जबलपुर: एक बार फिर जबलपुर में दो ग्रीन कॉरिडोर बनाए गए. जबलपुर के सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में भर्ती मरीज पूरन चौधरी के ब्रेन डेड होने के बाद उनकी दोनों किडनियों को दो मरीजों को लगाया जा रहा है. एक किडनी इंदौर भेजी गई और एक किडनी जबलपुर के ही एक निजी अस्पताल में ट्रांसफर की गई. पूरन चौधरी एक राजमिस्त्री थे और काम के दौरान ही दीवार गिरने के बाद उनकी मृत्यु हो गई थी. जीते जी पूरन लोगों के लिए मकान बनाते रहे और मरने के बाद भी दो लोगों को जीवन दे कर चले गए.
दीवार के ऊपर से गिरे पूरन, ब्रेन डेड घोषित
जबलपुर के भेड़ाघाट के शिल्पी नगर में रहने वाले पुरन चौधरी गुरुवार को एक दीवार के ऊपर से गिर गए थे. पूरन चौधरी एक राजमिस्त्री थे, उनकी उम्र 56 साल थी. काफी ऊंचाई से गिरने की वजह से पूरन के सिर में गंभीर चोट आई और डॉक्टरों ने उन्हें ब्रेन डेड घोषित कर दिया. उनके परिजन की सहमति के बाद उनकी किडनियों को दो लोगों को लगाया जाएगा.
शरीर के अंग कर रहे थे काम
पूरन चौधरी के भतीजे माधव राज ने बताया कि, ''डॉक्टर का कहना था कि पूरन ब्रेन डेड हो गए हैं, लेकिन उनके शरीर के कई हिस्से अभी भी काम कर रहे हैं. डॉक्टर ने पूरन चौधरी के परिवार के लोगों से कहा कि, ''पूरन चौधरी पूरी तरह ठीक नहीं हो पाएंगे. यदि परिवार चाहे तो उनके शरीर के हिस्सों को दान कर सकते हैं. माधव राज और परिवार के दूसरे लोगों ने सलाह मश्वरा करके पूरन के अंगों का दान करने का फैसला लिया.''

जबलपुर और इंदौर के मरीजों को किडनी दान
डॉक्टर ने पाया कि पूरन चौधरी की दोनों किडनी काम कर रही हैं और उनकी त्वचा भी दान की जा सकती है. क्रॉस मैच के बाद जबलपुर के मेट्रो अस्पताल के एक मरीज और इंदौर के मुंबई अस्पताल के एक मरीज से पूरन चौधरी की किडनी मैच कर रही थी. परिवार के लोगों ने जब सहमति दे दी तो प्रशासन ने जबलपुर में एक बार फिर ग्रीन कॉरिडोर बनाने की तैयारी की.
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जबलपुर में बना ग्रीन कॉरिडोर
मध्य प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग के संयुक्त संचालक डॉक्टर संजय मिश्रा ने बताया कि, ''जबलपुर में बीते दो महीने में दूसरी बार ग्रीन कॉरिडोर बनाया गया है. पूरन चौधरी की एक किडनी इंदौर और एक जबलपुर के मेट्रो अस्पताल के लिए पहुंचाई गई. त्वचा भी जबलपुर के मेट्रो अस्पताल ट्रांसफर की गई. पूरन चौधरी का इलाज जबलपुर के सुभाष चंद्र बोस मेडिकल कॉलेज के सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में चल रहा था. यही के डॉक्टरों ने पूरन चौधरी के अंगों को निकाला.''
अंगदान करना एक अच्छी परंपरा
पूरन चौधरी के भतीजे माधव राज का कहना है कि, ''उनके चाचा मृत्यु के बाद भी दूसरे लोगों के काम आएं यह उनके लिए बड़े गर्व की बात है. प्रशासन ने भी पूरन चौधरी के अंतिम संस्कार को राजकीय सम्मान के साथ करने का निर्णय लिया है. अंगदान करना एक अच्छी परंपरा है. इससे दूसरों की जान बचाई जा सकती है.''