शिमला: विमल नेगी मामले में शिमला के एसपी संजीव गांधी ने हाईकोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर की है. इसको लेकर अब विपक्ष सरकार पर हमलावर हो गया है और सरकार पर सीबीआई जांच रुकवाने के आरोप लगाए जा रहे हैं. पूर्व मुख्यमंत्री एवं नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि विमल नेगी के मामले की सीबीआई जांच से सरकार हड़कंप मचा है. सबके हाथ पांव फूल गए हैं. भ्रष्टाचार उजागर होने के डर से सबकी नींद उड़ी हुई है.
हालांकि, एसपी शिमला की तरफ से हाईकोर्ट की सिंगल बैंच यानी एकल पीठ के फैसले को चुनौती दी गई है. अपील के माध्यम से एसपी शिमला ने हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी है, लेकिन इसी बीच हाईकोर्ट की रजिस्ट्री ने अपील में कुछ खामियां पाई. इसके बाद एसपी शिमला यानी अपीलकर्ता ने उक्त अपील के वापस ले लिया. अपील में पाई गई खामियों को दूर करने के लिए उसे वापस लिया गया है. अपील में जो भी कमियां रही हैं, उन्हें दूर करने के बाद फिर से उसे दाखिल किया जा सकता है.
सरकार सीबीआई जांच रोकने के हथकंडे अपना रही है।
— Jairam Thakur (@jairamthakurbjp) May 30, 2025
बिना मुख्यमंत्री के कहे एसपी शिमला कुछ नहीं करते हैं। कोर्ट में दायर पुनर्विचार याचिका सरकार के भ्रष्टाचार को ढकने और सीबीआई जांच रुकवाने का प्रयास है।
अब मुख्यमंत्री न्यायालय के फैसले का सम्मान करें और सीबीआई जांच होने दें।… pic.twitter.com/VyeCoq5ScH
पूर्व सीएम जयराम ठाकुर ने कहा, "सरकार जानबूझकर विमल नेगी के मौत की जांच सीबीआई से नहीं करवाना चाहती है. इसी कारण मुख्यमंत्री की शह पर सीबीआई की जांच रुकवाने के लिए शिमला पुलिस अधीक्षक द्वारा न्यायालय में पुनर्विचार दाखिल करवाई गई है. जब इस पुनर्विचार याचिका में एडवोकेट जनरल की सहमति है तो इसका मतलब है कि सरकार की भी सहमति हैं".
"सीबीआई जांच न हो इसके लिए सीएम कर रहे साजिश"
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह कहते हैं कि अगर विमल नेगी परिजन उनके पास आकर सीबीआई जांच की मांग करते तो वह स्वतः मामला सीबीआई को दे देते. वहीं, दूसरी तरफ जांच न होने पाए, उसके लिए साजिशें कर रह हैं. हाईकोर्ट द्वारा सुक्खू सरकार और हिमाचल पुलिस पर तल्ख टिप्पणी करते हुए मामले की जांच सीबीआई को सौंपने के बाद भी मामला सीबीआई को नहीं सौंपने दिया जा रहा हैं.

"अहम सबूत मिटाने और पेनड्राइव फॉर्मेट करने का कारनामा सबने देखा"
उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार किसी न किसी प्रकार से अड़ंगा लगाकर जांच को रोकना या जांच में देरी करवाना चाह रही है. पुलिस द्वारा अहम सबूत मिटाने और पेनड्राइव फॉर्मेट करने का कारनामा पूरे देश ने देखा है. माननीय न्यायालय ने निष्पक्ष और नैसर्गिक न्याय सुनिश्चित करने के लिए ही यह भी कहा था कि पूरे प्रकरण की जांच में सीबीआई का एक भी अधिकारी हिमाचल से संबंधित नहीं होना चाहिए. मुख्यमंत्री से उन्होंने आग्रह करते हुए कहा कि वह सीबीआई जांच होने दें और अड़ंगा लगाने के बजाय सहयोग करें.
