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एसएमएस अस्पताल अग्निकांड : ये हादसा नहीं चेतावनी है, इलाज से पहले इंफ्रास्ट्रक्चर की सर्जरी जरूरी

अस्पतालों में हुई आग की घटनाएं बताती हैं कि जयपुर हो या बीकानेर, फायर ऑडिट, मॉक ड्रिल और सुरक्षा मानक अब भी 'कागजी औपचारिकताएं' हैं.

Jaipur Fire Incident
एसएमएस अस्पताल अग्निकांड (ETV Bharat Jaipur)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : October 9, 2025 at 5:42 PM IST

4 Min Read
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जयपुर: राजस्थान की स्वास्थ्य प्रणाली पर एक बार फिर लापरवाही की परतें उजागर हुई हैं. एसएमएस अस्पताल के आईसीयू में बीते रविवार रात लगी आग ने 8 मरीजों की जान लेकर फायर सेफ्टी के सरकारी दावों की पोल खोल दी है. राज्य में बीते दशक में अस्पतालों में हुई आग की घटनाएं सिर्फ एक हादसा नहीं, बल्कि चेतावनी भी है. देखिए ये रिपोर्ट...

राजस्थान के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल एसएमएस के ट्रॉमा सेंटर में लगी आग ने 8 जिंदगियां निगल लीं. ये हादसा उस वक्त हुआ जब ज्यादातर मरीज नींद की आगोश में थे. माना जा रहा है कि आग इलेक्ट्रिकल शॉर्ट सर्किट से लगी, जिसने कुछ ही मिनटों में पूरे आईसीयू वार्ड को धुएं और लपटों से भर दिया. अफरातफरी में कई मरीजों की जान बचाई गई, लेकिन 8 गंभीर मरीजों की दम घुटने से मौत हो गई.

मेडिकल सुपरिटेंडेंट और फायर ऑफिसर ने क्या कहा, सुनिए... (ETV Bharat Jaipur)

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) की रिपोर्ट 'Accidental Deaths and Suicides in India-2023' के अनुसार साल 2023 में राजस्थान में 313 हादसे दर्ज हुए, जिनमें 322 लोगों की जान गई. इनमें अस्पतालों में होने वाली आग की 89% घटनाएं बिजली की खामियों से होती हैं. जबकि लगभग 4% ज्वलनशील रसायनों के कारण हुई.

Fire Incidents Rajasthan
राजस्थान में पहले भी हुईं भयावह घटनाएं (ETV Bharat GFX)

कानूनी प्रावधान और वास्तविकता : राष्ट्रीय भवन संहिता (NBC) और स्वास्थ्य मंत्रालय के दिशा-निर्देशों के अनुसार हर अस्पताल के पास फायर क्लियरेंस सर्टिफिकेट होना चाहिए. हर छह महीने में फायर सेफ्टी ऑडिट और मॉक ड्रिल अनिवार्य है. 24 घंटे कार्यशील फायर अलार्म और फायरफाइटिंग उपकरण लगे होने चाहिए. हर वार्ड में इमरजेंसी एग्जिट अनिवार्य है, लेकिन, जमीनी हकीकत ये है कि सरकारी अस्पतालों में इनमें से ज्यादातर नियम कागजों तक ही सीमित हैं.

क्या कहते हैं विशेषज्ञ : पंडित दीनदयाल उपाध्याय अस्पताल के मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉ. लिनेश्वर हर्षवर्धन ने बताया कि आईसीयू और ओटी में इलेक्ट्रिकल लोड सबसे ज्यादा होता है. एसी और मॉनिटर्स का निरंतर उपयोग तापमान नियंत्रण के लिए जरूरी है, लेकिन यही ओवरलोडिंग का मुख्य कारण बन जाता है. फिल्टर चोक हो जाए या वायरिंग पुरानी हो तो स्पार्किंग और शॉर्ट सर्किट की संभावना कई गुना बढ़ जाती है.

