जबलपुर: दमोह के मिशन हॉस्पिटल में फर्जी कार्डियोलॉजिस्ट का मामला सामने आने के बाद प्रदेश में स्वास्थ्य विभाग सतर्क हो गया है. जबलपुर स्वास्थ्य विभाग ने जिले के सभी निजी अस्पतालों में कार्यरत डॉक्टरों का रिकॉर्ड मांगा है. विभाग ने 21 अप्रैल तक का समय दिया है. इसके बाद स्वास्थ्य विभाग जिले के सभी प्राइवेट हॉस्पिटलों का दौरा करेगा और वहां कार्यरत डॉक्टरों की डिग्रियों की जांच करेगा. इस दौरान अगर कोई भी फर्जी पाया गया तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी.
स्वास्थ्य विभाग ने निजी अस्पतालों के लिए जारी किया आदेश
दरअसल, मिशन हॉस्पिटल के तथाकथित डॉक्टर नरेंद्र यादव का फर्जीवाड़ा सामने आने के बाद प्रदेश में हड़कंप मच गया है. पुलिस नरेंद्र यादव को 5 दिनों की रिमांड पर लेकर पूछताछ कर रही है. पूछताछ में सामने आया है कि नरेंद्र मिशन हॉस्पिटल के अलावा कई और निजी अस्पतालों में कार्य कर चुका है. इसमें जबलपुर भी शामिल है, जहां वह बतौर डॉक्टर वह अपनी सेवाएं दे चुका है. ये जानकारी सामने आते ही जबलपुर स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मच गई. विभाग तुरंत सक्रिय हुआ और उसने सभी प्राइवेट हॉस्पिटलों को रिकॉर्ड देने का आदेश दे दिया.
डिग्री बताने के लिए 21 अप्रैल तक का दिया है समय
जबलपुर स्वास्थ्य विभाग के संयुक्त संचालक डॉक्टर संजय मिश्रा ने बताया कि "जबलपुर के सभी निजी अस्पतालों को स्वास्थ्य विभाग की ओर से एक पत्र लिखा गया है, जिसमें सभी निजी अस्पतालों को 100 रुपए के स्टांप पेपर पर 21 अप्रैल तक यह जानकारी देनी है कि उनके यहां जो डॉक्टर काम कर रहे हैं उनके पास कौन सी डिग्री है, उन्होंने डिग्री कहां से ली है और उनका मेडिकल काउंसिल में रजिस्ट्रेशन है या नहीं. 21 तारीख के बाद स्वास्थ्य विभाग अलग-अलग अस्पतालों में छापा मारेगा और निजी अस्पतालों ने जो जानकारी दी होगी यदि उसके आधार पर डॉक्टर नहीं पाए जाते हैं, तो अस्पतालों के खिलाफ कार्यवाही की जाएगी."
एमसीआई के हेल्पलाइन नंबर पर की जा सकती है शिकायत
मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआई) ने भी फर्जी डॉक्टरों के खिलाफ मुहिम चलाई है. काउंसिल ने टोल फ्री हेल्पलाइन नंबर 1800111154 शुरुआत की है. इस नंबर पर सुबह साढ़े 9 से शाम 6 बजे तक डॉक्टरों की शिकायत की जा सकती है. सुप्रीम कोर्ट में कई फर्जी डॉक्टरों के खिलाफ सजा भी हो चुकी है.
ज्यादातर फर्जी डॉक्टरों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 304 ए के तहत मुकदमा दर्ज किया गया. उन पर गैर इरादतन हत्या के मामले के आधार पर सजा हुई. इसके अलावा फर्जी दस्तावेज बनाने के जुर्म में धारा 420 के तहत मामला दर्ज किया गया. लेकिन इन सभी मामलों में फरियादी कोर्ट तक पहुंचा.
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शहर में कई फर्जी डिग्रीधारी डॉक्टर सक्रिय
ईटीवी भारत की टीम शहर के निजी हॉस्पिटलों की हकीकत जानने के लिए मेडिकल कॉलेज की ठीक पीछे वाली गली में पहुंची. वहां दर्जनों ऐसे क्लीनिक हैं जिन पर जनरल प्रैक्टिशनर लिखा हुआ है, लेकिन डिग्री के नाम पर कुछ के पास बीएचएमएच की डिग्री है तो कुछ ने किसी डिग्री का जिक्र ही नहीं किया है.
वहीं, कुछ डॉक्टर ऐसे हैं जिन्होंने किसी दूसरे के नाम पर क्लिनिक खोल रखा है. हैरानी की बात तो ये है कि दमोह की इतनी चर्चित घटना के बाद भी ये हॉस्पिटल बेखौफ चल रहे हैं. स्थानीय लोगों ने बताया कि कई डॉक्टर तो ऐसे हैं जिनकी डिग्री फर्जी है, लेकिन फिर भी वो उसी फर्जी डिग्री के दम पर अपने नाम के आगे एमबीबीएस और एमडी लिखा हुआ है.