पलामू: प्रतिबंधित नक्सली संगठन झारखंड जनमुक्ति परिषद (JJMP) के सुप्रीमो पप्पू लोहरा के मारे जाने से खौफ का साम्राज्य खत्म हो गया है. पप्पू लोहरा एक ऐसा नाम है जिसे सुनते ही लोग आतंकित हो जाते थे. लातेहार पुलिस के साथ मुठभेड़ में पप्पू लोहरा अपने सहयोगी प्रभात गंझू के साथ मारा गया.
झारखंड सरकार ने पप्पू लोहरा पर 10 लाख रुपये का इनाम रखा था और वह नक्सली संगठन JJMP का सुप्रीमो था. पप्पू के मारे जाने से नक्सली संगठन झारखंड जनमुक्ति परिषद काफी कमजोर हो गया है. पप्पू लोहरा पिछले डेढ़ दशक से JJMP की कमान संभाल रहा था, सारा पैसा पप्पू लोहरा के पास जमा रहता था. संगठन के लिए हथियार और विस्फोटक की खरीदारी पप्पू लोहरा ही करता था.
2008 में बना था जेजेएमपी, खौफ की बदौलत सुप्रीमो बना पप्पू
2007-08 में माओवादियों के जोनल कमांडर संजय यादव ने नक्सली संगठन झारखंड जनमुक्ति परिषद का गठन किया था. 2009-10 के दौरान पप्पू लोहरा माओवादियों के चंगुल से बचकर जेजेएमपी में शामिल हो गया था. पप्पू लोहरा माओवादियों का प्लाटून कमांडर था, बाद में वह जोनल कमांडर के रूप में जेजेएमपी में शामिल हो गया. 2010-11 में संजय यादव की मौत हो गई. संजय यादव की मौत के बाद उपेंद्र और अंशु ने संगठन की कमान संभाली. बाद में उपेंद्र और अंशु ने सरेंडर कर दिया. इस दौरान पप्पू लोहरा ने अपना कद बढ़ाना शुरू कर दिया. अपने खौफ और कार्रवाई के कारण पप्पू लोहरा 2016-17 में जेजेएमपी का सुप्रीमो बन गया.
जेजेएमपी में लीडरशीप खत्म, 40 से 45 कैडर बचे
पप्पू लोहरा और प्रभात गंझू के मारे जाने के बाद जेजेएमपी में लीडरशीप समाप्त हो गयी है. पप्पू लोहरा संगठन की हर गतिविधि को देखता था, उसके मारे जाने के बाद कोई टॉप कमांडर नहीं बचा है. पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों के अनुसार जेजेएमपी दस्ते में 40 से 45 कैडर बचे हैं. बड़ी संख्या में जेजेएमपी नक्सली सरेंडर कर सकते हैं. पूर्व नक्सली सुरेंद्र कहते हैं कि पप्पू लोहरा ने खौफ का साम्राज्य स्थापित कर रखा था. जेजेएमपी एक स्प्लिंटर ग्रुप है. पप्पू लोहरा के चले जाने से यह संगठन काफी कमजोर हो गया है.
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