जबलपुर: समर्थन मूल्य पर मूंग की खरीदी की मांग अब किसान आंदोलन में तब्दील होने लगी है. जबलपुर में मंगलवार को किसानों ने इस मांग को लेकर आंदोलन किया. वहीं सोशल मीडिया पर किसान रील बनाकर कविताएं गाकर और ड्रामा बनाकर सरकार के सामने अपनी मांग रख रहे हैं. किसानों का कहना है कि बाजार में मूंग समर्थन मूल्य से आधे दाम पर बिक रही है. इतने कम दाम में किसान की लागत नहीं निकल पाएगी.
मूंग खरीदी को लेकर किसानों का आंदोलन शुरू
जबलपुर की पाटन मंडी में मंगलवार को किसानों ने भारतीय किसान संघ के बैनर तले एक बड़ा आंदोलन किया. इसमें सैकड़ों की तादाद में किसान ट्रैक्टर लेकर पहुंचे. किसानों के हाथ में तख्तियां थी. उन्होंने अपने ट्रैक्टरों पर बैनर लगाए हुए थे, जिसमें वे सरकार से मांग कर रहे हैं कि राज्य सरकार मूंग और उड़द की समर्थन मूल्य पर खरीदी शुरू करें. भारतीय किसान संघ पाटन के नेता मुकेश पचौरी ने बताया, "वह मूंग की खरीदी समर्थन मूल्य पर करने की मांग को लेकर शांतिपूर्वक आंदोलन कर रहे हैं. भारतीय किसान संघ सरकार से मांग कर रहा है कि सरकार जल्द से जल्द किसानों की मूंग खरीदी शुरू करें."
समर्थन मूल्य से आधे भाव में बिक रही मूंग
मध्य प्रदेश सरकार इस साल मूंग खरीदी नहीं कर रही है. इसकी वजह से किसान परेशान हैं और उन्हें बाजार में मूंग बेचनी पड़ रही है. जबलपुर कृषि उपज मंडी में मंगलवार को मूंग के दाम 4200 से लेकर 6500 प्रति क्विंटल तक रहे. जबकि केंद्र सरकार ने 2024-25 के लिए मूंग का समर्थन मूल्य 8682 रुपए घोषित किया है. इसीलिए किसानों को बाजार में मूंग बेचने में नुकसान हो रहा है. बाजार के जानकारों का कहना है कि धीरे-धीरे किसान जरूरत के हिसाब से मूंग बाजार में बेचते जा रहे हैं. सरकार ने यदि जल्द खरीदी शुरू नहीं की तो किसान नुकसान में आ जाएंगे. बाद में यही मूंग व्यापारी समर्थन मूल्य में बेचेंगे."

मुख्यमंत्री के सामने प्रदर्शन
मुख्यमंत्री मोहन यादव सोमवार को नरसिंहपुर के गाडरवारा में एक सभा करने के लिए आए थे. यहां पर भी किसानों ने उनके सामने मूंग खरीदी को लेकर आंदोलन किया था. किसान मुख्यमंत्री के सामने मूंग खरीदी के नारे लगाते हुए नजर आए.

मूंग खरीदी की मांग का रचनात्मक प्रदर्शन
किसानों का यह प्रदर्शन मंडी में राजनीतिक सभाओं में नेताओं के सामने तो चल ही रहा है. इसके अलावा यह सोशल मीडिया पर भी देखने को मिल रहा है. किसान मूंग खरीदी को लेकर कविताएं बना रहे हैं, रील बना रहे हैं. यहां तक की छोटे-छोटे ड्रामा बनाकर भी सोशल मीडिया पर पोस्ट कर रहे हैं. यह विरोध जताने का नया तरीका है. किसानों का कहना है यदि मूंग जहरीली है तो सरकार पहले गुटके पर प्रतिबंध लगाए. किसानों का एक तर्क यह भी है कि यदि मूंग में डाले जाने वाले रसायन में जहर है तो सरकार ने पहले प्रतिबंध क्यों नहीं लगाया. किसानों को इन्हें क्यों डालने दिया.

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'मूंग खरीदी ना करना किसाने से धोखा'
भारतीय किसान संघ के नेता मुकेश पचौरी ने कहा, "सरकार को मूंग खरीदी को लेकर किसानों के सामने अपनी नीति स्पष्ट करनी चाहिए. किसान की मूंग को जहरीला बात कर मध्य प्रदेश के उत्पादन पर प्रश्न चिन्ह लगाया जा रहा है. यदि सरकार को मूंग खरीदी नहीं करनी थी, तो यह पहले ही स्पष्ट कर देना चाहिए था. किसान मूंग की फसल का उत्पादन नहीं करता, लेकिन उत्पादन हो जाने के बाद किसान का माल नहीं खरीदना किसान से धोखा है."