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कभी की भिक्षावृत्ति, आज दुनियाभर में बज रहा राजकी के हुनर का डंका - INTERNATIONAL DANCE DAY

इंटरनेशनल डांस डे पर ईटीवी भारत पेश कर रहा है कालबेलिया डांसर राजकी सपेरा के संघर्ष की दास्तां...

कालबेलिया डांसर राजकी सपेरा
कालबेलिया डांसर राजकी सपेरा (ETV Bharat Jaipur)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : April 29, 2025 at 5:29 PM IST

7 Min Read

जयपुर : नृत्य के लिए समर्पित दिन इंटरनेशनल डांस डे हर साल 29 अप्रैल को मनाया जाता है. इस मौके पर कालबेलिया नृत्यांगना राजकी सपेरा से ईटीवी भारत ने खास बातचीत की. उनके इस हुनर के कायल लोग आज देश-दुनिया के हर कोने में मौजूद हैं.

बचपन में भिक्षावृत्ति और आज नामचीन : राजकी सपेरा ने बताया कि पिता की तंगहाल माली हालत के कारण चंग बजाने वाली बड़ी बहन के साथ उन्होंने बचपन में भिक्षावृत्ति भी की. छह बहनों और एक भाई वाले इस परिवार के मुश्किल हालात के बीच उन्हें गुरु महादेव नाथ का साथ मिला. उन्होंने पारंपरिक कालबेलिया नृत्य कला को सीखना शुरू किया. हालांकि, मारवाड़ में नाचगान को दोयम दर्जे का समझा जाने के कारण उन्हें शुरुआत से ही परिवार के सामने संघर्ष करना पड़ा, लेकिन पहले पिता और बाद में पति के साथ के कारण उन्होंने कालबेलिया डांसर के रूप में खुद को स्थापित किया. मशहूर नृत्यांगना राजकी सपेरा और मेवा सपेरा के साथ उन्होंने अपनी कला का सफर शुरू किया. वे बताती हैं कि उन्हें ठीक से तो याद नहीं, लेकिन करीब 6 बरस की उम्र में वे जयपुर आ गई थीं, जहां से उनके सीखने की शुरुआत हुई.

कालबेलिया डांसर राजकी सपेरा से बातचीत (पार्ट 1) (ETV Bharat Jaipur)

पढे़ं. खोले के हनुमान मंदिर में हनुमान जन्मोत्सव, पदमश्री गुलाबो सपेरा की प्रस्तुतियों ने दर्शकों का मोहा मन

पर्यटन विभाग ने दिया पहला मौका : उन्होंने बताया कि गुरु के कहने पर ही परिवार वाले उन्हें कालबेलिया नृत्य सीखाने के लिए तैयार हुए थे. इस दौरान तकरीबन 8 साल की उम्र में उन्होंने अपना पहला पब्लिक परफॉर्मेंस पर्यटन विभाग के एक कार्यक्रम के दौरान दिया. इस कार्यक्रम में बड़ी और नामचीन हस्तियों को देखने के बाद राजकी ने खुद के हुनर को आगे बढ़ाने का फैसला लिया और अपनी मेहनत को तेज कर दिया. यह पहला मौका था, जब उन्हें लगा कि मांगकर खाने से बेहतर है कि गुरु के साथ रहकर वह आगे बढ़ें. यही कारण है कि राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उन्हें कई बार सम्मानित किया जा चुका है.

कालबेलिया डांसर राजकी सपेरा से बातचीत (पार्ट 2) (ETV Bharat Jaipur)

पढ़ें. अंतरराष्ट्रीय पुष्कर मेला : पदमश्री गुलाबो की शानदार प्रस्तुति ने मोहा मन, देसी-विदेशी पर्यटक हुए रोमांचित

विदेशों में भी दर्जनों कार्यक्रम : उन्होंने बताया कि पहली बार 12 साल की उम्र में उन्होंने अमेरिका के वॉशिंग्टन शहर में अपना कार्यक्रम पेश किया था. इस कार्यक्रम के दौरान पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी भी मौजूद थे. इस कार्यक्रम के लिए जयपुर, जोधपुर और पुष्कर में ट्रायल किए गए थे, जिसके बाद राजकी सपेरा समेत पूरे समूह का चुनाव किया गया. उन्होंने तीन महीने तक कार्यक्रम पेश किए. इस टूर के बाद राजकी ने पीछे मुड़कर नहीं देखा और साल दर साल देश के साथ ही विदेशी सरजमी पर भी अपनी कला का लोहा साबित किया. उन्होंने अमेरिका, फ्रांस, ऑस्ट्रिया, कनाडा, स्पेन, साउथ अफ्रीका, तंजानिया, केन्या, मॉरिशस, कोरिया, ब्रिटेन, दुबई, इटली, जापान और मैक्सिको जैसे देशों में भी कई बार कार्यक्रम पेश किए हैं.

