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हेमंत सरकार करेगी खिलाड़ियों के लिए अलग बटालियन का गठन! राज्य स्तरीय प्लेयर के आर्थिक हित पर होगा विचार - SPECIAL BATTALION FOR SPORTSMAN

झारखंड सरकार द्वारा खिलाड़ियों के लिए अलग बटालियन का गठन किया जाएगा. कांग्रेस विधायक ने सरकार से मांग की थी.

SPECIAL BATTALION FOR SPORTSMAN
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (ईटीवी भारत)
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : April 7, 2025 at 3:18 PM IST

Updated : April 7, 2025 at 3:45 PM IST

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रांची: झारखंड की पहचान जल, जंगल, जमीन और खनिज के साथ-साथ खेल और खिलाड़ियों को लेकर भी होती है. खिलाड़ियों को प्रोत्साहित करने के लिए राज्य सरकार कई तरह से मदद कर रही है. अंतर्राष्ट्रीय और राष्ट्रीय स्तर पर पदक जीतने वाले खिलाड़ियों को विभागों में सीधी नियुक्ति दी जाती है. उन्हें आर्थिक सहायता भी दी जाती है. अब इस बात की चर्चा शुरु हो गई है कि खिलाड़ियों को प्रोत्साहित करने के लिए अलग से बटालियन का भी गठन होना चाहिए. साथ ही राज्य और जिला स्तर के पदक विजेता खिलाड़ियों को आर्थिक रूप से मदद की जानी चाहिए. इन दोनों मसलों पर हेमंत सरकार ने सकारात्मक रुख दिखाया है.

खिलाड़ियों के लिए अलग से बने बटालियन

कांग्रेस विधायक दल के नेता प्रदीप यादव ने राज्य सरकार के समक्ष यह सुझाव दिया है. उनकी दलील है कि बटालियन होने से खिलाड़ियों को इस बात की तसल्ली रहेगी कि उन्हें स्पोर्ट्स ग्राउंड पर नौकरी मिल जाएगी. ऐसा सोचकर वे मेडल के लिए अपने प्रयास को और पैना करने की कोशिश करेंगे. सरकार को उनका एक और अहम सुझाव है. उनका कहना है कि वर्तमान में अंतर्राष्ट्रीय और राष्ट्रीय स्तर पर मेडल लाने वाले खिलाड़ियों को ही सीधी नौकरी के साथ-साथ आर्थिक सहायता देने के प्रावधान है. अगर राज्य और जिला स्तर पर मेडल जीतने वाले खिलाड़ियों को आर्थिक सहायता का भरोसा मिलता है तो उनकी हौसला अफजाई होगी.

सकारात्मक विचार का सरकार से मिला आश्वासन

कांग्रेस विधायक प्रदीप यादव के सुझाव को राज्य सरकार ने गंभीरता से लिया है. खेलकूद एवं युवा कार्य विभाग के मंत्री सुदिव्य कुमार सोनू ने कहा है कि पहली बार खिलाड़ियों के लिए अलग से बटालियन गठन का सुझाव मिला है. यह सरकार का नीतिगत मामला है. फिर भी इसके तमाम विषयों का आकलन कर सरकार सकारात्मक पहल करना चाहेगी. हालांकि उन्होंने स्पष्ट कर दिया है कि जिला या राज्य स्तर पर मेडल जीतने वाले खिलाड़ियों को नौकरी में आरक्षण देना संभव नहीं है. ऐसा करना राज्य के आर्थिक हितों के लिहाज से उचित नहीं होगा. हालांकि उन्होंने इस बात को पॉजिटिव रूप में लिया कि ऐसे खिलाड़ियों के आर्थिक संवर्द्धन पर विचार संभव है. अनुबंध में कुछ लाभ देने की कोशिश जरूर की जा सकती है.

खेल की अहमियत समझने में पीछे रहा झारखंड

खेल की अहमियत को समझने में राज्य पीछे रह गया है. इस सवाल से कोई इनकार नहीं कर सकता. क्योंकि 15 नवंबर 2000 को राज्य गठन के बावजूद खेल नीति बनने में सात साल लग गए. पहली बार साल 2007 में खेल नीति बनी थी. लेकिन इसका फायदा पहुंचाने में फिर सात साल गुजर गए. इसके लिए विभागीय अधिसूचना संख्या 56, दिनांक 12 जुलाई 2014 और अधिसूचना संख्या 178, दिनांक 18 जून 2015 के तहत 'झारखंड खिलाड़ी सीधी नियुक्ति नियमावली' अधिसूचित हुई. इस नियमावली के तहत कई पदक विजेता खिलाड़ियों को अलग-अलग विभागों में नियुक्ति दी गई है. फिर साल 2022 में हेमंत सरकार ने खेल को तवज्जों देते हुए 2007 की खेल नीति को विलोपित कर नई खेल नीति 2022 बनाई.

अब खिलाड़ियों में उम्मीद जगी है. 13 सितंबर 2022 को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने नई खेल नीति 2022 का लोकार्पण किया था. इस दौरान 13 खिलाड़ियों को न्यूनतम 50 हजार रुपए की सहायता राशि देकर सम्मानित किया गया था. इनमें हॉकी खिलाड़ी पंकज कुमार रजक, संगीता कुमारी, सलीमा टेटे, निक्की प्रधान, आशा किरण बारला और ब्यूटी डुंगडुंग का नाम शामिल था. जबकि एथलेटिक्स में सुप्रिती कच्छप, फ्लोरेंस बारला, विशाखा सिंह, रिया कुमार, विधि रावल, आका यादव और हेमंत कुमार के नाम शामिल थे.