Fire Incidents Rajasthan
अस्पतालों में आग लगने के मुख्य कारण (ETV Bharat GFX)

इसलिए इनकी रेगुलर मेंटेनेंस, फायर फाइटिंग सिस्टम का नियमित परीक्षण, मॉक ड्रिल और स्टाफ को फायर उपकरण चलाने का प्रशिक्षण बेहद आवश्यक है. उन्होंने जोर देते हुए कहा कि अस्पताल में जहां पर भी सीलन आ रही है, वहां पर एक विशेषज्ञ ये जांच कर सके कि यहां से गुजरने वाले वायर में किसी तरह का पानी या फाल्ट की गुंजाइश तो नहीं, ताकि शॉर्ट सर्किट की संभावनाओं को खत्म किया जा सके.

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वहीं, फायर ऑफिसर राजेंद्र नागर ने बताया कि अस्पतालों, इंडस्ट्रीज और मॉल्स में ज्यादातर आग शॉर्ट सर्किट से लगती है. इसलिए बिजली कनेक्शन की क्षमता के अनुसार ही उपकरणों का इस्तेमाल होना चाहिए. वायरिंग आईएसआई मार्क की हो, फायर हाइड्रेंट, एक्सटिंग्विशर, स्मोक डिटेक्टर और फायर पैनल अनिवार्य हैं. अमूमन पब्लिक प्लेस पर फायर उपकरणों से चलते-फिरते कई लोग छेड़छाड़ कर देते हैं. ऐसे में उनकी नियमित रूप से मरम्मत और देखभाल होती रहनी चाहिए.

ICU Facility in Hospitals
सरकारी अस्पतालों में व्यवस्था (ETV Bharat Jaipur)

फायर ऑफिसर ने बताया कि फायर एनओसी देते वक्त ये सुनिश्चित किया जाता है कि संबंधित बिल्डिंग में फायर इक्विपमेंट लगे हुए हैं या नहीं और ये इक्विपमेंट नियमों के तहत है या नहीं. साथ ही फायर ऑफिसर ने कहा कि सबसे ज़रूरी है लोगों को खुद फायर उपकरणों का इस्तेमाल करना आना चाहिए. छोटी आग पर त्वरित कार्रवाई से बड़ी त्रासदी टाली जा सकती है. इसके साथ ही आग लगने की सूचना फायर स्टेशन को करने में देरी ना करें.

प्राथमिकता पर उठाने होंगे ये कदम : विशेषज्ञों की माने तो राजस्थान सरकार को सभी अस्पतालों का फायर ऑडिट तुरंत करवाना चाहिए. पुराने भवनों में फायर स्प्रिंकलर, स्मोक डिटेक्टर और अलार्म सिस्टम लगाना अनिवार्य किया जाए. मेडिकल स्टाफ और गार्ड्स को फायर ट्रेनिंग और मॉक ड्रिल में नियमित रूप से शामिल किया जाए. अस्पतालों के फायर एनओसी रिन्यू करते समय फायर इक्विपमेंट की पूरी जांच हो.

SMS Hospital ICU Fire Case
एसएमएस अस्पताल के आईसीयू में आग लगने की घटना (ETV Bharat Jaipur)

बहरहाल, जयपुर के एसएमएस अस्पताल में हुआ हादसा सिर्फ एक शहर की त्रासदी नहीं, बल्कि पूरे प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था के लिए चेतावनी की घंटी है. ये याद दिलाता है कि 'मेडिकल इमरजेंसी' सिर्फ मरीज की नहीं, अब अस्पतालों की भी हो गई है. क्योंकि जब अस्पताल आग की गिरफ्त में हों और मरीज बेबस, तो सबसे पहले सवाल उठता है कि क्या हमारी चिकित्सा व्यवस्था जीवन बचाने में सक्षम है या खुद मौत का ठिकाना बनती जा रही है?