राजकी को मिले सम्मान
राजकी को मिले सम्मान (ETV Bharat GFX)

पढ़ें. Exclusive Interview: लोक नृत्यांगना गुलाबो ने मां और मौसी को किया याद, कहा- अगर दफन हो गई होती तो आज ये शोहरत न होती

पहली बार चीलगाड़ी का सफर : उन्होंने बताया कि उन्हें बचपन में हवाई जहाज का नाम नहीं आता था, इसलिए लोक भाषा में वे इसे चीलगाड़ी कहा करते थे. अपनी पहली विदेश यात्रा को लेकर उन्होंने बताया कि जब उन्हें पता चला कि वे उड़कर चीलगाड़ी से अमेरिका जाएंगी तो उन्होंने आसमान की तरफ छोटे से हवाई जहाज को जहन में रखा और सोचा कि शायद उन्हें इस गाड़ी से बांधकर विदेश भेजा जाएगा. इसके बाद नजदीक से बड़े सारे विमान को देखना और अंदर बैठकर सफर करना उनके लिए ताउम्र का यादगार सफर बन गया.

फिल्मों में भी भागीदारी
फिल्मों में भी भागीदारी (ETV Bharat GFX)

पढे़ं. कालबेलिया डांसर पद्मश्री गुलाबो सपेरा ने कार्यक्रम में बांधा समां...

बॉलीवुड में भी मिला मौका : हिन्दी फिल्मों में कालबेलिया नृत्यांगना के रूप में भी राजकी ने भागीदारी निभाई है. पहली बार जयपुर के नजदीक सामोद कस्बे में उन्होंने धर्मेन्द्र की फिल्म 'बंटवारा' में साल 1989 में एक गाने के दौरान काम किया. इसके बाद साल 1993 में आई फिल्म 'क्षत्रिय' की शूटिंग के दौरान बीकानेर में उन्होंने बड़े पर्दे पर अपनी कला को पेश किया. जयपुर की चोखी-ढाणी में साल 1995 के दौरान अभिनेता ऋषि कपूर की फिल्म 'हम दोनों' में भी उन्होंने डांस किया है. इसके अलावा शादी-समारोह के आयोजन में वे कई बार फिल्मी कलाकारों के बीच प्रस्तुति दे चुकी हैं.

विदेशों में किए कार्यक्रम
विदेशों में किए कार्यक्रम (ETV Bharat GFX)

पढे़ं. राजस्थानी रंगारंग गुलाबो नाइट कार्यक्रम का हुआ आयोजन, पद्मश्री कालबेलिया डांसर गुलाबो ने दी प्रस्तुति...देखें वीडियो

बेटी ने किया खड़ताल का चुनाव : अपनी बेटी ममता को लेकर राजकी बताती हैं कि हुनर को लेकर शुरुआती दौर में उन्होंने अपनी बेटी से भी सवाल किए, लेकिन उनकी बेटी ने खुद की पहचान बनाने के लिए कालबेलिया नृत्य की जगह पुरुषों की आधिपत्य वाली खड़ताल कला का चुनाव किया. लंगा-मांगणियार जाति की पहचान वाले इस लोक वाद्य यंत्र को सीखकर आज उनकी बेटी ने अपना मुकाम बनाया है. इस बारे में ममता ने ईटीवी भारत के साथ अपना तजुर्बा साझा किया. ममता ने बताया कि वह शुरुआत से ही कुछ अलग करना चाहती थीं. नन्ही सी उम्र में उन्होंने अपनी मां के साथ कालबेलिया नृत्य किया और फिर वाद्य यंत्र को चुना. राजकी कहती हैं कि बेटी अच्छा डांस करती है, लेकिन आज उनके पास अपना भी हुनर है, जो उन्हें अलग पहचान दे रहा है. ममता 12 साल की उम्र में अंतरराष्ट्रीय स्तर के सूरजकुंड मेले प्रस्तुति दे चुकी हैं.