अब खिलाड़ियों के लिए अलग से बटालियन बनाने की चर्चा शुरू हुई है. यह खेल और खिलाड़ियों को बढ़ावा देने में काफी कारगत साबित हो सकता है. इससे पहले पूर्वर्ती रघुवर सरकार ने आदिम जनजाति बटालियन का गठन कर राष्ट्रीय स्तर पर वाहवाही बटोरी थी.

ये भी पढ़ें- केंद्र सरकार से झारखंड को मिले ऋण और ग्रांट पर रिपोर्ट जारी करेगी हेमंत सरकार, पड़ोसी राज्य को मिली राशि से होगी तुलना

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खिलाड़ियों के लिए अलग से बने बटालियन

कांग्रेस विधायक दल के नेता प्रदीप यादव ने राज्य सरकार के समक्ष यह सुझाव दिया है. उनकी दलील है कि बटालियन होने से खिलाड़ियों को इस बात की तसल्ली रहेगी कि उन्हें स्पोर्ट्स ग्राउंड पर नौकरी मिल जाएगी. ऐसा सोचकर वे मेडल के लिए अपने प्रयास को और पैना करने की कोशिश करेंगे. सरकार को उनका एक और अहम सुझाव है. उनका कहना है कि वर्तमान में अंतर्राष्ट्रीय और राष्ट्रीय स्तर पर मेडल लाने वाले खिलाड़ियों को ही सीधी नौकरी के साथ-साथ आर्थिक सहायता देने के प्रावधान है. अगर राज्य और जिला स्तर पर मेडल जीतने वाले खिलाड़ियों को आर्थिक सहायता का भरोसा मिलता है तो उनकी हौसला अफजाई होगी.

सकारात्मक विचार का सरकार से मिला आश्वासन

कांग्रेस विधायक प्रदीप यादव के सुझाव को राज्य सरकार ने गंभीरता से लिया है. खेलकूद एवं युवा कार्य विभाग के मंत्री सुदिव्य कुमार सोनू ने कहा है कि पहली बार खिलाड़ियों के लिए अलग से बटालियन गठन का सुझाव मिला है. यह सरकार का नीतिगत मामला है. फिर भी इसके तमाम विषयों का आकलन कर सरकार सकारात्मक पहल करना चाहेगी. हालांकि उन्होंने स्पष्ट कर दिया है कि जिला या राज्य स्तर पर मेडल जीतने वाले खिलाड़ियों को नौकरी में आरक्षण देना संभव नहीं है. ऐसा करना राज्य के आर्थिक हितों के लिहाज से उचित नहीं होगा. हालांकि उन्होंने इस बात को पॉजिटिव रूप में लिया कि ऐसे खिलाड़ियों के आर्थिक संवर्द्धन पर विचार संभव है. अनुबंध में कुछ लाभ देने की कोशिश जरूर की जा सकती है.

खेल की अहमियत समझने में पीछे रहा झारखंड

खेल की अहमियत को समझने में राज्य पीछे रह गया है. इस सवाल से कोई इनकार नहीं कर सकता. क्योंकि 15 नवंबर 2000 को राज्य गठन के बावजूद खेल नीति बनने में सात साल लग गए. पहली बार साल 2007 में खेल नीति बनी थी. लेकिन इसका फायदा पहुंचाने में फिर सात साल गुजर गए. इसके लिए विभागीय अधिसूचना संख्या 56, दिनांक 12 जुलाई 2014 और अधिसूचना संख्या 178, दिनांक 18 जून 2015 के तहत 'झारखंड खिलाड़ी सीधी नियुक्ति नियमावली' अधिसूचित हुई. इस नियमावली के तहत कई पदक विजेता खिलाड़ियों को अलग-अलग विभागों में नियुक्ति दी गई है. फिर साल 2022 में हेमंत सरकार ने खेल को तवज्जों देते हुए 2007 की खेल नीति को विलोपित कर नई खेल नीति 2022 बनाई.

अब खिलाड़ियों में उम्मीद जगी है. 13 सितंबर 2022 को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने नई खेल नीति 2022 का लोकार्पण किया था. इस दौरान 13 खिलाड़ियों को न्यूनतम 50 हजार रुपए की सहायता राशि देकर सम्मानित किया गया था. इनमें हॉकी खिलाड़ी पंकज कुमार रजक, संगीता कुमारी, सलीमा टेटे, निक्की प्रधान, आशा किरण बारला और ब्यूटी डुंगडुंग का नाम शामिल था. जबकि एथलेटिक्स में सुप्रिती कच्छप, फ्लोरेंस बारला, विशाखा सिंह, रिया कुमार, विधि रावल, आका यादव और हेमंत कुमार के नाम शामिल थे.

अब खिलाड़ियों के लिए अलग से बटालियन बनाने की चर्चा शुरू हुई है. यह खेल और खिलाड़ियों को बढ़ावा देने में काफी कारगत साबित हो सकता है. इससे पहले पूर्वर्ती रघुवर सरकार ने आदिम जनजाति बटालियन का गठन कर राष्ट्रीय स्तर पर वाहवाही बटोरी थी.

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Last Updated : April 7, 2025 at 3:45 PM IST
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