बगोदर,गिरिडीहः स्थल का चयन के बाद ही किसी योजना को धरातल पर उतारा जाता है. इसमें पूरी सावधानी बरतने का निर्देश भी मिलता है.
लेकिन गिरिडीह के बगोदर में स्थल चयन होने के बावजूद दूसरे स्थान पर तालाब का निर्माण करवा दिया गया. सरकारी तालाब का निर्माण रैयत की जमीन पर करवा दिया गया. इसका विरोध रैयत करता रहा लेकिन हुक्मरानों ने एक नहीं सुनी. आखिरकार जब अधिकारी नहीं सुनने लगे तो रैयत न्यायालय पहुंचा जिसके बाद इंसाफ मिला. मामला बगोदर प्रखंड के खेतको से जुड़ा हुआ है.
दरअसल, मौजा खेतको, थाना नंबर 257, थाना-बगोदर में पेंडरा बांध तालाब का निर्माण भूमि संरक्षण विभाग गिरिडीह द्वारा कराया गया. योजना संख्या 18 / 2017-18 के तहत यह काम हुआ. योजना के लिए अंचल से चेकस्लिप लिया गया लेकिन कार्य कार्तिक महतो की जमीन पर पूर्ण कर दिया गया.
ऐसे में कार्तिक ने विरोध किया और इसकी शिकायत सम्बन्धित विभाग से लेकर कई अधिकारियों से की पर सुनवाई नहीं हुई. गलत तरीके से उनकी 1.23 एकड़ भूमि पर तालाब बना दिए जाने से कार्तिक परेशान हो गया. कार्तिक ने अंचल से मापी भी करवायी जिसमें यह पुष्टि हुआ कि तालाब उनकी खतियानी जमीन पर बना दिया गया है. सारा तथ्य तालाब का निर्माण करवाने वाले विभाग के अधिकारियों के पास रखा फिर भी कुछ सूना नहीं गया.
ऐसे में कार्तिक ने हाईकोर्ट में रिट याचिका दायर की. याचिका पर सुनवाई हुई और 18 सितंबर 2024 को न्यायालय ने आदेश जारी कर दिया. इस मामले में दोषी पाए जाने वाले अधिकारियों और लाभुक समिति के द्वारा अब निजी खर्च से पुराने तालाब की भराई और नए तालाब की खुदाई शुरू कर दी गई है.
न्यायालय के आदेश के बाद शुरू हुई कार्रवाई
न्यायालय से आदेश मिलने के बाद जिलाधिकारी के कार्यालय में वादी (कार्तिक महतो) ने अपना पूरा पक्ष रखा. साथ ही साथ 30 हजार सालान मुआवजा की मांग भी की. इस मामले को लेकर जिलाधिकारी ने बगोदर के अंचलाधिकारी से प्रतिवेदन मांगा. सीओ की रिपोर्ट में भी यह साफ हो गया कि तालाब का चेकस्लिप दूसरी जमीन का लेकर निर्माण कार्तिक महतो की खतियानी जमीन पर करवा दिया गया.
अंचल-भूमि संरक्षण विभाग की भूमिका पर सवाल
पूरे मामले की जानकारी लेने और तथ्य को समझने के बाद जिला के तत्कालीन जिलाधिकारी ने अपने आदेश में अंचल से लेकर भूमि संरक्षण विभाग की भूमिका पर सवाल खड़ा किया है. उपायुक्त सह जिला दंडाधिकारी के कार्यालय से जारी आदेश में कहा गया है कि 'यह कि वादी द्वारा गलत स्थल पर तालाब निर्माण की आपत्ति किए जाने के बावजूद अंचल कार्यालय, बगोदर एवं भूमि संरक्षण कार्यालय, गिरिडीह द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गयी जो अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है एवं इस प्रकार के कृत्यों से अनावश्यक वादों की अधिकता होने से इंकार नहीं किया जा सकता है, यह कि किसी भी पक्ष द्वारा इस बात से इंकार नहीं किया कि वादगत तालाब का निर्माण चेकस्लिप के अनुसार चिन्हित गैरमजरूआ भूमि पर नहीं कराकर वादी के निजी खतियानी भूमि पर कराया गया है'.
अधिकारी-लाभुक समिति पॉकेट से करवा रही है तालाब निर्माण
जिलाधिकारी के कार्यालय से आदेश जारी किया गया. जिसमें तत्कालीन डीसी ने कहा है कि पेंडरा बांध तालाब निर्माण योजना के गलत भूमि पर क्रियावन्यन में संलिप्त तत्कालीन भूमि संरक्षण पदाधिकारी दिनेश कुमारी मांझी, कनीय अभियंता सुनिल कुमार, सहायक अभियंता राम बल्लभ मिश्रा एवं उक्त योजना के लाभुक समिति के अध्यक्ष जुगल महतो एवं सचिव मुरली महतो पर जवाबदेही पाया.
उन्हें ये आदेश दिया जाता है कि वादी के भूमि पर निर्मित वादगत तालाब को अपने खर्च से भरकर चेकस्लिप में चिन्हित स्थल पर योजना के प्राक्कलन के अनुसार तालाब का निर्माण अपने निजी खर्च से बराबर अनुपात में कराया जाए. वहीं वादी कार्तिक महतो को हुए नुकसान का आकलन करने का भी निर्देश दिया डीसी ने दिया है.
अधिकारी के साथ लाभुक समिति के अध्यक्ष-सचिव हुए दंडित
चेकस्लिप की जमीन की जगह रैयत की भूमि पर तालाब का निर्माण करवा दिया गया था. इस मामले में जिलाधिकारी कार्यालय से मिले आदेश के बाद से खोदे गए तालाब की भराई और चेकस्लिप वाले स्थान पर तालाब की खुदाई की जा रही है. वहीं कार्तिक महतो को हुए नुकसान का आकलन किया जा रहा है. -मुरारी नायक, सीओ, बगोदर.
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