अभिनेता ऋषि कपूर की फिल्म 'हम दोनों' की शूटिंग के दौरान की फोटो
अभिनेता ऋषि कपूर की फिल्म 'हम दोनों' की शूटिंग के दौरान की फोटो (ETV Bharat)

पढे़ं. गुलाबो सपेरा के संघर्ष की कहानी... जन्म लेते ही जमीन में जिंदा गाड़ दिया था, आज बन गईं मशहूर कालबेलिया डांसर

पति से मिला पग-पग का साथ : जहां एक ओर राजकी शादी के बाद पति से मिले साथ के कारण खुद को भाग्यशाली समझती हैं, तो दूसरी ओर उनके पति पूरण नाथ बताते हैं कि राजकी की देश-विदेश में प्रस्तुतियों के कारण हमेशा उन्हें गौरवांवित महसूस हुआ है. उन्हें भी अपनी पत्नी की इस कला के कारण आगे बढ़ने का अवसर मिला है. उनकी पत्नी के नाम से आगे बढ़े हैं. हालांकि पूरणनाथ मानते हैं कि इस कला को लेकर सरकारों से जो संरक्षण मिलना चाहिए था, वह आज तक मुमकिन नहीं हो सका है. यही कारण है कि कालबेलिया नृत्यांगना के रूप में गुलाबो और राजकी के बाद कोई और बड़ा नाम सुनाई नहीं देता है. वे सुझाव भी देते हैं कि यदि सरकार लोक कलाकारों को पर्यटन स्थलों के साथ जोड़कर अपना हुनर बढ़ाते हुए एक तय मेहनताना दें तो उन्हें भी संरक्षण मिलेगा और नई पीढ़ी भी अपनी परंपरा के साथ जुड़ी रहेगी, जिससे विश्व नृत्य दिवस की सार्थकता रहेगी.

पीएम मोदी के साथ 26 जनवरी 2020 की तस्वीर
पीएम मोदी के साथ 26 जनवरी 2020 की तस्वीर (ETV Bharat)

पढे़ं.सामाजिक बेड़ियों को तोड़ ममता सपेरा ने लिखी सफलता की कहानी, तीन साज की कला में हासिल की महारथ

कब और कैसे शुरू हुआ इंटरनेशनल डांस डे : हर साल 29 अप्रैल को इंटरनेशनल डांस डे मनाया जाता है. इस खास मौके को मनाए जाने का मकसद दुनिया की डांस आर्ट की तवज्जो, इसे हेरिटेज के रूप में सम्मान दिलाना है. साल 1982 में इस मुहिम का आगाज अंतरराष्ट्रीय नृत्य समिति (International Dance Council), यूनेस्को की ओर से किया गया था. इस खास मौके के जरिए युवा और उभरते कलाकारों को अपने हुनर को दिखाने और सीखने का मंच भी दिया जा रहा है. इंटरनेशनल डांस डे को आधुनिक बैले डांस के जनक जीन-जॉर्ज नोवरे की जयंती के मौके पर भी मनाया जाता है. उनके योगदान के सम्मान में यह दिन चुना गया है.

धर्मेन्द्र की फिल्म 'बटवारा' के दौरान की फोटो
धर्मेन्द्र की फिल्म 'बटवारा' के दौरान की फोटो (ETV Bharat)

जयपुर : नृत्य के लिए समर्पित दिन इंटरनेशनल डांस डे हर साल 29 अप्रैल को मनाया जाता है. इस मौके पर कालबेलिया नृत्यांगना राजकी सपेरा से ईटीवी भारत ने खास बातचीत की. उनके इस हुनर के कायल लोग आज देश-दुनिया के हर कोने में मौजूद हैं.

