अजमेर : श्री पुष्कर मेला 2024 में कार्तिक स्नान के लिए पुष्कर के पवित्र सरोवर पर श्रद्धालुओं का तांता लगा हुआ है. सरोवर के सभी 52 घाटों पर स्नान और पूजा-अर्चना के धार्मिक कार्य हो रहे हैं. इन सबके बीच गुरुवार को देश के कोने-कोने से आए संत महात्माओं ने भी पवित्र सरोवर पहुंच कर महास्नान किया और सरोवर की पूजा अर्चना के बाद पुष्कर सरोवर को स्वच्छ रखने समेत कई संदेश दिए.
बता दें कि गुरुवार और शुक्रवार को पूर्णिमा पर लाखों श्रद्धालु पुष्कर में आस्था की डुबकी लगाएंगे. यह दो दिन पुष्कर के सरोवर में स्नान के लिए विशेष महत्व रखते हैं. खासकर कार्तिक शुक्ल की पूर्णिमा का विशेष धार्मिक महत्व होने के कारण इस अवसर को कोई नहीं छोड़ना चाहता है. वहीं, देशभर से आए साधु संतों ने भी पुष्कर के पवित्र ब्रह्म सरोवर में अपनी आस्था प्रकट करते हुए परंपरागत महास्नान में शामिल हुए. महास्नान के लिए अपने अनुयायियों के साथ जयकारे लगाते हुए विभिन्न राज्यों से आए विभिन्न अखाड़ों और आश्रम से जुड़े संतों ने एक साथ सरोवर में महास्नान कर देश में खुशहाली, समृद्धि और शांति की कामना की. साथ ही पुष्कर सरोवर को स्वच्छ रखने समेत कई सामाजिक बुराइयों का त्याग करने का संदेश दिया.
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पहला तीर्थ माता-पिता के चरणो में : पुष्कर के संत महंत स्वामी प्रेमदास महाराज ने कहा कि ब्रह्म चौदस के तीन संतों के महास्नान की परंपरा वर्षों से चली आ रही है. जो लोग नशा करते हैं वह ब्रह्म सरोवर में स्नान कर नशे की लत को छोड़ दें. माता-पिता और नारी का सम्मान करना चाहिए. माता-पिता की सेवा में ही सभी तीर्थ हैं. उन्होंने अपने संदेश में यह भी कहा कि इस सृष्टि को बचाने के लिए जरूरी हैं कि पर्यावरण को संरक्षित करना और इसके लिए पेड़ लगाए. वहीं, गौ माता की रक्षा करें और उनका आदर सम्मान दें. युवाओं को संदेश देते हुए उन्होंने कहा कि माता पिता हमारे भगवान हैं. उनकी सेवा करोगे तो सभी तीर्थों का फल मिलेगा. देश के लिए प्रार्थना की गई कि देश में खुशहाली, समृद्धि और भाईचारा हो. सनातन धर्म आगे बढ़ता रहे. संत प्रेमदास महाराज ने कहा कि पुष्कर सरोवर में पंच तीर्थ स्थान एकादशी से पूर्णिया तक होते हैं. इस दौरान सभी देवी देवताओं का वास पुष्कर राज में होता है और सरोवर में किसी भी रूप में आकर स्नान करते हैं.
सरोवर को स्वच्छ रखना भी हम सब का दायित्व : संत अचलानंद महाराज ने कहा कि महास्नान में देश भर से आए साधु संत शामिल हुए हैं. यहां भगवान का नाम खासकर गायत्री मंत्र को जपना शुभफल दायक है. उन्होंने कहा कि मनुष्य जीवन बड़े ही पुण्य से मिलता है, यह बारबार नहीं मिलेगा, इसलिए ईश्वर का नाम जप कर लोक और परलोक को सुधारना चाहिए. उन्होंने सभी से ब्रह्म सरोवर को स्वच्छ रखने का भी संदेश दिया है.
स्नान, पूजा-अर्चना और दान पुण्य करना है शुभ : पुष्कर के प्रसिद्ध ज्योतिष पंडित कैलाश नाथ दाधीच ने बताया कि एकादशी से पूर्णिया तक पुष्कर के पवित्र ब्रह्म सरोवर में स्नान करने का उल्लेख पद्म पुराण, विष्णु पुराण, अग्नि पुराण समेत कई धार्मिक ग्रंथों में लिखा है. उन्होंने कहा कि आज के दिन त्रयोदशी और ब्रह्म चतुर्दशी दोनों ही हैं. आज ही के दिन भगवान ब्रह्मा को जगत पिता ब्रह्मा की उपाधि अलंकृत की गई थी. वहीं, आज के दिन ही जगत पिता ब्रह्मा ने अपने कमंडल का जल सरोवर में छोड़ा था, इसलिए इस सरोवर को ब्रह्म सरोवर भी कहा जाता है. ब्रह्म चतुर्दशी के दिन ब्रह्म गायत्री और ब्रह्म सावित्री का सभी देवी देवताओं ने अभिषेक किया था. ब्रह्म चतुर्दशी पर सरोवर में स्नान, पूजा अर्चना और दान का करोड़ों गुना फल मिलता है.
पंडित दाधीच ने बताया कि एकादशी से पूर्णिमा तक जगत पिता ब्रह्मा ने पुष्कर में सभी देवी देवताओं की उपस्थिति में सृष्टि यज्ञ किया था. पूर्णिमा के दिन यज्ञ की पूर्णाहुति थी. पूर्णिमा के दिन स्नान करने से कार्तिक माह के स्नान का फल मिलने के साथ ही कोटि फल की प्राप्ति होती है, यानी जो कार्तिक माह के स्नान नहीं कर पाता वह पूर्णिमा पर यहां स्नान कर पूरे कार्तिक माह के स्नान पुण्य अर्जित कर लेता है.