इंदौर: मछली को हेल्दी नॉनवेज फूड समझकर उसका हर अंग खाना जानलेवा हो सकाता है. दरअसल, इंदौर के संगम नगर निवासी 42 वर्षीय दुर्गा प्रसाद सिंघानिया की मछली खाने के बाद अचानक तबीयत बिगड़ गई. उन्हें अनान-फानन में अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उन्हें पता चला कि उनके किडनी और लीवर डैमेज हो चुके हैं. हालांकि, डॉक्टरों ने इलाज के बाद किसी तरह दुर्गा प्रसाद की जान बचा ली. दुर्गा प्रसाद फिलहाल खतरे से बाहर हैं.
गंभीर हालत में अस्पताल लेकर पहुंचे परिजन
निजी अस्पताल के किडनी रोग विशेषज्ञ डॉ. जयसिंह अरोरा ने बताया, " इलाज के दौरान पता चला कि मरीज ने अनजाने में मछली की पित्त की थैली खा ली थी, जिससे कुछ घंटों बाद उसे उल्टियां और दस्त शुरू हो गए थे. शुरुआती इलाज के लिए परिजन उसे स्थानीय अस्पताल में लेकर पहुंचे थे. जहां पता चला कि उसके लिवर एंजाइम्स एसजीओटी और एसजीपीटी खतरनाक रूप से 30 से 50 के स्थान पर 3000-4000 के स्तर तक पहुंच गए हैं. इसके अलावा किडनी के क्रिएटिनिन की मात्रा भी 8-9 तक बढ़ गई थी."
पहले लगा सामान्य फूड पॉइजनिंग
दरअसल, 24 दिसंबर को संगम नगर स्थित अपने घर में दुर्गा प्रसाद ने मछली बनाकर खाई थी, जिसके बाद उसकी अचानक तबीयत बिगड़ने लगी. पहले लगा कि यह सामान्य फूड पॉइजनिंग है, जिसके चलते उसने उल्टी-दस्त की दवाइयां लीं, लेकिन दवाईयों के बाद भी जब उसकी स्थिति और बिगड़ने लगी, तब वह निजी अस्पताल पहुंचा. यहां जांच में पता चला कि उसने मछली की पित्त की थैली खा ली थी. जिससे उसके लिवर और किडनी दोनों गंभीर रूप से प्रभावित हो गए हैं.
डायलिसिस से हुआ फायदा
अस्पताल में मरीज का स्टेरॉयड और डायलिसिस की मदद से इलाज किया गया. शुरुआती 4 डायलिसिस के बाद मरीज की हालत में सुधार दिखने लगा. इसके बाद डायलिसिस बंद कर दिया गया. नतीजतन बिना किसी सर्जरी के सही दवाइयों और लगातार मॉनिटरिंग से मरीज की जान बच गई.
टॉक्सिन का प्रभाव और सावधानियां
डॉ. अरोरा ने बताया, "मछली की पित्त की थैली में सायरपरोल नामक टॉक्सिन होता है, जो शरीर में पहुंचने पर लिवर और किडनी को तेजी से नुकसान पहुंचा सकता है. हालांकि, पित्त की थैली मल के साथ बाहर निकल जाती है, लेकिन इसका विष शरीर में गंभीर असर डालता है. यह समस्या समुद्री क्षेत्रों में आम होती है, लेकिन मध्य भारत में ऐसे मामले दुर्लभ हैं. हालांकि, लोगों को मछली के अंगों के सेवन के प्रति सतर्क रहना चाहिए."
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समय रहते सही इलाज से बचाई जा सकती है जान
डॉ. अरोरा ने बताया, "मछली के साथ पित्त की थैली का सेवन घातक हो सकता है. किसी व्यक्ति को उल्टियां, दस्त और अचानक लिवर-किडनी की खराबी के लक्षण दिखें, तो यह जांचना जरूरी है कि उसने मछली या किसी अन्य जहरीले पदार्थ का सेवन तो नहीं किया. समय पर सहीं इलाज से ही मरीज की जान बचाई जा सकती है.