जबलपुर: जिले में आयोजित संभागीय कृषि मेले में एक अद्भुत स्टार्टअप देखने को मिला. यहां मंडला निवासी एक आदिवासी युवक सस्ती और बेकार मछलियों से प्रोसेस्ड फूड बनाकर उसे बाजारों में बेचने का काम कर रहा है. ऐसा करके उसने सस्ती मछलियों को बहुमूल्य स्नैक्स में तब्दील कर दिया है. कृषि विभाग के अधिकारियों ने बेहतर काम के लिए युवक को पुरस्कृत किया है.
पीएचडी स्कॉलर ने शुरू किया मछली पालन
मंडला जिला निवासी आदित्य कुमार पन्द्रे ने जबलपुर स्थित एक विश्वविद्यालय से फिशरीज साइंस में पोस्ट ग्रेजुएशन किया है. वर्तमान में वे भोपाल स्थित एक विश्वविद्यालय से पीएचडी कर रहे हैं. इस दौरान उन्होंने मछली पालन को रोजगार का जरिया बनाया है. ऐसा कर वे अन्य युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत भी बन गए हैं.

आधुनिक तकनीक से कर रहे मछली पालन
आदित्य कुमार मंडला और उसके आसपास के क्षेत्रों में आदिवासी युवाओं को आधुनिक तकनीकों से मछली पालन करने का प्रशिक्षण दे रहे हैं. इस दौरान उन्होंने बायोफ्लॉक तकनीक का सहारा लिया है. जिससे घर के भीतर कम जगह में भी मछली पालन करना संभव है. आदित्य ने बताया कि मछली पालन के दौरान तालाब में कई देसी किस्म की मछलियां भी उत्पन्न हो जाती हैं. वहीं अधिक मछली उत्पादन के चलते सभी मछलियों की खपत बाजार में नहीं हो पाती है. ऐसी स्थिति में किसान बची हुई मछलियों से प्रोसेस्ड फूड तैयार कर रुपए कमा सकते हैं.
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पीएचडी स्कॉलर आदित्य कुमार पन्द्रे ने कहा, "मैंने पहले एक छोटे से स्टार्टअप की शुरुआत की. छोटे स्तर पर मछलियों को प्रोसेस कर ड्राई स्नैक्स तैयार कर लोगों को टेस्ट कराया. लोगों को इसका टेस्ट पसंद आया तो मैंने ड्राई स्नैक्स को पैकिंग कर बाजारों में बेचना शुरू कर दिया. धीरे-धीरे यह प्रोडक्ट लोगों की पसंद बनता जा रहा है. उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय बाजारों में जहां नॉन वेजिटेरियन आबादी है वहां ऐसे प्रोडक्ट्स की अधिक मांग हो सकती है."
जबलपुर के संभागीय कृषि मेले में आदित्य कुमार ने अपने उत्पादों का स्टॉल लगाया था. ड्राई स्नैक्स कृषि विभाग के अधिकारियों को पसंद आने पर उन्हें पुरस्कृत किया गया.