रांची: जेपीएससी और जेएसएससी के द्वारा मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के निर्देश के बाद भी परीक्षा कैलेंडर जारी नहीं किए जाने पर सवाल उठने लगे हैं. हेमंत सोरेन के लगातार दूसरी बार सत्ता संभालने के बाद उन्होंने पहली कैबिनेट बैठक में जेपीएससी और जेएसएससी को लेकर निर्देश दिए थे. सीएम ने लंबित परीक्षा का परिणाम 31 दिसंबर से पहले घोषित करने और नये साल 2025 में होने वाले प्रतियोगिता परीक्षा का कैलेंडर जारी करने का निर्देश दिया था.
सीएम ने दिया था निर्देश
मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद छात्रों में उम्मीद जगी कि आयोग द्वारा परीक्षा निर्धारित समय पर अब होगी. मगर उनकी उम्मीदों पर पानी तब फिरने लगा जब जनवरी के 17 तारीख बीतने के बाद भी जेपीएससी को ना तो अध्यक्ष मिला और ना ही परीक्षा कैलेंडर जारी हुए. ऐसे में छात्र सरकार की नीयत पर सवाल खड़ा करने लगे हैं. जेपीएससी सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी कर रहे अभिषेक कुमार कहते हैं कि जब मुख्यमंत्री के घोषणा का भी पालन नहीं किया जाता हो वहां आयोग से क्या उम्मीद की जा सकती है. आयोग के पास ना तो अध्यक्ष है और ना ही कोई विद्यार्थियों के लिए परीक्षा कैलेंडर. मुख्यमंत्री ने सत्ता संभालने के बाद पहले कैबिनेट में परीक्षा कैलेंडर को लेकर निर्णय लिया जिसका पालन अब तक नहीं हो पाया है.
जेपीएससी-जेएसएससी परीक्षा दलालों से हो दूर- सीपी सिंह
जेपीएससी जेएसएससी के द्वारा परीक्षा कैलेंडर जारी नहीं होने पर उठ रहे सवाल के बीच विपक्ष हमलावर हो गया है. रांची विधायक सीपी सिंह सरकार के कामकाज पर सवाल खड़ा करते हुए कहते हैं कि मुख्यमंत्री कहते कुछ हैं और करते कुछ हैं. जब तक जेपीएससी जेएसएससी को दलालों से दूर नहीं रखा जाएगा तब तक यहां छात्रों की परेशानी बनी रहेगी. सरकार को चाहिए की दोनों आयोग के द्वारा आयोजित होने वाली परीक्षा में पारदर्शिता हो जिससे छात्रों को कोई परेशानी ना हो. इस संबंध में राज्यसभा सांसद महुआ माजी से पूछा गया तो वह जवाब देने से कतराती नजर आई.
झारखंड लोक सेवा आयोग को सर्वप्रथम अध्यक्ष की जरूरत है अध्यक्ष की नियुक्ति होने के बाद ही परीक्षा कैलेंडर जेपीएससी के द्वारा जारी हो सकेगा. झारखंड कर्मचारी चयन आयोग साल 2025 में आधा दर्जन से अधिक परीक्षा आयोजित करेगी. मगर कब और कैसे यह अभी भी अंधेरे में है. कई परीक्षाओं पर न्यायालय की पाबंदी है, जिस वजह से यह लंबित है. तो कई परीक्षाएं सरकार की हरी झंडी नहीं मिलने की वजह से लंबित हैं. ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि आखिरकार इन परीक्षा में शामिल होने की चाहत रख रहे राज्य के लाखों छात्रों के भविष्य का क्या होगा जो अपने राज्य में रहकर नौकरी करना चाहते हैं.
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