बाड़मेर. जिले में गर्मी का तेवर चरम पर है. पारा 40 डिग्री सेल्सियस पार कर चुका है. इस भीषण गर्मी में ग्रीन डेजर्ट संस्थान की महिलाओं ने बेजुबान पशुओं और पक्षियों की पीड़ा को समझते हुए एक अच्छी पहल की है. वे अपने घरों से निकलकर कोजाणियो की ढाणी में जल कुंडों को पानी से भरने का सराहनीय कार्य कर रही हैं. यह छोटा सा कदम एक बड़ा प्रभाव डाल रहा है, जो बाड़मेर की गर्मी में जीवों के लिए राहत का काम कर रहा है. ग्रीन डेजर्ट संस्थान की यह पहल बाड़मेर में पशु-पक्षियों के लिए जीवनदान साबित हो रही है.
ग्रीन डेजर्ट संस्थान की अणसी बाई, कमला देवी, पपूदेवी, रेशमी देवी, शांति देवी, लहरों देवी, यशोदा देवी, मंजू देवी सहित कई महिलाएं इन दिनों कोजाणियो की ढाणी गांव मे वन्यजीवों और पशुओं के लिए अपनी व्यस्त दिनचर्या से न केवल समय निकल रही हैं, बल्कि अपने घर से पानी का घड़ा सिर पर उठाकर वन्यजीवों के लिए गांव के सूखे जल कुंडों को भरने का काम कर रही हैं. ताकि बेजुबान पशु और पक्षियों को गर्मी में पानी मिल सके. इन जलकुंडों पर सुबह से लेकर रात तक बड़ी संख्या में पशु पक्षी इस गर्मी में पानी पीकर अपनी प्यास बुझा रहे हैं.
रेखा देवी ने बताया कि इंसान तो किसी घर जाकर पानी मांग सकता है लेकिन बेजुबान पशु-पक्षी कहां जाएंगे? पिछले तीन सालों से वे गर्मी में पशु-पक्षियों को पानी पीने के लिए जल कुंडों में पानी भर रही हैं. उनके साथ 20-25 और महिलाएं भी हैं जो घर से सिर पर पानी का मटका लेकर सूखे जल कुंडों में पानी डालती हैं. उन्होंने बताया कि वह हर दिन घर के कामकाज के बाद मटके में पानी भरकर गांव के जल कुंड को पानी से भरती हैं.
वहीं स्थानीय निवासी सरसो देवी बताती हैं कि उन्हें देखकर घर की बहू बेटियों के साथ - साथ गांव की अन्य महिलाएं भी इसी तरह गर्मी में गांव के जल कुंड में पानी भरती हैं. ताकि बेजुबान पशु-पक्षियों को पानी पीने मिल सके. उन्होंने कहा कि यह पुण्य का काम है, ऐसा करने से धर्म लाभ मिलता है. उन्होंने कहा कि घर के काम काज करने के साथ समय निकाल कर जलकुंड में पानी भरते हैं, ताकि पशु पक्षियों को पानी मिल सके.

ग्रीन डेजर्ट संस्थान के नरपत सिंह राजपुरोहित बताते हैं कि गर्मी में पानी को अमृत के समान माना जाता है. मनुष्य को प्यास लगती है तो वह कहीं भी मांग कर पी लेता है, लेकिन मूक पशुओं पक्षियों को प्यास में तड़पना पड़ता है. ऐसे में इस गर्मी में पशु पक्षियों की प्यास बुझाने के लिए उनके संस्थान की महिला मंडल की सदस्य घर का कामकाज निपटने के बाद गांव में करीब आठ जल कुंड हैं. उनमें प्रतिदिन अपने समय अनुसार घर से पानी का घड़ा भरकर उन जल कुंडों में खाली करती है.

उन्होंने बताया कि हम पिछले तीन सालों से इस तरह का कार्य कर रहे हैं. सुबह से लेकर रात तक कई पशु पक्षी आते हैं उनमें हिरण , मोर, गाय , लोमड़ी आदि यहां आकर अपनी प्यास बुझाते हैं.उन्होंने बताया कि हमारा उद्देश्य है कि आमजन भी प्रकृति और वन्यजीवों के संरक्षण के लिए सक्रिय भूमिका निभाएं. उन्होंने कहा कि इस प्रकार कदमों से हम भी इन बेजुबान जीवों की जान बचाने के साथ ही एक बेहतर समाज का निर्माण कर सकते हैं.