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जींद CHC अलेवा का कारनामा, प्रसव के बाद भूख से बिलबिलाती रही महिला, स्टाफ ने बजट का अभाव बता कर झाड़ा पल्ला - JIND ALEWA CHC

सीएचसी अलेवा में महिला को प्रसव के बाद स्वास्थ्य विभाग ने पीने के लिए दूध तो दिया लेकिन खाना नहीं, जानें क्या बताई वजह.

Jind Alewa CHC Pregnant Woman
Jind Alewa CHC Pregnant Woman (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Haryana Team

Published : May 13, 2025 at 8:39 AM IST

3 Min Read

जींद: हरियाणा के जींद में सीएचसी अलेवा में विभाग के निर्देशों की जमकर धज्जियां उड़ाई जा रही है. जबकि जननी सुरक्षा योजना के तहत सरकारी अस्पतालों में भर्ती प्रसुताओं (गर्भवती) को भोजन देने के स्पष्ट निर्देश हैं. ताजा मामला सोमवार को सीएचसी अलेवा में देखने को मिला है. जिसमें महिला को प्रसव के बाद स्वास्थ्य विभाग ने पीने के लिए दूध तो उपलब्ध करा दिया. लेकिन भोजन के मामले में उक्त महिला भूख से बिलबिलाती रही.

'महिला ने स्वस्थ बच्ची को दिया जन्म': इतना ही नहीं, महिला के परिजनों द्वारा स्वास्थ्य विभाग के उच्चाधिकारियों के समक्ष मामला उठाए जाने के बाद भी विभाग ने सीएचसी में बजट का रोना रोकर महिला को खाने के मामले में एक बिस्किट का पैकेट देकर चुप करा दिया. गांव गोहिया निवासी पीड़ित महिला की सास अजमेरो उर्फ जगीरों ने बताया कि उसकी बहू सपने ने सोमवार सुबह 6 बजे के करीब सीएचसी अलेवा में एक स्वस्थ लड़की को जन्म दिया.

'अस्पताल में नहीं मिली खाने की सुविधा': महिला के प्रसव के बाद स्वास्थ्य विभाग ने जच्चा को पीने के लिए दूध उपलब्ध कराया, लेकिन भोजने के मामले में कर्मचारी जच्चा के हाथों में एक बिस्किट का पैकेट देकर चलते बने. जिसके बाद घर से खाना मंगवा कर खाना पड़ा. महिला ने बताया कि वैसे तो स्वास्थ्य विभाग तथा सरकार गर्भवती महिलाओं के उत्थान के लिए अनेक प्रकार की योजनाएं चला रही है. लेकिन धरातल पर प्रसव के बाद महिलाओं को खाना तक नसीब नहीं होता. जिसके कारण गर्भवती महिलाओं तथा उनके स्वजनों में सरकार तथा स्वास्थ्य विभाग के आला अधिकारियों के प्रति रोष है.

क्या है प्रावधान: सरकारी अस्पतालों में गर्भवती महिलाओं को प्रसव के बाद नाश्ता, दूध तथा भोजन देने का प्रावधान है. नॉर्मल डिलीवरी में प्रसूता को कम से कम 48 घंटे तथा ऑपरेशन की स्थिति में सात दिन तक अस्पताल में रहना होता है. जिसमें महिला को डाइट के तौर पर प्रतिदिन 100 रुपये मिलते हैं. इसी प्रावधान के माध्यम से प्रसूता को भोजन मिलता है. लेकिन यह व्यवस्था सीएचसी अलेवा में कर्मचारियों की मनमानी की शिकार हो गई है.

डाइट इंचार्ज ने क्या कहा ?: सीएचसी अलेवा डाइट इंचार्ज पूनम ने बताया कि बजट के अभाव में चार-पांच दिन से प्रसव के बाद महिलाओं को खाना नहीं मिल रहा है. इसके लिए उनसे पहले भी घर से 14 हजार रुपये लगा रखे हैं. लेकिन अभी तक अक्टूबर महीने से एक भी रुपया नहीं मिला है. जिसके कारण प्रसव के बाद महिलाओं को खाना नहीं मिल रहा है.

सीएमओ क्या कहते हैं ?: नागरिक अस्पताल जींद की सिविल सर्जन डॉ. सुमन कोहाली ने बताया कि प्रसव के बाद महिलाओं को खाना देने का प्रावधान है. इसके लिए बजट आदि बहाना नहीं बनाया जा सकता है. दूसरे जगहों से पैसा लेकर प्रसव वाली महिलाओं को खाना आदि दिया जा सकता है. इसके लिए बैठक में एसएमओ से बात की जाएगी. प्रसव के बाद महिलाओं को खाना नहीं देना गलत है.

