प्याज और लहसुन जैसा भी नहीं कुछ खाना चाहिए. एकादशी के दिन नाखून और बाल काटना भी अशुभ माना जाता है. इस दिन दान करना काफी अच्छा माना जाता है. आज के दिन किया गया दान कई गुना फल देता है.

व्रत का विधि विधान: कामदा एकादशी के दिन सुबह सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें. उसके बाद भगवान सूर्य देव को जल अर्पित करें और फिर अपने घर में मंदिर को साफ करके भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा अर्चना करें. उनको पीले रंग के फल-फूल, मिठाई, हल्दी, चंदन आदि अर्पित करें. इसके साथ ही भगवान विष्णु को तुलसी दल भी अर्पित करें. जो भी जातक इस दिन व्रत रखना चाहता है, वह व्रत रखने का इस दौरान प्रण लें. दिन के समय विष्णु पुराण और एकादशी की कथा का पाठ करें. शाम के समय भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की आरती करने के बाद उनको प्रसाद का भोग लगाएं और शाम के समय गरीब जरूरतमंद और गाय को भोजन दें. अगले दिन पारण के समय अपने व्रत का पारण कर लें.

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