जबलपुर : बैंक कर्मचारी को सेवा से पृथक करने के मामले में जबलपुर हाईकोर्ट ने कर्मचारी को बड़ी राहत दी है. हाईकोर्ट जस्टिस विवेक अग्रवाल की एकलपीठ ने मामले की सुनवाई में कहा कि द्विपक्षीय समझौते के तहत नोटिस नियमों के तहत पंजीकृत डाक द्वारा भेजा जाना चाहिए था, पर सामान्य खंड अधिनियम 1897 की धारा 27 के अनुसार विधिवत तरीके से नोटिस नहीं भेजा गया.
अत: एकलपीठ ने औद्योगिक न्यायाधिकरण व श्रम न्यायालय के आदेश को निरस्त करते हुए याचिकाकर्ता के पक्ष में राहतकारी आदेश जारी किए हैं
क्या एसबीआई उमरिया का मामला?
दरअसल, एसबीआई उमरिया के वरिष्ठ क्लर्क को सेवा से पृथक कर दिया गया था. इस मामले में बैंक कर्मचारियों के संगठन आईएनटीयूसी की ओर से ये याचिका दायर की गई थी. याचिका में कहा गया था कि द्विपक्षीय समझौते के तहत कर्मचारियों को सेवा से पृथक किए जाने के संबंध में नियम निर्धारित हैं. नियमानुसार 90 दिनों तक बिना सूचना दिए अनुपस्थित रहने पर प्रबंधन नोटिस जारी करता है. नोटिस में कर्मचारी को नौकरी में लौटने के लिए 30 दिनों का समय प्रदान करते हुए स्पष्टीकरण मांगा जाता है.
नियम के तहत कर्मचारी को निर्धारित समय के अंदर अपने कर्तव्यों को फिर से शुरू करने या प्रबंधन की संतुष्टि के लिए अपनी स्थिति को स्पष्ट करने का अवसर दिया जाता है. याचिका में कहा गया कि एसबीआई उमरिया ब्रांच की ओर से विधिवत नोटिस नहीं दिया गया था.
पंजीकृत डाक से नहीं भेजा नोटिस
एकलपीठ ने पाया कि वरिष्ठ क्लर्क को नोटिस भेजा गया था. हालांकि, प्रबंधन यह साबित करने में विफल रहा कि नोटिस पंजीकृत डाक द्वारा नोटिस भेजा गया था. एकलपीठ ने अपने आदेश में केन्द्रीय सरकार औद्योगिक न्यायाधिकरण-सह-श्रम न्यायालय जबलपुर के आदेश को निरस्त को निरस्त कर दिया. एकलपीठ ने पंद्रह दिन के अंदर कर्मचारी चंद्रशेखर को कार्यभार सौंपने के आदेश दिए. एकलपीठ ने कहा है कि कर्मचारी सेवानिवृत्त होने की आयु से कम है तो उसे समस्त लाभ प्रदान करें और सेवानिवृत्ति की आयु पार कर चुका है तो उसे सेवा में मानते हुए उसके समस्त लाभ प्रदान किए जाएं.
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