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दो बड़े फैसले : जांच अधिकारी को नसीहत, कंपनी MD को सजा - COURT DECISIONS

पॉक्सो कोर्ट ने जांच अधिकारी को दी नसीहत. वहीं, सीमा शुल्क चोरी को लेकर कंपनी पर जुर्माना. एमडी को तीन साल की सजा.

Jaipur District Court
जयपुर जिला न्यायालय (ETV Bharat Jaipur)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : June 10, 2025 at 5:37 PM IST

4 Min Read

जयपुर: पॉक्सो मामलों की विशेष अदालत क्रम-2 महानगर प्रथम ने नाबालिग नेशनल प्लेयर को अभद्र इशारे करने से जुड़े मामले में जांच अधिकारी और ज्योति नगर थानाधिकारी को नसीहत दी है. वहीं, अदालत ने कुछ बिंदुओं पर जांच नहीं करने पर अनुसंधान अधिकारी को चेतावनी दी है.

पीठासीन अधिकारी तिरुपति कुमार गुप्ता ने कहा कि अनुसंधान अधिकारी की ओर से जांच में लापरवाही का मामला पहली बार अदालत के समक्ष आया है. ऐसे में चेतावनी दी जाती है कि यदि भविष्य में उनकी कार्यशैली में सुधार नहीं आया तो यह माना जाएगा कि वे जानबूझकर पीड़ित पक्ष को नुकसान पहुंचाने के लिए ऐसा कर रहे हैं.

अदालत ने कहा कि अनुसंधान अधिकारी को याद रखना चाहिए कि ऐसा करना भारतीय न्याय संहिता की धारा 198 व धारा 199 के तहत आता है. अदालत ने जांच अधिकारी को कहा कि वे दिए गए निर्देशों की पालना करेंगे, ताकि अदालत को यह मानना पड़े कि मामले में की गई लापरवाही सद्भाविक चूक है, न कि जानबूझकर की गई चूक. वहीं, अदालत ने प्रकरण के आरोपी बहादुर को 19 जून तक जेल भेज दिया है.

अदालत ने अपने आदेश में कहा कि पीड़ित और फरियादी दोनों की आरोपी को नहीं जानते थे तो उसे बापर्दा गिरफ्तार कर जेल में पहचान परेड कराई जाती. इसके अलावा जिस व्यक्ति ने पीड़िता के पिता को आरोपी का नाम बताया, उसके बयान दर्ज किए जाए.

पढ़ें : कांग्रेस नेता के पूर्व पीए को जासूसी केस में जेल भेजा, जानिए पूरा मामला - SPY SHAKUR KHAN

इसके अलावा घटना से जुडे सीसीटीवी फुटेज, डीवीआर जब्त करने सहित आरोपी के कंट्रोल फोटो लेने के लिए भी कार्रवाई नहीं की गई. यहां तक कि एफआईआर के अनुसार जिन पुलिसकर्मियों ने घटना देखी, उनके बयान भी दर्ज नहीं किए गए. अदालत ने कहा कि सुपरविजन अधिकारी सहायक पुलिस आयुक्त ने भी आरोपी को बापर्दा गिरफ्तार नहीं करने के तथ्य पर विचार नहीं किया. वहीं, उनके सुपरवाइजरी नोट में एक दुकान मालिक के बयान लेने के निर्देश पर ही जांच अधिकारी ने विचार नहीं किया.

गौरतलब है कि गत 3 जून को पीड़िता के पिता ने रिपोर्ट दर्ज कराई थी. रिपोर्ट में कहा गया कि उसकी बेटी एक दिन पहले खेलने के लिए अकादमी जा रही थी. रास्ते में एक दुकान पर मौजूद आरोपी ने उससे अभद्रता व्यवहार और इशारे किए. पूर्व में भी कई बार आरोपी ने उसकी बेटी को प्रताड़ित किया है, जिससे बेटी के मन में भय व्याप्त हो गया है. ऐसे में भविष्य में बडी घटना ना हो, इसका ध्यान रखा जाए. रिपोर्ट पर कार्रवाई करते हुए पुलिस ने युवक को गिरफ्तार किया था.

