जबलपुर: बुधवार की देर रात खमरिया फैक्ट्री के तालाब में एक वयस्क मगरमच्छ का रेस्क्यू किया गया. करीब 50 किलो वजनी यह मगरमच्छ बीते कई दिनों से तालाब में अपना डेरा जमाए हुए था. इसको पकड़ने के लिए वन्य प्राणी विशेषज्ञों की मदद लेनी पड़ी. इस खतरनाक मगरमच्छ को खानदारी जलाशय में छोड़ा जाएगा. बता दें कि परियट नदी में भारी मात्रा में मगरमच्छों का निवास है. वहीं से निकलकर ये आसपास के तालाबों और गावों में पहुंच जाते हैं.
कई दिनों से तालाब में बनाया था ठिकाना
खमरिया फैक्ट्री के पास एक बड़ा तालाब है, जिसे खमरिया लेक नाम से जाना जाता है. इसके ठीक पीछे खमरिया फैक्ट्री के रेजिडेंशियल क्वार्टर हैं और वहीं पर एक गार्डन भी है. यहां सुबह-शाम लोग टहलने आते हैं. बीते दिन खमरिया फैक्ट्री के कर्मचारियों ने प्रबंधन को बताया था कि कुछ दिनों से एक बहुत बड़ा मगरमच्छ खमरिया लेक में विचरण कर रहा है. उनको डर था कि कहीं ये तालाब से बाहर निकलकर रेजिडेंशियल क्वार्टर में न आ जाए, वो गार्डन में भी पहुंच सकता था. फैक्ट्री प्रबंधन ने इसकी जानकारी वन्य प्राणी विशेषज्ञ धनंजय घोष को दी.
तालाब में पिंजरा लगाकर पकड़ा गया मगरमच्छ
धनंजय घोष ने बताया कि "फैक्ट्री प्रबंधन की तरफ से हमें तालाब में मगरमच्छ के विचरण की सूचना मिली थी. इसके बाद उसे पकड़ने के लिए पूरा प्लान बनाया गया, क्योंकि इतने बड़े मगरमच्छ को पकड़ना कोई आसान काम नहीं था. बुधवार की रात तालाब में एक पिंजरा लगाकर मगरमच्छ को पकड़ लिया गया. इसकी लंबाई लगभग 6 फीट है और इसका वजन करीब 50 किलो है. इसको एक सुरक्षित पिंजरे में रखा गया है. जल्द ही जबलपुर के खंदारी जलाशय में छोड़ दिया जाएगा."
धनंजय घोष का कहना है कि "मगरमच्छ अक्सर छुप कर शिकार करते हैं. ऐसी स्थिति में हो सकता था कि यहां घूमने वाले किसी आदमी को भी मगरमच्छ पड़कर मार सकता था. वो तालाब से बाहर निकलकर किसी बड़ी घटना को अंजाम दे सकता था." बता दें कि जबलपुर के एयरपोर्ट के पास बना हुआ खानदारी जलाशय काफी बड़ा है. इसमें पहले से ही मगरमच्छ रह रहे हैं, ऐसी स्थिति में यहां मगरमच्छों का प्राकृतिक निवास बन गया है.
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परियट नदी है मगरमच्छों का प्राकृतिक निवास
जबलपुर की परियट नदी में मगरमच्छों का प्राकृतिक निवास है. यह नदी खमरिया से होकर गुजरती है. बरसात के ठीक पहले मगरमच्छ अंडे देते हैं, इसके लिए वो नदी से बाहर आते हैं. वो नदी के तट पर अंडे देते हैं ताकि वो अंडों की पूरी सुरक्षा कर सकें. यदि कोई भी इन अंडों के आसपास आता है तो वो तुरंत हमला कर देते हैं.
जब अंडों से बच्चे निकलते हैं तो काफी चंचल होते हैं और आसपास दौड़ लगाते हैं. उनकी कोशिश होती है कि वो पानी तक पहुंच जाए. अगर गलती से वो दूसरा रास्ता पकड़ लेते हैं तो काफी दूर निकल जाते हैं और जहां उन्हें पानी मिलता है वहीं रुक जाते हैं. इसलिए नदी के आसपास के जलाशयों में मगरमच्छों के होने की संभावना बढ़ जाती है.