"विमल नेगी की मौत के मामले में कुछ बड़ा छुपाया जा रहा"
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि मुख्यमंत्री ने राजनीतिक मजबूरियों के चलते भले ही सीबीआई जांच का स्वागत करने का ढोंग किया था, लेकिन उन्होंने माननीय न्यायालय के फैसले पर अनर्गल टिप्पणी करके पहले दिन से ही अपने इरादे जाहिर कर दिए थे. जिस तरीके से सरकार सीबीआई जांच रोकने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रही है, उस हिसाब से विमल नेगी की मौत के मामले में कुछ बहुत बड़ा है जो छुपाया जा रहा है. जिसके सामने आने से सरकार की चूलें हिल जाएगी. विमल नेगी का परिवार, पॉवर कारपोरेशन के कर्मचारी, भारतीय जनता पार्टी, प्रदेश के लोग पहले दिन से ही इस मामले की सीबीआई जांच चाहते थे. सबने अपने-अपने स्तर से सड़क से लेकर न्यायालय तक संघर्ष किया. सरकार सीबीआई की जांच से भाग रही थी, अब उसका कारण स्पष्ट हो गया है.
सीएम सुक्खू के झूठ का पर्दाफाश! pic.twitter.com/LGdm1Pj67q
— BJP Himachal Pradesh (@BJP4Himachal) May 30, 2025
"एसपी द्वारा हाईकोर्ट में दाखिल की गई पुनर्विचार याचिका"
जयराम ठाकुर ने कहा कि सबसे हास्यास्पद बात यह है कि एसपी द्वारा दाखिल की गई पुनर्विचार याचिका में यह साफ लिखा गया है कि एडवोकेट जनरल के सहमति के बाद यह पुनर्विचार याचिका दाखिल की जा रही है, लेकिन याचिका एडवोकेट जनरल द्वारा दाखिल नहीं की जा रही है. यह निजी वकील द्वारा दाखिल की जा रही है. अपर मुख्य सचिव गृह और डीजीपी का एफिडेविट एडवोकेट जनरल के ऑफिस से फाइल होने के बजाय कहीं और से हो रहा है. सब अपनी–अपनी ढपली से अपना–अपना राग अलाप रहे हैं.
"सुक्खू सरकार में व्यवस्था पूरी तरह से पैरालाइज हो गई"
पूर्व सीएम ने कहा कि हिमाचस प्रदेश में चल क्या रहा है किसी को समझ नहीं आ रहा है. सुक्खू सरकार में व्यवस्था पूरी तरह से पैरालाइज हो गई है. मुख्यमंत्री का शासन–प्रशासन से पूरी तरह नियंत्रण समाप्त हो चुका है. एसपी, डीजीपी द्वारा न्यायालय में दिए एफिडेविट को झूठा बता रहे हैं. सरकार कह रही है कि सीबीआई जांच करवाना चाहते है और एसपी कह रहे हैं कि जांच सीबीआई के बजाय न्यायालय से एसआईटी बनाकर की जाए. जिसकी मॉनिटरिंग हाईकोर्ट करें. मुख्यमंत्री का इस कदर बेबस होना हिमाचल प्रदेश पर बहुत भारी पड़ रहा है.
"सीएम आखिर एसपी के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं कर पा रहे"
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि मुख्यमंत्री की आखिर ऐसी क्या मजबूरी है कि वह एक अनुशासनहीन एसपी के खिलाफ कार्रवाई नहीं कर पा रहे हैं. एक न्यायप्रिय मुख्यमंत्री इतना बेबस कभी नहीं हो सकता है. प्रदेश के लोग हमसे भी कारण पूछ रहे हैं कि क्या एक सीएम इतना विवश भी हो सकता है क्या? उन्होंने कहा कि हमने मुख्यमंत्री को बार–बार आगाह किया था कि जिस रास्ते पर आप चल रहे हैं, एक न एक दिन ऐसा आएगा और आप कहीं के नहीं रहेंगे, ढाई साल में ही वह दिन आ गया जब मुख्यमंत्री न जाने क्यों इतने विवश हो गए हैं कि वह कुछ भी नहीं कर पा रहे हैं.
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