सीमा शुल्क चोरी को लेकर कंपनी पर जुर्माना, एमडी को तीन साल की सजा : आर्थिक अपराध मामलों की एसीजेएम अदालत, महानगर, द्वितीय ने करीब 62 लाख रुपए के सीमा शुल्क चोरी के मामले में मैसर्स स्तुति इलेक्ट्रॉनिक्स, भिवाड़ी पर एक लाख रुपए का जुर्माना लगाया है. इसके साथ ही अदालत ने कंपनी के एमडी अनिल सक्सेना को तीन साल की सजा सुनाई है। अदालत ने एमडी पर एक लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया है। पीठासीन अधिकारी राजेश कुमार मीना ने अपने आदेश में कहा कि अभियुक्त पर आर्थिक अपराध का आरोप है, जो कि सीधे तौर पर देश की अर्थव्यवस्था से जुड़ा हुआ है. ऐसे में अभियुक्त के प्रति नरमी का रुख नहीं अपनाया जा सकता.

अभियोजन पक्ष की ओर से विशेष लोक अभियोजक बनवारी लाल ने अदालत को बताया कि केंद्रीय उत्पाद एवं सीमा शुल्क आयुक्तालय आरोपियों के खिलाफ अभियोजन पत्र पेश किया था. अभियोजन पत्र में कहा गया कि विभाग की ओर से 17 और 18 मई, 1999 को अभियुक्त की भिवाड़ी स्थित फैक्ट्री का औचक निरीक्षण किया गया था, जिसमें स्टॉक कैपिटल, गुड्स और स्पेयर कम पाए गए. इस कमी के बारे में संचालक संतोषजनक जवाब भी नहीं दे पाए. इस प्रकार अभियुक्तों ने फैक्ट्री परिसर से बिना ड्यूटी चुकाए ही माल को बाहर भेजा.

अभियुक्त फर्म की ओर से पूर्व में कभी स्पेयर पार्ट्स व कैपिटल गुड्स की निकासी के लिए आवेदन किया गया और ना ही विभाग से इसकी अनुमति ली गई. ऐसे में अभियुक्तों ने 62 लाख रुपए से अधिक के सीमा शुल्क की चोरी की. ऐसे में अभियुक्त पर समान राशि का जुर्माना लगाया गया और एमडी अनिल सक्सेना पर 10 लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया गया. जिस पर सुनवाई करते हुए अदालत ने अभियुक्त को सजा और जुर्माने से दंडित किया है.

जयपुर: पॉक्सो मामलों की विशेष अदालत क्रम-2 महानगर प्रथम ने नाबालिग नेशनल प्लेयर को अभद्र इशारे करने से जुड़े मामले में जांच अधिकारी और ज्योति नगर थानाधिकारी को नसीहत दी है. वहीं, अदालत ने कुछ बिंदुओं पर जांच नहीं करने पर अनुसंधान अधिकारी को चेतावनी दी है.

पीठासीन अधिकारी तिरुपति कुमार गुप्ता ने कहा कि अनुसंधान अधिकारी की ओर से जांच में लापरवाही का मामला पहली बार अदालत के समक्ष आया है. ऐसे में चेतावनी दी जाती है कि यदि भविष्य में उनकी कार्यशैली में सुधार नहीं आया तो यह माना जाएगा कि वे जानबूझकर पीड़ित पक्ष को नुकसान पहुंचाने के लिए ऐसा कर रहे हैं.

अदालत ने कहा कि अनुसंधान अधिकारी को याद रखना चाहिए कि ऐसा करना भारतीय न्याय संहिता की धारा 198 व धारा 199 के तहत आता है. अदालत ने जांच अधिकारी को कहा कि वे दिए गए निर्देशों की पालना करेंगे, ताकि अदालत को यह मानना पड़े कि मामले में की गई लापरवाही सद्भाविक चूक है, न कि जानबूझकर की गई चूक. वहीं, अदालत ने प्रकरण के आरोपी बहादुर को 19 जून तक जेल भेज दिया है.

अदालत ने अपने आदेश में कहा कि पीड़ित और फरियादी दोनों की आरोपी को नहीं जानते थे तो उसे बापर्दा गिरफ्तार कर जेल में पहचान परेड कराई जाती. इसके अलावा जिस व्यक्ति ने पीड़िता के पिता को आरोपी का नाम बताया, उसके बयान दर्ज किए जाए.

