डिजिटल युग में उभरती कानूनी चुनौतियों पर न्यायधीशों, विधि वेत्ताओं ने किया मंथन
इंदौर में "इवोल्विंग होराइजन्स: नेविगेटिंग कॉम्प्लेक्सिटी एंड इनोवेशन इन कमर्शियल एंड आर्बिट्रेशन लॉ इन द डिजिटल वर्ल्ड" विषय पर संगोष्ठी का आयोजन.

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team
Published : October 12, 2025 at 11:54 AM IST
इंदौर: न्याय पाना देश के हर नागरिक का मौलिक, बुनियादी, मानवीय और संवैधानिक अधिकार है. न्याय और सुशासन न केवल राष्ट्र और समाज को सुदृढ़ बनाते हैं, बल्कि शासन की जवाबदेही सुनिश्चित करते हैं. ये बातें मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने शनिवार को इंदौर में कहीं. वह विधि विशेषज्ञों की अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी को संबोधित कर रहे थे.
इंदौर में शनिवार को आयोजित "इवोल्विंग होराइजन्स: नेविगेटिंग कॉम्प्लेक्सिटी एंड इनोवेशन इन कमर्शियल एंड आर्बिट्रेशन लॉ इन द डिजिटल वर्ल्ड" विषय पर आयोजित संगोष्ठी के प्रारंभिक सत्रों में वाणिज्यिक विधि और तकनीक, इंटरनेट इंटरमीडियरी दायित्व, ऑनलाइन प्रतिस्पर्धा, भारत–यूरोप मध्यस्थता दृष्टिकोण, ऑनलाइन अवैध गतिविधियों का आपराधिक नियंत्रण तथा बौद्धिक संपदा और नवाचार के संबंध जैसे विषयों पर विस्तृत चर्चा की गई.

डिजिटल चुनौतियों को लेकर क्या बोले न्यायमूर्ति
संगोष्ठी के दौरान सर्वोच्य न्यायालय के न्यायमूर्ति जितेन्द्र कुमार महेश्वरी ने कहा कि आधुनिक अर्थव्यवस्था में डेटा पर नियंत्रण, किसी कंपनी या संस्था के स्वामित्व से भी अधिक महत्त्वपूर्ण हो गया है. इसलिए पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित करते हुए आर्थिक प्रगति को बाधित नहीं किया जाना चाहिए.

वहीं सर्वोच्य न्यायालय के न्यायमूर्ति अहसनुद्दीन अमानुल्लाह ने कहा कि विधिक व्यवसाय तकनीकी प्रगति से अछूता नहीं रह सकता. आज जब तकनीक आधारित और स्वचालित अनुबंधों का दौर है, तब न्यायपालिका की यह जिम्मेदारी है कि न्याय, तकनीकी विकास की रफ्तार के बीच कहीं कमजोर न पड़े और न्याय प्रणाली भी उसी गति से विकसित होती रहे.
पेटेंट और पंजीकरण जैसे क्षेत्रों में नई चुनौतियां भी पेश कर रहा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस
इस दौरान सर्वोच्य न्यायालय के न्यायमूर्ति राजेश बिंदल ने कहा, भारत आज विश्व की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुका है, इसलिए अब समय आ गया है कि हम अपनी सोच में परिवर्तन लाएं. उन्होंने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) अत्यंत उपयोगी है, परंतु इसके साथ ही यह पेटेंट और पंजीकरण जैसे क्षेत्रों में नई चुनौतियां भी प्रस्तुत करता है.
सर्वोच्य न्यायालय के न्यायमूर्ति न्यायाधीश अरविंद कुमार ने कहा न्याय, नवाचार और ‘Ease of Doing Business’ को एक साथ आगे बढ़ना चाहिए. अब समय आ गया है कि हम “Adjudication से Collaboration” और “Arbitration से Innovation” की ओर अग्रसर हों, और विधिक समुदाय को भी इस परिवर्तन के साथ स्वयं को अनुकूलित करना होगा.
कानूनों को तकनीकी प्रगति के साथ विकसित होना चाहिए, लेकिन वे तकनीक के अधीन नहीं होने चाहिए
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि कानूनों को तकनीकी प्रगति के साथ विकसित होना चाहिए, लेकिन वे तकनीक के अधीन नहीं होने चाहिए. उन्होंने कहा कि मध्यस्थ दायित्व और एआई-सहायता प्राप्त याचिका प्रारूपण जैसे नए मुद्दों पर गंभीर विचार की आवश्यकता है. डेनमार्क में डेनिश पेटेंट एवं ट्रेडमार्क कार्यालय की उपमहानिदेशक सुश्री मारिया स्काउ ने भारत और डेनमार्क के बीच वाणिज्यिक एवं मध्यस्थता क्षेत्र में सहयोग के महत्व को रेखांकित किया.
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गौरतलब है यह दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी 11 एवं 12 अक्टूबर 2025 को आयोजित की जा रही है, जिसमें कुल छह तकनीकी सत्र होंगे. मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश संजीव सचदेवा ने अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी के उद्घाटन के अवसर पर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव, न्यायमूर्ति श्री जितेन्द्र कुमार महेश्वरी तथा सर्वोच्च न्यायालय के अन्य न्यायाधीशगण एवं विदेशी अतिथियों का स्वागत किया.
अतिथियों का परिचय न्यायमूर्ति विवेक रूसिया, प्रशासनिक न्यायाधीश, उच्च न्यायालय मध्यप्रदेश, खंडपीठ इंदौर द्वारा कराया गया. प्रथम दिन के कार्यक्रम का समापन न्यायमूर्ति विवेक अग्रवाल, अध्यक्ष, मध्यप्रदेश राज्य न्यायिक अकादमी, जबलपुर द्वारा आभार प्रदर्शन के साथ हुआ.

