जबलपुर : बुरहानपुर में पदस्थ पुलिस इंस्पेक्टर अमिताभ प्रताप सिंह खुद को राजपूत बताते हैं लेकिन उनका जाति प्रमाण पत्र गोंड जनजाति का है. जांच होने पर पता चला कि कि दरअसल ये क्रिश्चियन हैं और उनका नाता ना तो राजपूत से है और ना ही गोंड जनजाति से. इस प्रकार अमिताभ प्रताप सिंह फर्जी जाति प्रमाण पत्र के दम पर 25 साल से नौकरी कर रहे हैं. जबलपुर जिला प्रशासन ने उनके फर्जी जाति प्रमाण पत्र की जांच की है और अब उनके खिलाफ पहले विभागीय और बाद में कानूनी कार्रवाई की जाएगी.
दो महिलाओं ने की थी जनजातीय विभाग में शिकायत
मामले के अनुसार साल 2019 में भोपाल की रहने वाली सोनाली दात्रे ने जनजातीय विभाग की तत्कालीन आयुक्त दीपाली रस्तोगी को शिकायत की थी. शिकायत में सोनाली ने बताया था कि पुलिस विभाग में अमिताभ प्रताप सिंह फर्जी जाति प्रमाण पत्र के आधार पर इंस्पेक्टर बन बैठे हैं. उनके जाति प्रमाण पत्र की जांच की जाए, लेकिन 2019 में उनकी जांच नहीं हो सकी. एक बार फिर 9 अक्टूबर 2024 को प्रमिला तिवारी नाम की महिला ने इसी शिकायत को दोहराया.
जबलपुर कलेक्टर ने करवाई जांच तो खुली पोल
दरअसल, अमिताभ प्रताप सिंह का पता जबलपुर जिले का था. इसलिए शिकायत जबलपुर कलेक्टर दीपक कुमार सक्सेना को प्राप्त हुई. दीपक सक्सेना ने फर्जी जाति प्रमाण पत्र की जांच एसडीएम आरएस मरावी को सौंपी. एसडीएम ने जांच में पाया "अमिताभ प्रताप सिंह ने गोंड जनजाति का प्रमाण पत्र बनवा रखा है. लोगों से बातचीत के दौरान भी वह खुद को राजपूत बताते हैं. लेकिन ना तो वह गोंड है और ना ही राजपूत, बल्कि उनका असली नाम अमिताभ थियोफिलिस है. इंस्पेक्टर अमिताभ प्रताप सिंह क्रिश्चियन हैं." जबलपुर की नेपियर टाउन के अंकुर अपार्टमेंट उनका मूल पता है.

स्कूल के प्रमाण पत्रों में भी फर्जीवाड़ा
जांच में पता चला कि अमिताभ प्रताप सिंह ने शिक्षा शुरू होने के दौरान ही अपनी जाति को गोंड बताया. इसके बाद उन्होंने फर्जी जाति प्रमाण पत्र बनवाया और आरक्षण का लाभ लिया. सन् 2000 में सब इंस्पेक्टर की सीधी भर्ती के जरिए वह मध्य प्रदेश पुलिस में सब इंस्पेक्टर हो गए. बीते 25 सालों से फर्जी जाति प्रमाण पत्र के आधार पर वह नौकरी कर रहे हैं. एसडीएम की जांच पूरी होने के बाद इंस्पेक्टर अमिताभ प्रताप सिंह के खिलाफ धारा 420 का मुकदमा चलाया जाएगा.
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एसडीएम ने जांच रिपोर्ट कलेक्टर को सौंपी
इस मामले में इंस्पेक्टर अमिताभ प्रताप सिंह की नौकरी तो जाएगी ही, साथ ही उन्हें इस मामले में सजा भी काटनी पड़ेगी. फिलहाल अमिताभ बुरहानपुर में पुलिस लाइन में पदस्थ हैं. जबलपुर एसडीएम आरएस मरावी का कहना है "जांच में कहीं से भी अमिताभ प्रताप सिंह गोंड जनजाति के साबित नहीं हुए. इसकी रिपोर्ट उन्होंने कलेक्टर को सौंप दी है."