पढ़ें : कांग्रेस नेता के पूर्व पीए को जासूसी केस में जेल भेजा, जानिए पूरा मामला - SPY SHAKUR KHAN

इसके अलावा घटना से जुडे सीसीटीवी फुटेज, डीवीआर जब्त करने सहित आरोपी के कंट्रोल फोटो लेने के लिए भी कार्रवाई नहीं की गई. यहां तक कि एफआईआर के अनुसार जिन पुलिसकर्मियों ने घटना देखी, उनके बयान भी दर्ज नहीं किए गए. अदालत ने कहा कि सुपरविजन अधिकारी सहायक पुलिस आयुक्त ने भी आरोपी को बापर्दा गिरफ्तार नहीं करने के तथ्य पर विचार नहीं किया. वहीं, उनके सुपरवाइजरी नोट में एक दुकान मालिक के बयान लेने के निर्देश पर ही जांच अधिकारी ने विचार नहीं किया.

गौरतलब है कि गत 3 जून को पीड़िता के पिता ने रिपोर्ट दर्ज कराई थी. रिपोर्ट में कहा गया कि उसकी बेटी एक दिन पहले खेलने के लिए अकादमी जा रही थी. रास्ते में एक दुकान पर मौजूद आरोपी ने उससे अभद्रता व्यवहार और इशारे किए. पूर्व में भी कई बार आरोपी ने उसकी बेटी को प्रताड़ित किया है, जिससे बेटी के मन में भय व्याप्त हो गया है. ऐसे में भविष्य में बडी घटना ना हो, इसका ध्यान रखा जाए. रिपोर्ट पर कार्रवाई करते हुए पुलिस ने युवक को गिरफ्तार किया था.

सीमा शुल्क चोरी को लेकर कंपनी पर जुर्माना, एमडी को तीन साल की सजा : आर्थिक अपराध मामलों की एसीजेएम अदालत, महानगर, द्वितीय ने करीब 62 लाख रुपए के सीमा शुल्क चोरी के मामले में मैसर्स स्तुति इलेक्ट्रॉनिक्स, भिवाड़ी पर एक लाख रुपए का जुर्माना लगाया है. इसके साथ ही अदालत ने कंपनी के एमडी अनिल सक्सेना को तीन साल की सजा सुनाई है। अदालत ने एमडी पर एक लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया है। पीठासीन अधिकारी राजेश कुमार मीना ने अपने आदेश में कहा कि अभियुक्त पर आर्थिक अपराध का आरोप है, जो कि सीधे तौर पर देश की अर्थव्यवस्था से जुड़ा हुआ है. ऐसे में अभियुक्त के प्रति नरमी का रुख नहीं अपनाया जा सकता.

अभियोजन पक्ष की ओर से विशेष लोक अभियोजक बनवारी लाल ने अदालत को बताया कि केंद्रीय उत्पाद एवं सीमा शुल्क आयुक्तालय आरोपियों के खिलाफ अभियोजन पत्र पेश किया था. अभियोजन पत्र में कहा गया कि विभाग की ओर से 17 और 18 मई, 1999 को अभियुक्त की भिवाड़ी स्थित फैक्ट्री का औचक निरीक्षण किया गया था, जिसमें स्टॉक कैपिटल, गुड्स और स्पेयर कम पाए गए. इस कमी के बारे में संचालक संतोषजनक जवाब भी नहीं दे पाए. इस प्रकार अभियुक्तों ने फैक्ट्री परिसर से बिना ड्यूटी चुकाए ही माल को बाहर भेजा.

अभियुक्त फर्म की ओर से पूर्व में कभी स्पेयर पार्ट्स व कैपिटल गुड्स की निकासी के लिए आवेदन किया गया और ना ही विभाग से इसकी अनुमति ली गई. ऐसे में अभियुक्तों ने 62 लाख रुपए से अधिक के सीमा शुल्क की चोरी की. ऐसे में अभियुक्त पर समान राशि का जुर्माना लगाया गया और एमडी अनिल सक्सेना पर 10 लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया गया. जिस पर सुनवाई करते हुए अदालत ने अभियुक्त को सजा और जुर्माने से दंडित किया है.

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