बचपन में भिक्षावृत्ति और आज नामचीन : राजकी सपेरा ने बताया कि पिता की तंगहाल माली हालत के कारण चंग बजाने वाली बड़ी बहन के साथ उन्होंने बचपन में भिक्षावृत्ति भी की. छह बहनों और एक भाई वाले इस परिवार के मुश्किल हालात के बीच उन्हें गुरु महादेव नाथ का साथ मिला. उन्होंने पारंपरिक कालबेलिया नृत्य कला को सीखना शुरू किया. हालांकि, मारवाड़ में नाचगान को दोयम दर्जे का समझा जाने के कारण उन्हें शुरुआत से ही परिवार के सामने संघर्ष करना पड़ा, लेकिन पहले पिता और बाद में पति के साथ के कारण उन्होंने कालबेलिया डांसर के रूप में खुद को स्थापित किया. मशहूर नृत्यांगना राजकी सपेरा और मेवा सपेरा के साथ उन्होंने अपनी कला का सफर शुरू किया. वे बताती हैं कि उन्हें ठीक से तो याद नहीं, लेकिन करीब 6 बरस की उम्र में वे जयपुर आ गई थीं, जहां से उनके सीखने की शुरुआत हुई.

कालबेलिया डांसर राजकी सपेरा से बातचीत (पार्ट 1) (ETV Bharat Jaipur)

पढे़ं. खोले के हनुमान मंदिर में हनुमान जन्मोत्सव, पदमश्री गुलाबो सपेरा की प्रस्तुतियों ने दर्शकों का मोहा मन

पर्यटन विभाग ने दिया पहला मौका : उन्होंने बताया कि गुरु के कहने पर ही परिवार वाले उन्हें कालबेलिया नृत्य सीखाने के लिए तैयार हुए थे. इस दौरान तकरीबन 8 साल की उम्र में उन्होंने अपना पहला पब्लिक परफॉर्मेंस पर्यटन विभाग के एक कार्यक्रम के दौरान दिया. इस कार्यक्रम में बड़ी और नामचीन हस्तियों को देखने के बाद राजकी ने खुद के हुनर को आगे बढ़ाने का फैसला लिया और अपनी मेहनत को तेज कर दिया. यह पहला मौका था, जब उन्हें लगा कि मांगकर खाने से बेहतर है कि गुरु के साथ रहकर वह आगे बढ़ें. यही कारण है कि राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उन्हें कई बार सम्मानित किया जा चुका है.

कालबेलिया डांसर राजकी सपेरा से बातचीत (पार्ट 2) (ETV Bharat Jaipur)

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राजकी को मिले सम्मान
राजकी को मिले सम्मान (ETV Bharat GFX)

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पहली बार चीलगाड़ी का सफर : उन्होंने बताया कि उन्हें बचपन में हवाई जहाज का नाम नहीं आता था, इसलिए लोक भाषा में वे इसे चीलगाड़ी कहा करते थे. अपनी पहली विदेश यात्रा को लेकर उन्होंने बताया कि जब उन्हें पता चला कि वे उड़कर चीलगाड़ी से अमेरिका जाएंगी तो उन्होंने आसमान की तरफ छोटे से हवाई जहाज को जहन में रखा और सोचा कि शायद उन्हें इस गाड़ी से बांधकर विदेश भेजा जाएगा. इसके बाद नजदीक से बड़े सारे विमान को देखना और अंदर बैठकर सफर करना उनके लिए ताउम्र का यादगार सफर बन गया.

फिल्मों में भी भागीदारी
फिल्मों में भी भागीदारी (ETV Bharat GFX)

पढे़ं. कालबेलिया डांसर पद्मश्री गुलाबो सपेरा ने कार्यक्रम में बांधा समां...

बॉलीवुड में भी मिला मौका : हिन्दी फिल्मों में कालबेलिया नृत्यांगना के रूप में भी राजकी ने भागीदारी निभाई है. पहली बार जयपुर के नजदीक सामोद कस्बे में उन्होंने धर्मेन्द्र की फिल्म 'बंटवारा' में साल 1989 में एक गाने के दौरान काम किया. इसके बाद साल 1993 में आई फिल्म 'क्षत्रिय' की शूटिंग के दौरान बीकानेर में उन्होंने बड़े पर्दे पर अपनी कला को पेश किया. जयपुर की चोखी-ढाणी में साल 1995 के दौरान अभिनेता ऋषि कपूर की फिल्म 'हम दोनों' में भी उन्होंने डांस किया है. इसके अलावा शादी-समारोह के आयोजन में वे कई बार फिल्मी कलाकारों के बीच प्रस्तुति दे चुकी हैं.

