जबलपुर: आज भी जब लड़कियां बाइक या कार ड्राइव करते हुए सड़कों से निकलती हैं, तो ज्यादातर लोग अपने ही मन में उनकी ड्राइविंग पर सवाल खड़े करने लगते हैं. अभी भी ड्राइविंग के मामले में लड़कियों पर इतना विश्वास नहीं जताया जाता. वहीं जब कोई लड़की बुलेट जैसी वजनदार बाइक चलाकर जबलपुर जैसे मझोले शहरों में निकलती है, तो समाज की निगाह उनकी तरफ विशेष तरीके से मुड़ती हैं, क्योंकि लड़की और महिलाओं के बारे में ऐसी धारणा है कि वे नाजुक होती हैं, छोटी गाड़ियां चलती हैं. अक्सर गाड़ियां चलाते हुए एक्सीडेंट करती हैं.
फीमेल ड्राइवर के इसी टेबू को खत्म करने के लिए जबलपुर की दो लड़कियों ने एक अनोखा अभियान शुरू किया है. वह लड़कियों को मस्कुलर बाइक्स चलाना सीख रही हैं.
दो लड़कियों की अनोखी मुहिम
श्वेता दुबे और नूपुर पटेल यह दोनों दोस्त हैं. श्वेता योगा टीचर हैं और नूपुर एक बिजनेस वूमेन है. इन दोनों ने तय किया की लड़कियों और महिलाओं पर ड्राइविंग को लेकर जो टेबू बना हुआ है. उसे खत्म करना है और जिस तरह लड़के बेखौफ होकर ड्राइविंग करते हैं. उसी तरह लड़कियां भी ड्राइविंग कर सकेंगी. इसलिए इन दोनों ने सोशल मीडिया के जरिए एक मैसेज वायरल किया कि हम लड़कियों को इनफील्ड बुलेट चलाना सिखाएंगे. मैसेज जैसे ही वायरल हुआ कुछ ऐसी लड़कियां जिन्हें जीवन में कभी बुलेट चलाने के बारे में सोचा तक नहीं था, वह इकट्ठी हो गईं और यह सिलसिला शुरू हो गया.
ड्राइविंग में कॉन्फिडेंस बढ़ाती है हैवी गाड़ी
श्वेता दुबे का कहना है कि "उनके पास बुलेट है और वह बुलेट से ही चलती हैं. बुलेट चलाने में उन्हें जरा भी झिझक नहीं होती. वे लड़कों से बेहतर गाड़ी चला लेती हैं लेकिन उन्होंने देखा की लड़कियां अक्सर ड्राइविंग में गलती करती हैं. उसकी एक बड़ी वजह लड़कियों में कॉन्फिडेंस की कमी है. अक्सर लड़कियां डरकर गाड़ी चलती हैं. आत्मविश्वास की कमी की वजह से वह एक्सीडेंट का शिकार हो जाती हैं. इसके बाद समाज उनका मजाक बनता है. लड़कियों को गाड़ी चलाना नहीं आता.
श्वेता का कहना है कि हम इसीलिए लड़कियों को सबसे वजनदार और हैवी गाड़ी चलाना सीख रहे हैं, ताकि लड़कियों में आत्मविश्वास आए और वह भी पूरे भरोसे के साथ छोटी और बड़ी गाड़ी चला सकें. तब एक्सीडेंट की संभावना कम होगी और यह टेबू भी खत्म होगा."

बाइक चलाना सीखना जरूरी है
नूपुर पटेल का कहना है कि "लड़कियां अक्सर स्कूटी जैसी गाड़ियां चलाती हैं. इसमें कोई बुराई नहीं है, लेकिन बिना गियर की गाड़ी चलाने वाली लड़की जब कार चलती है, तो उसे परेशानी होती है. गियर वाली मोटरसाइकिल और गियर वाली कार की ड्राइविंग लगभग एक सी होती है. दोनों में ही आपको गियर की समझ होना जरुरी है. इसलिए मैं लड़कियों को बुलेट चलाना सिखा रही हूं.
वहीं दूसरी तरफ नूपुर का कहना है कि शहरी और ग्रामीण इलाकों में ज्यादातर लोगों के पास बाइक है. लड़कियों को बाइक चलाना नहीं आता. ऐसी स्थिति में वह हमेशा पीछे बैठने को मजबूर होते हैं. यदि बाइक भी वे पूरे आतमविश्वास के साथ चलना सीख लें, तो उन्हें पीछे बैठने की जरूरत नहीं है. अलग से फीमेल बाइक खरीदने की भी जरूरत नहीं है. इसलिए वह लड़कियों को बाइक चलाने के लिए मोटिवेट कर रही है."

सैकड़ों लड़कियां सीखना चाहती हैं बुलेट चलाना
श्वेता दुबे ने बताया कि "उनकी यह पहल को लड़कियों का गजब समर्थन मिल रहा है. अब तक उनके पास 400 से ज्यादा लड़कियों ने बुलेट चलाना सीखने की इच्छा जताई है. जैसे-जैसे लड़कियों को पता चल रहा है कि उन्हें फोन लगा रही हैं या सोशल मीडिया के जरिए उन तक अपनी बात पहुंच रही है. इनमें कई ऐसी लड़कियां हैं, जिन्होंने पहली बार गाड़ी चलाई है.
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नूपुर और श्वेता की इस पहल को अब कुछ कंपनियों ने स्पॉन्सर भी कर दिया है. वे अपनी तरफ से गाड़ियां दे रही हैं, ताकि ज्यादा से ज्यादा लड़कियां बाइक चलाना सीख सकें. वहीं कुछ दूसरी महिला उद्यमी भी उन्हें सहयोग कर रही हैं. यह बदलते भारत की लड़कियां हैं. यह लड़कों की बराबरी करना नहीं चाहती. उनसे आगे निकलना चाहती हैं. बुलेट जैसी भारी बाइक को चलाकर लड़कियां यह साबित करना चाहती हैं, कि वे अब कमजोर नहीं है. उन्हें नाजुक समझने की गलती ना की जाए.