ये भी पढ़ें: प्रेगनेंसी में क्या खाएं और क्या नहीं खाएं? जानें मछली और इन फूड आइटम्स को क्यों करना चाहिए अवॉइड - what not to eat during pregnancy

ये भी पढ़ें: प्रेग्नेंसी के दौरान गर्भवती महिलाएं अपने डाइट में शामिल करें ये फूड आइटम्स, जच्चा-बच्चा दोनों रहेंगे हेल्दी

जींद: हरियाणा के जींद में सीएचसी अलेवा में विभाग के निर्देशों की जमकर धज्जियां उड़ाई जा रही है. जबकि जननी सुरक्षा योजना के तहत सरकारी अस्पतालों में भर्ती प्रसुताओं (गर्भवती) को भोजन देने के स्पष्ट निर्देश हैं. ताजा मामला सोमवार को सीएचसी अलेवा में देखने को मिला है. जिसमें महिला को प्रसव के बाद स्वास्थ्य विभाग ने पीने के लिए दूध तो उपलब्ध करा दिया. लेकिन भोजन के मामले में उक्त महिला भूख से बिलबिलाती रही.

'महिला ने स्वस्थ बच्ची को दिया जन्म': इतना ही नहीं, महिला के परिजनों द्वारा स्वास्थ्य विभाग के उच्चाधिकारियों के समक्ष मामला उठाए जाने के बाद भी विभाग ने सीएचसी में बजट का रोना रोकर महिला को खाने के मामले में एक बिस्किट का पैकेट देकर चुप करा दिया. गांव गोहिया निवासी पीड़ित महिला की सास अजमेरो उर्फ जगीरों ने बताया कि उसकी बहू सपने ने सोमवार सुबह 6 बजे के करीब सीएचसी अलेवा में एक स्वस्थ लड़की को जन्म दिया.

'अस्पताल में नहीं मिली खाने की सुविधा': महिला के प्रसव के बाद स्वास्थ्य विभाग ने जच्चा को पीने के लिए दूध उपलब्ध कराया, लेकिन भोजने के मामले में कर्मचारी जच्चा के हाथों में एक बिस्किट का पैकेट देकर चलते बने. जिसके बाद घर से खाना मंगवा कर खाना पड़ा. महिला ने बताया कि वैसे तो स्वास्थ्य विभाग तथा सरकार गर्भवती महिलाओं के उत्थान के लिए अनेक प्रकार की योजनाएं चला रही है. लेकिन धरातल पर प्रसव के बाद महिलाओं को खाना तक नसीब नहीं होता. जिसके कारण गर्भवती महिलाओं तथा उनके स्वजनों में सरकार तथा स्वास्थ्य विभाग के आला अधिकारियों के प्रति रोष है.

क्या है प्रावधान: सरकारी अस्पतालों में गर्भवती महिलाओं को प्रसव के बाद नाश्ता, दूध तथा भोजन देने का प्रावधान है. नॉर्मल डिलीवरी में प्रसूता को कम से कम 48 घंटे तथा ऑपरेशन की स्थिति में सात दिन तक अस्पताल में रहना होता है. जिसमें महिला को डाइट के तौर पर प्रतिदिन 100 रुपये मिलते हैं. इसी प्रावधान के माध्यम से प्रसूता को भोजन मिलता है. लेकिन यह व्यवस्था सीएचसी अलेवा में कर्मचारियों की मनमानी की शिकार हो गई है.

डाइट इंचार्ज ने क्या कहा ?: सीएचसी अलेवा डाइट इंचार्ज पूनम ने बताया कि बजट के अभाव में चार-पांच दिन से प्रसव के बाद महिलाओं को खाना नहीं मिल रहा है. इसके लिए उनसे पहले भी घर से 14 हजार रुपये लगा रखे हैं. लेकिन अभी तक अक्टूबर महीने से एक भी रुपया नहीं मिला है. जिसके कारण प्रसव के बाद महिलाओं को खाना नहीं मिल रहा है.

सीएमओ क्या कहते हैं ?: नागरिक अस्पताल जींद की सिविल सर्जन डॉ. सुमन कोहाली ने बताया कि प्रसव के बाद महिलाओं को खाना देने का प्रावधान है. इसके लिए बजट आदि बहाना नहीं बनाया जा सकता है. दूसरे जगहों से पैसा लेकर प्रसव वाली महिलाओं को खाना आदि दिया जा सकता है. इसके लिए बैठक में एसएमओ से बात की जाएगी. प्रसव के बाद महिलाओं को खाना नहीं देना गलत है.

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