विदेशों में किए कार्यक्रम
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बेटी ने किया खड़ताल का चुनाव : अपनी बेटी ममता को लेकर राजकी बताती हैं कि हुनर को लेकर शुरुआती दौर में उन्होंने अपनी बेटी से भी सवाल किए, लेकिन उनकी बेटी ने खुद की पहचान बनाने के लिए कालबेलिया नृत्य की जगह पुरुषों की आधिपत्य वाली खड़ताल कला का चुनाव किया. लंगा-मांगणियार जाति की पहचान वाले इस लोक वाद्य यंत्र को सीखकर आज उनकी बेटी ने अपना मुकाम बनाया है. इस बारे में ममता ने ईटीवी भारत के साथ अपना तजुर्बा साझा किया. ममता ने बताया कि वह शुरुआत से ही कुछ अलग करना चाहती थीं. नन्ही सी उम्र में उन्होंने अपनी मां के साथ कालबेलिया नृत्य किया और फिर वाद्य यंत्र को चुना. राजकी कहती हैं कि बेटी अच्छा डांस करती है, लेकिन आज उनके पास अपना भी हुनर है, जो उन्हें अलग पहचान दे रहा है. ममता 12 साल की उम्र में अंतरराष्ट्रीय स्तर के सूरजकुंड मेले प्रस्तुति दे चुकी हैं.

अभिनेता ऋषि कपूर की फिल्म 'हम दोनों' की शूटिंग के दौरान की फोटो
अभिनेता ऋषि कपूर की फिल्म 'हम दोनों' की शूटिंग के दौरान की फोटो (ETV Bharat)

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पति से मिला पग-पग का साथ : जहां एक ओर राजकी शादी के बाद पति से मिले साथ के कारण खुद को भाग्यशाली समझती हैं, तो दूसरी ओर उनके पति पूरण नाथ बताते हैं कि राजकी की देश-विदेश में प्रस्तुतियों के कारण हमेशा उन्हें गौरवांवित महसूस हुआ है. उन्हें भी अपनी पत्नी की इस कला के कारण आगे बढ़ने का अवसर मिला है. उनकी पत्नी के नाम से आगे बढ़े हैं. हालांकि पूरणनाथ मानते हैं कि इस कला को लेकर सरकारों से जो संरक्षण मिलना चाहिए था, वह आज तक मुमकिन नहीं हो सका है. यही कारण है कि कालबेलिया नृत्यांगना के रूप में गुलाबो और राजकी के बाद कोई और बड़ा नाम सुनाई नहीं देता है. वे सुझाव भी देते हैं कि यदि सरकार लोक कलाकारों को पर्यटन स्थलों के साथ जोड़कर अपना हुनर बढ़ाते हुए एक तय मेहनताना दें तो उन्हें भी संरक्षण मिलेगा और नई पीढ़ी भी अपनी परंपरा के साथ जुड़ी रहेगी, जिससे विश्व नृत्य दिवस की सार्थकता रहेगी.

पीएम मोदी के साथ 26 जनवरी 2020 की तस्वीर
पीएम मोदी के साथ 26 जनवरी 2020 की तस्वीर (ETV Bharat)

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कब और कैसे शुरू हुआ इंटरनेशनल डांस डे : हर साल 29 अप्रैल को इंटरनेशनल डांस डे मनाया जाता है. इस खास मौके को मनाए जाने का मकसद दुनिया की डांस आर्ट की तवज्जो, इसे हेरिटेज के रूप में सम्मान दिलाना है. साल 1982 में इस मुहिम का आगाज अंतरराष्ट्रीय नृत्य समिति (International Dance Council), यूनेस्को की ओर से किया गया था. इस खास मौके के जरिए युवा और उभरते कलाकारों को अपने हुनर को दिखाने और सीखने का मंच भी दिया जा रहा है. इंटरनेशनल डांस डे को आधुनिक बैले डांस के जनक जीन-जॉर्ज नोवरे की जयंती के मौके पर भी मनाया जाता है. उनके योगदान के सम्मान में यह दिन चुना गया है.

धर्मेन्द्र की फिल्म 'बटवारा' के दौरान की फोटो
धर्मेन्द्र की फिल्म 'बटवारा' के दौरान की फोटो (ETV Bharat)
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