नई दिल्ली: इस्लाम में रमजान खास महीना है. राजधानी के ऐतिहासिक जामा मस्जिद के आसपास के बाजार इन दिनों गुलज़ार है. यहां रौनक देखते ही बनती है. जामा मस्जिद के गेट नंबर 1 के सामने मटिया महल बाजार (Bazar Matia Mahal) है. बाजार को रंग-बिरंगी लाइटिंग से सजाया गया है. चारों ओर रमजान मुबारक के बोर्ड और होर्डिंग्स लगाए गए हैं. रोज़ा इफ्तारी के बाद भारी संख्या में लोग बाजार घूमने आते हैं, जिनके लिए बाजार एसोसिएशन द्वारा कई इंतज़ाम किये गए हैं. सेल्फी पॉइंट बनाए गए हैं. कड़ी पुलिस सुरक्षा के साथ CCTV भी लगाए हैं. इसके अलावा बाजार घूमने आने वालों के लिए अनोखी प्रतियोगिता का भी आयोजन किया जा रहा है.
बाजार मटिया महल ट्रेडर्स एसोसिएशन के प्रेसिडेंट हाजी सलीमुद्दीन ने बताया कि एसोसिएशन का प्रयास रहता है कि रमजान में हर बार कुछ अलग और अनोखा किया जाए. इसे ध्यान में रख कर बाजार को आकर्षक रूप दिया गया है. दुनियाभर में जिस तरह से रमजान के दिनों में बाजार सजाए जाते हैं, उसी तर्ज पर यहां भी डेकोरेशन की गई है. 500 मीटर की दूरी तक LED लाइटिंग की गई है. खजूर के आर्टिफिशियल पेड़ लगाए गए हैं. पूरे बाजार में 'रमजान मुबारक' के बोर्ड लगाए गए हैं. बाजार मटिया महल में सेल्फी लेने वालों के लिए डिजाइन वाले बोर्ड लगाए गए हैं. इन पर 'रमजान मुबारक' लिखा गया है.
बाजार में खाने से लेकर तमाम चीजें मौजूद: ज्यादातर लोग बाजार मटियामहल केवल मुगलई ज़ायके का लुफ्त उठाने आते हैं. लेकिन बाजार में और भी कई दुकानदार हैं, जो अरसे से यहां अपनी दुकानें चला रहे हैं. इस बार एसोसिएशन ऐसी दुकानों के व्यापार को बढ़ावा दे रही है. इसके लिए जामा मस्जिद के सामने एक लिस्ट लगी है कि बाजार में और क्या क्या मिलता है? खाने पीने की दुकानें, कपड़ों, मेहंदी, शाही मुगलाई कुजीन, किराना, चूड़ी की दुकानें हैं. अंदर एक किलो मीटर तक दोनों ओर दुकानें फैली हैं. पहले लोग चौक से ही खा-पीकर निकल जाते थे. लेकिन इस बॉर्ड के लगने से लोगों ने अंदर भी घूमना शुरू किया है.
बाजार मटिया महल की संस्कृति ही अलग है: सलीमुद्दीन बताते हैं कि बाजार मटिया महल केवल एक बाजार नहीं है. इस बाजार की संस्कृति ही अलग है. रमजान के दिनों में लोग बाजार में इफ्तारी करते हैं. नमाज़ पढ़ते हैं. फिर रातभर शॉपिंग करते हैं. बाजार मुगलकालीन ज़ायकों के लिए भी मशहूर हैं. लेकिन कुछ ज़ायके ऐसे हैं, जो केवल रमजान के दिनों में तैयार किये जाते हैं, जैसे खजल, पेली, विशेष फ्रूट चाट, फीकी जलेबी आदि. इस समय कई तरह के खजूर बिकते हैं. रमज़ान के दिनों में बाजार घूमने आने वालों में 80 फीसदी लोग नॉन मुस्लिम होते हैं. सभी की सुरक्षा का भी विशेष ध्यान रखा जा रहा है. इसमें दिल्ली पुलिस का पूरा सहयोग मिल रहा है. प्राइवेट सुरक्षा गार्ड भी तैनात किये गए. इसके अलावा महिलाओं की सुरक्षा के लिए महिला गार्डों को तैनात किया गया है.
बाजार में प्रतियोगिता का भी आयोजन: बाजार मटिया महल की चमक में चार चाँद लगाने के लिए एसोसिएशन में एक प्रतियोगिता का भी आयोजन किया है. सलीम ने बताया कि बाजार घूमने आने वाले सोशल मीडिया इन्फ्लुएंशर, बच्चे, युवा और हर उम्र के लोगों के कॉम्पिटिशन रखा गया है. जो भी जामा मस्जिद और बाजार मटिया महल की सबसे खूबसूरत वीडियो बनाएगा, उनको एसोसिएशन द्वारा पुरस्कृत किया जायेगा. विजेता को ईद के दिन कॅश प्राइज, अवार्ड और सर्टिफिकेट दिया जायेगा.
बता दें कि बाजार मटिया महल का इतिहास 360 साल पुराना है. जब मुग़ल बादशाह शाहजहां ने जामा मस्जिद को बनवाया था. तभी बाजार बसना शुरू हुआ था. वर्तमान में मटिया महल बाजार में करीब 700 दुकानें हैं.