पटना: राज्यसभा में वक्फ बिल पास होने के बाद बिहार में जदयू में बवाल मचा है. बिहार के 4 मुस्लिम नेताओं ने नीतीश कुमार की पार्टी को छोड़ दिया है. हालांकि पार्टी ने इन नेताओं के पार्टी से जुड़े होने से इंकार कर दिया है.
इस्तीफा देने वालों में कथित रूप से जदयू नेताओं में अल्पसंख्यक मोर्चा के प्रदेश सचिव मो नवाज मलिक, जेडीयू के नेता कासिम अंसारी, अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ अध्यक्ष शहनवाज आलम ने पार्टी से दिया इस्तीफा दे दिया है. इसके अलावा जेडीयू के अल्पसंख्यक विभाग के प्रदेश महासचिव मोहम्मद तबरेज़ सिद्दीकी अलीग ने इस्तीफा पत्र नीतीश कुमार को भेज दिया है.

जदयू ने किया इंकार: मोहम्मद कासिम अंसारी पूर्वी चंपारण में जदयू के चिकित्सा प्रकोष्ठ का अध्यक्ष होने का दावा किया है. नमाज मलिक जदयू के अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ का सचिव बताया है. हालांकि पार्टी के तरफ से दोनों के पदाधिकारी होने से इनकार किया जा रहा है. जदयू के प्रवक्ता की ओर से इसकी जानकारी दी गयी है. हालांकि जेडीयू प्रवक्ता ने इस्तीफा देने वाले नेताओं को लेकर बड़ा दावा किया है.
समर्थकों के साथ विश्वासघात: मो. तबरेज सिद्धीकी अलीग ने कहा कि जिस मुस्लिम समाज ने पिछले 19 साल से जदयू का समर्थन किया इसी के खिलाफ निर्णय में पार्टी ने समर्थन किया. यह समर्थकों के साथ विश्वासघात है. बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में इसका असर दिखेगा.

"जमुई के नवाज मलिक और पूर्वी चंपारण के कासिम अंसारी से पार्टी से कोई संबंध नहीं है. ना तो पूर्वी चंपारण के रहने वाले मोहम्मद कासिम अंसारी और ना ही जमुई निवासी नवाज मलिक पार्टी के पदाधिकारी हैं.'' -राजीव रंजन प्रसाद, प्रवक्ता, जदयू
'समर्थन की अलोचना': जदयू ने इन नेताओं को सीधे तौर पर पहचानने से इंकार कर दिया है. पूर्वी चंपारण के रहने वाले मोहम्मद कासिम अंसारी ने वक्फ विधेयक में पार्टी के समर्थन की अलोचना की है. पार्टी के समर्थन के कारण उन्होंने कहा कि वे पद छोड़ते हुए पार्टी से इस्तीफा दे रहे हैं.

आहत हैं नेता: इधर, कथित तौर पर जदयू नेता अंसारी ने कहा कि पार्टी ने लाखों भारतीय मुसलमानों का भरोसा तोड़ दिया है. उन्होंने कहा कि वे मानते थे कि जदयू धर्मनिर्पेक्ष को कायम रखेगी लेकिन ऐसा नहीं हुआ. इससे आहत होकर उन्होंने पार्टी छोड़ दी है.
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