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'यूनियन कार्बाइड के जहरीले कचरे की राख के डिस्पोजल के लिए वैकल्पिक स्थान तलाशे सरकार'

जबलपुर हाईकोर्ट ने सरकार से कहा- यूनियन कार्बाइड के कचरे के विनष्टीकरण से निकली राख के डिस्पोजल के लिए लें सर्वश्रेष्ठ विशेषज्ञों की सेवाएं.

MADHYA PRADESH HIGH COURT
यूनियन कार्बाइड के जहरीले कचरे के विनष्टीकरण का मामला (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : October 9, 2025 at 11:13 AM IST

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Updated : October 9, 2025 at 11:28 AM IST

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जबलपुर: जबलपुर हाईकोर्ट ने सरकार को यूनियन कार्बाइड के जहरीले कचरे के विनष्टीकरण से निकली राख के विनष्टीकरण के लिए सर्वश्रेष्ठ विशेषज्ञों की सेवाएं लेने को कहा है. जस्टिस अतुल श्रीधरन तथा जस्टिस प्रदीप मित्तल की डबल बेंच ने राख के विनष्टीकरण के लिए सरकार को अन्य स्थान तलाशने के लिए निर्देश दिये हैं. मामले में अगली सुनवाई 20 नवंबर को होगी.

यूनियन कार्बाइड के जहरीले कचरे का विनष्टीकरण पीथमपुर स्थित सुविधा केंद्र में कर दिया गया है

गौरतलब है कि साल 2004 में आलोक प्रताप सिंह ने यूनियन कार्बाइड के जहरीले कचरे के विनष्टीकरण की मांग करते हुए हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी. याचिकाकर्ता की मृत्यु के बाद हाईकोर्ट मामले की सुनवाई संज्ञान याचिका के रूप में कर रही थी. पूर्व में हुई सुनवाई के दौरान राज्य शासन की तरफ से पेश रिपोर्ट में बताया गया था कि यूनियन कार्बाइड के जहरीले कचरे का विनष्टीकरण सफलतापूर्वक पीथमपुर स्थित सुविधा केंद्र में कर दिया गया है.

याचिका में कहा गया था कि यूनियन कार्बाइड के जहरीले कचरे की राख में सक्रिय है रेडियो एक्टिव पदार्थ

जहरीले कचरे से 850 मीट्रिक टन राख व अवशेष एकत्रित हुआ है. इस दौरान हाईकोर्ट में दायर की गई एक अन्य याचिका में कहा गया था कि यूनियन कार्बाइड के जहरीले कचरे की राख में रेडियो एक्टिव पदार्थ सक्रिय हैं, जो चिंता का विषय है. राख में मरकरी है, जिसे नष्ट करने की तकनीक सिर्फ जपान व जर्मनी के पास है. हाईकोर्ट ने उस याचिका की सुनवाई मुख्य याचिका के साथ किये जाने के आदेश जारी किये थे.

याचिका पर पिछली सुनवाई के दौरान एमपीपीएससी की तरफ से राख की पहली टेस्टिंग की समीक्षा रिपोर्ट पेश करते हुए अन्य टेस्टिंग के लिए समय प्रदान करने का आग्रह किया गया था. याचिका पर बुधवार को हुई सुनवाई के दौरान राज्य सरकार ने एक एनिमेटेड वीडियो भी प्रस्तुत किया.

युगलपीठ ने याचिका पर सुनवाई के दौरान कहा कि पूर्व में दूषित राख को दफनाने के लिए कोई अन्य स्थान तलाशने के निर्देश दिए गए थे. लेकिन अब सरकार की तरफ से राख को आबादी से 250 मीटर से कम दूरी पर लैंडफिल करने प्रस्ताव रखा गया है. कोर्ट ने कहा, याचिकाकर्ता की तरफ से वैकल्पिक स्थानों का सुझाव दिया गया है, इस संबंध में सरकार जवाब पेश करे. इसके अलावा टास्क फोर्स समिति में स्वतंत्र विशेषज्ञों को शामिल करने के संबंध में जवाब दाखिल करे. राख के विनष्टीकरण के लिए सर्वश्रेष्ठ विशेषज्ञों की सेवाएं लें. याचिकाकर्ता की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता नमन नागरथ तथा अधिवक्ता खालिद नूर फखरुद्दीन ने पैरवी की.

Last Updated : October 9, 2025 at 11:28 AM IST